दोसत की मा, भुवा और बहन की चुदाइ

पयरे रेअदेरस (चूत वलियोन और लुनद वलोन) मैन दिनु सबसे पहले मैन सभि चूत वलियोन और लुनद वलोन को दनयवद देता हुन कयुन कि मेरि कहनिया, लोगो को कफि पसनद अयी और मुज़े ए-मैल के जरिये मले/फ़ेमले का कफ़ि रेसपोनसे मिला, लोगो ने मुज़े और सतया कथा लिखने का होसला दिया। इसलिये फिर से आप लोगो के पस्स एक सचि कहनि पेस कर रहा हुन, आशा हैन पिछलि कहनिओन कि तरह येह कहनि भि आप लोगो को पसनद आयेगि।

येह कहनि मेरे दोसत कित मा, भुवा और बहन को चोदने वलि है। ये बात आज से 9-10 बरश पहले कि हैन जब मेरि उमर 20-21 साल कि थि। ऊन दिनो मैन बोमबय मेन रहता था। मेरे मकन के बगल मेन एक नया किरयेदर सुखबिनेर रहने आया। वो किरये के मकन मेन अकेला रहता था। मेरि हुम उमर का था इसलिये हुम दोनो मेन गहरि दोसति होगयी। वो मुज़ पर अधिक विसवस रखता था कयोनकि मेन सरकरि करमचरि था और उस से जयदा पदा लिखा था। वो एक परिवते फ़सतोरी मे मचिने ओपेरतोर था। उसके परिवर मेन केवल 4 सदसया थे। उसकि विधवा मा 41 साल कि, विधवा भुवा (यनि कि उसकि मा कि सग्गि ननद) 35 साल कि और उसकि कुवनरि बहन 18-19 साल कि थि। वे सब उसके गावँ मैन रहकर अपनि खेति बदि करते थे।

दिवलि वसतिओन मेन उसकि मा और बहन मुमबै मेन 1 महिने के लिये आये हुये थे। देसेमबेर मेन उसकि मा और बहन वपस गावँ जने कि जिध करने लगे। लेकिन कम अतयधिक होने के करन सुखबिनदेर को 2 महिने तक कोइ भि छुति नहि मिल सकति थि। इसलिये वो तेनतिओन मे रहने लगा। वो चहता था कि किसि का गावँ तक सथ हो तो वो मा और बहन को उसके साथ भेज सकता है। लेकिन किसि का भि साथ नहि मिला।

सुखबिनदेर को तेनतिओन मेन देख कर मैने पुछा, कया बात सुखबिनेर, आज कल तुम जयदा तेनतिओन मेन रहते हो ”

सुखबिनदेर: कया करुन यार, काम जयदा होने के करन मेरा ओफ़्फ़िसे मुज़े अगले 2 महिने तक छुति नहिन दे रहि हैन और इधर मा गावँ जने कि जिध कर रहि हैन। मैन चहता हुन कि अगर कोइ गावँ तक किसि का साथ रहे तो मा और बहन अछि तरह से गावँ पहुनच जयेगि और मुज़े भि चिनता नहिन रहेगि लेकिन गावँ तक का कोइ भि साथ नहिन मिल रहा हैन ना हि मुज़े छुति मिल रहि हैन इसलिये मैन कफ़ि तेनतिओन मेन हुन।

दिनु: यार अगर तुमे इतरज़ ना हो तो मैन तुमहरि परोबलेम हल करसका हुन और मेरा भि फयदा होजयेगा।

सुखबिनदेर : यार मैन तुमहरा येह ऐसहन जिनदगि भर नहिन भुलुनगा आगर तुम मेरि परोबलेम हल कर दो तो। लेकिन यार कैसे तुम मेरि परोबलेम हल करोगे और कैसे तुमहरा फयदा होगो ”

दिनु: यार सरकरि दफ़तर के अनुसर, मुज़े साल मेन 1 महिने कि छुति मिलति हैन। अगर मैन चुत्ति लेता हुन तो मुज़े गावँ या कहिन भि जने का आने जने का किरया भि मिलता है और एक महिने कि पगर भि मिलति। अगर मैन चुति ना लू तो 1 महिने कि छुति लपेस हो जति है और कुछ नहिन मिलता हैन।

सुखबिनदेर: यार तुम छुति लेकर मा और बहन को गावँ पहुनचा दो इस बहने तुम मेरा गावँ भि घुम आना।

अगले दिन हे मैने छुति कि लिये आवेदन पत्रा देदिया और मेरि छुति मनजूर होगयी।

सुखबिनदेर ने चलु तिसकेत लेकर हुम दोनो को रैलवय सततिओन पहुनचने आया। हुमने त्त को रेकुएसत कर के किसि तरह 2 सेअत अर्रनगे करलि। गदि करिब रात 8:40 पर रवना हुयी। रात करिब 10 बजे हुमने खना खया और गपशुप करने लगे। बहन ने कहा भया मुज़े नीनद आरहि हैन और वो उपर के बिरथ पर सो गयी। कुछ देर बद मा भि निचे के बिरथ पर चद्दर औध कर सो गयी और कहा कि तुम अगर सोना चहते हो तो मेरे पैर के पस्स सिर रख कर सो जना। मुज़े भि थोदि देर बद नीद अने लगि और मैन उनके पैर के पस्स सिर रख कर सो गया। सोने से पहले मैन पनत खोल कर शोरत पहन लिया। मा अपने बयी तरफ़ करवत कर के सो गयीए। कुछ देर बद मुज़े भि नीनद आने लगि और मैन भि उनका चद्दर ओध कर सोगया। अचनक रात करिब 1:30 मेरि नीनद खुली मैने देखा कि मा कि सरि कमर के उपर थि और उनकि चुत घने झनतो के भिच छुपि थि। उनका हथ मेरे शोरत पर लुनद के करिब था। येह सब देख कर मेरा लुनद शोरत के अनदेर फदफदने लगा। मैन कुछ भि समज नहिन परहा थत कि कया करून। मैन उथकर पैसब करने चला गया। जब वपस आया मैन चद्दर उथा कर देखा तो अभि तक मा उसि अवसथा मैन सोयी थि। मैन भि उनकि तरफ़ करवत कर के सोगया लेकिन मुज़े नीनद नहिन आ रहि थि।

बर बर मेरि अनखोन के समने उनकि चुत घूम रहि थि। थोदि देर बद एक सततिओन आया वहन 5 मिनुतेस तक त्रैन रुकि थि और मैन विचर कर रहा था कि कया करून। जैसे हे गदि चलि मेरे भगया ने साथ दिया और हमरे दिब्बे कि लिघत चली गयि मैने सोचा कि भगवन भि मेरा सथ दे रहा हैन। मैने अपना लुनद शोरत से निकल कर लुनद के सुपदे कि तोपि निचे सरका कर सुपदे पर धेर सरा थुक लगा कर सुपदे को चुत के मुख के पस रख कर सोने का नतक करने लगा। गदि के धक्के के करन आधा सुपदा उनकि चुत मैन चला गया लेकिन मा कि तरफ़ से कोइ भि हरकत ना हुयी। या तो वो गहरि नीनद मैन थि या वो जनभुज़ कर कोइ हरकत नहि कर रहि थि मैन समज नहिन पया। गदि के धक्के से केवल सुपदे का थोदा सा हिस्सा चुत मेन अनदर बहर हो रहा था। एक ब्बर तो मेरा दिल हुवा कि एक धक्का लगा कर पुरा का पुरा लुनद चूत मेन दल दुन लेकिन सनकोच ओर दर के करन मेरि हिमत नहिन हुयी। गदि के धक्के से केवल सुपदे का थोदा सा हिस्सा चुत मेन अनदर बहर हो रहा था। इस तरह चोदते चोदते मेरे लुनद ने धेर सरा फ़ुवरा उनकि चूत और झनतो के उपर फ़ेक दिया। अब मैन अपना लुनद शोरत मैन दल कर सो गया। करिब सवेरे 7 बजे मा ने उथया और कहा कि चै पीलो और तयर हो जओ कयुनकि 1 घनते मेन हुमरा सततिओन अन्ने वला है। मैन फि फ़रेश हो कर तयर होगया। सततिओन आने तक मा बहन और मैन इदर उदर कि बतेन करने लगे। करिब 09:30 बजे हुम सुखबिनदेर के घर पहुनचे। वहन पर सुखबिनदेर कि भुवा ने हुमरा सवगत किया और कहा नो धो कर नसता करलो। हुम नहा धो कर आनगन मैन बैथ कर नसता करने लगे। करिब 11:00 बजे भुवा ने मा से कहा “भभि जि आप लोग थक गये होनगे, आप अरम किजिये मैन खेत मैन जरहि हुन और मैन शम को लोतुनगि। मा ने कहा थिक हैन और मुज़से बोलि अगर तुम आरम करना चहो तो आरम करलो नहिन तो भुवा के साथ जा कर खेत देख लेना। मैने कहा कि मैन आरम नहिन करुनगा कयुकि मेरि नीद पुरि होगयी हैन, मैन भुवजि के साथ खेत चला जता हुन वहन पर मेरा तिमे पस्स भि हो जयेगा।

मैन और भुवा खेत कि और निकल पदे। रसते मेन हुम लोगो ने इदर उदर कि कफ़ि बतेन कि। उनका खेत बहुत बदा था खेत कि एक कोने मे एक छोता सा मकन भि था। दोपहर होने के करन आजु बजु के खेत मेन कोयी भि नथा। खेत पहुनच कर भुवजि कम मैन लग गयी और कहा कि तुमे अगर गरमि लग रहि हो तो शिरत निकल लो उस मकन मेन लुनगि भि हैन चहे तो लुनगि पहन लो और यहन आकर मेरि मदद थोदि मदद करदो। मैन मकन मेन जकर शिरत उतर दिया और लुनघि बनियन पहनकर भुवा जि के कम मेन मदद करने लगा। कम करते करते कभि कभि मेरा हाथ भुवजि कि चुतर पर तौच होता था। कुछ देर बद बुवजि से मैने पुछा, भुवजि यहन कहिन पेसब करने कि जगहा हैन ” भुवजि बोलि कि मकन के पिछे जदियोन मेन जकर करलो। मैन जब पिसब कर के वपस आया तो देखा भुवजि अब भि कम कर रहि थि। तोदि देर बाद भुवजि बोलि “आओ अब खना खते हैन और थोदि देर आरम कर के फ़िर कम मेन लग जते हैन” अब हुम खेत के कोने वले मकन मेन आकर खना खने कि तयरि करने लगे। मैन और भुवा दोनो ने पहले हाथ पैर धोये फिर खना खने बैथ गये। भुवजि मेरे समने हि बैथ कर खना खा रहि थि। खना खते समय मैने देखा कि मेरे लुनगि जरा सिदे मेन हत गयी थि जिस करन मेरे उनदेरवेअर से आधा निकला हुवा लुनद दिखयी दे रहा था। और भुवजि कि नज़र बबर मेरे लुनद पर जा रहि थि। लेकिन उनहोने कुछ नहि कहा और बिच बिच मे उसकि नज़र मेरे लुनद पर हि जा रहि थि। खना खने के बाद भुवजि बरतन धोने लगि जब वो झुकर बरतन धो रहि थि तो मुज़े उनके बदे बदे बूबस साफ़ नज़र आ रहे थे। उनहोने केवल बलौसे पहना हुवा था। बरतन धोने के बाद वो कमरे मैन आकर चतै बिछा दि और बोलि “चलो थोदि देर आरम करते हैन” मैन चतै पर आकर लेत गया। भुवा बोलि “बेते आज तो बदि गरमि हैन” कहा कर वो अपनि सरि खोल दि और केवल पेत्तिसोअत और बलौसे पहन कर मेरे बगल मेन आकर उस तरफ़ करवत कर के लेत गयी।

आचना मेरि नज़र उनके पेत्तिसोअत पर गयी। उनकि दहिनि और कि कमर पर जहन पेत्तिसोअसत का नदा बनधा था वहा पेर कफ़ि गपे था और गपे से मैने उनकि कुच कुच झनते दिखयी दे रहि थि। अब मेरा लुनद लुनघि के अनदर हरकत करने लगा। थोदि देर बद भुवजि ने करवत बदलि तो मैने तुरनत आनखे बनद करके सोने का नतक करने लगा। थोदि देर बद भुवजि उथि और मकन के पिछे चल पदि। मैन उतसहा के करन मकन कि खिदकि पर गयी। खिदकि बनद थि लेकिन उसमे एक सुरख था मैन सुरख पर आनख लगकर देखा तो मकन का पिछला भग साफ़ दिखयी दे रहा था। भुवा वहन बैथ कर पेसब करने लगि बेसब करने के बद भुवजि थोदि देर अपनि चुत सहलति रहि फिर उथकर मका के अनदर आने लगि। फ़िर मैन तुरनत हि अपनि सथन पर आकर लेत गया। भुवजि जब वपन मकन मेन आयी तो मैन भि उथकर पिछलि तरफ़ पेसब करने चला गया। मैन जनभुज़ कर खिदकि कि तरफ़ लुनद पकर कर पेसब करने लगा मैने महसूस किया कि खिदकि थोदि खुली हुयी थि और भुवजि कि नज़र मेरे लुनद पर थि। पेसब करके जब वपन आया तो देखा भुवजि चित लेति हुयी थि। मेरे अने के बाद भुवा बोलि बेते आज मेरे कमर बहुत दुख रहि हैन। कया तुम मेरि कमर कि मलिश कर सकते हो ” मैने कहा कयोन नहि। उसने कहा थिक हैन समे तेल का शिशि पदि हैन उसे लका मेरि कमर कि मलिश कर देना। और फिर वो पेत के बल लेत गयी। मैन तेल लगा कर उनकि कमर कि मलिश करने लगा। वो बोलि बेते थोदा निचे मलिश करो। मैने कहा भुवजि थोदा पेत्तिसोअत का नदा धिला करोगि तो मलिश करने मेन आसनि होगि और पेत्तिसोअत पर तेल भि नहिन लगेगा। भुवजि ने पेत्तिसोअत का नदा धिला कर दिया अब मैन उनकि कमर पर मलिश करने लगा। उनहोने और थोदा निचे मलिश करने को कहा। मैन थोदा निचे कि तरफ़ मलिश करने लगा। थोदि देर मलिश करने के बद वो बोलि बस बेते और नदा बनद कर लेत गयी। मैन भि बगल मेन आकर लेत गया। अब मेरे दिलोन और दिमग ने कैसे चोदा जये यह विचर करने लगा। अधे घनते के बद भुवजि उथि और सरि पहन कर अपने कम मेन लग गयी।

शम को करिब 6 बजे हुम घर पहुनचे। घर पहुनचकर मैने कहा मा मेन बजर जरहा हुन। 1 घनते बद आजौनगा येह कहकर मैन बज़र कि और निकल पदा रसते मेन मैने सरब कि दुकन से बीर कि बोत्तलेस ले आया। घर अकर हाथ पैर धो कर केवल लुनगि पहन कर दुसरे कमरे मेन जकर बीर पिने लगा। एक घनते मेन मैने 4 बोत्तले बीर पी लि थि और बीर का नसुमन हवि होने लगा। इतने मे भुवजि ने खने के लिये अवज़ लगयी। हुम सब साथ बैथ कर खना खने लगे। खना खने के बद मैन सिगरते कि दुकन जकर सिगरते पिने लगा जब वपस आया तो आनगन मे सब बैथ कर बतेन कर रहे थे। मैन भि उनकि बतोन मे समिल होगया और हनसि मज़ग करने लगा। बतोन बतोन मेन भुवजि मा से बोलि “भभि दिनु बेता अछि मलिश करता हैन आज खेत मेन कम करते करते अचनक मेरि कमर मे दरद उथा तो इसने अछि मलिश कि और कुछ हि देर मेन मुज़े आरम आगया” मा हनस पदि और मेरि तरफ़ अजिब नज़रोन से देखने लगि। मैन कुछ नहि कहा और सिर झुका लिया। करिब आधे घनते के बद बहन और भुवा सोने चलि गयी। मैन और मा इदर उदर कि बतेन करते रहे। करिब रात 11 बजे मा बोलि बता आज तो मेरे पैर दुख रहे हैन। कया तुम मलिश करदोगे।

दिनु :हान कयुन नहि। लेकिन आप केवल सुखि मलिश करवओगी या तेल लगकर

मा: बेता अगर तेल लगा कर करोगे तो आसनि होगि और आरम भि मिलेगा

दिनु : थिक है, लेकिन सरसोन हो तो और भि अछा रहेगा और जलदि आरम मिलेगा।

फिर मा उथ कर अपने कमरे मैन गयी और मुज़े भि अपने कमरे मेन बुला लिया। मैने कहा आप चलिये मैन पेसब करके आता हुन। मैन जब पेसब करके उनके कमरे मेन गया तो देखा मा अपनि सरि खोल रहि थि। मुज़े देख कर बोलि बेता तेल के दाग सरि पर ना लगे इसलिये सरि उतर रहि हुन। वो अब केवल बलौसे और पेत्तिसोअत मेन थि और मैन बनियन और लुनघि मेन था। मा ने तेल कि दिबि मुज़े देकर बिसतर पर सोगयी। मैन भि उनके पैर के पास बैथ कर उनके पैर से थोद पेत्तिसोअत उपर किया और तेल लगा कर मलिश करने लगा। मा बोलि बेता बदा आरम आरहा हैन। जरा पीनदलि मैन जोर लगा कर मलिश करो। मैने ने फिर उनका दयन पैर अपने कनधे मेन रख कर पिनदलि मेन मलिश करने लगा। उनका एक पैर मेरे कनधे पर था और दुसरा निचे था जिस करन मुज़े उनकि झनते और चूत के दरशन हो रहे थे कयोनि मा ने उनदेर पनती नहिन पहनि थि वैसे भि देहति लोग बरा और पनती नहिन पहनते हैन। उनकि चूत के दरशन पते हि मेरा लुनद हरकत करने लगा। मा ने अपने पेत्तिसोअत घुतनो के थोदा उप्पर कर के कहा जरा और उपर मलिश करो। मैन अब पिनदलि के उपर मलिश करने लगा और उनका पेत्तिसोअसत घुतनो के थोअ उप्पर होने के करन अब मुज़े उनकि चूत साफ़ देखै देरहि थि इस करन मेरा लुनद फूल कर लोहे कि तरहा कदा और सकत हो गया। और उनवेअर फ़दकर बहर निकलने को बेतब हो रहा था। मैन थोदा थोदा उपर मलिश करने लगा और मलिश करते करते मेरि उनगलियन कभि कभि उनकि जनगो के पस्स चलि जति थि। जब भि मेरि उनगलिअन उनके जनगो को सपरश करति तो उनके मुच से हाआ हाअ कि अवज निकलति थि। मैने उनकि और देखा तो मा कि आनखेन बनद थि। और बर बर वो अपने होनथोन पर अपनि जीब फेर रहि थि। मेने सोचा कि मेरि उनगलिओन के सपरश से मा को अजीब मजा आरहा हैन कयोन ना इस सुनेहरे मौके का फयदा उथया जये। मैने मा से कहा मा मेरे हथ तेल कि चिकनहत के करन कफ़ि फिसल रहे हैन। यदि आप को अछा नहिन लगता है तो मलिश बनद कर दुन ” मा ने कहा कोइ बात नहिन मुज़े कफ़ि आरम और सुख मिल रहा हैन। फिर मैन अपने हथेलि पर और तेल लगा कर उनके घुतनो के उपर मलिश करने लगा मलिश करते करते अचनक मेरि उनगलियन उनके चूत के इलके के पस्स तौच होने लगि वो अनखेन बनद करके केवल आहेन भर रहि थि मेरि उनगलिअन उनके पेत्तिसोअत के उनदेर चूत तो छुने कि कोशिश कर रहि थि। अचनक मेरि उनगलि उनके चुत तो तौच किया मैन थोदा घबरा कर अपनि उनगलि उनके चुत से हतलि और उनकि परतिकरिया जन ने के लिया उनके चहरे कि और देख लेकिन मा कि आनखे बनद थि वो कुछ नहि बोल रहि थि। इधर मेरा लुनद सकत होकर उनदेरवेअर के बहर निकलने को बेतब हो रहा था। मैने मा से कहा मा मुज़े पेसब लगि हैन, मैन पेसब करका आता हुन फ़िर मलिश करुनगा। मा बोलि थिक है बेता, वकै तु बहुत अछा मलिश करता है। मन करता है मैन रात भर तुज़से मलिश करवौन। मैन बोलि कोइ बात नहिन आप जब तक कहोगि मैन मलिश करुनगा येह कहा कर मैन पेसब करने चला गया।

जब पेसब करके वपस आरहा था तो भुवजि के कमरे से मुज़े कुच कुच अवज सुनयी दि, उतसुकता से मैने खिदकि कि और देखा तो वोह थोदि खुलि थि मैने खिदकि से देखा कि भुवजि एक दम ननगि सोयी थि और अपने चूत मैन ककदि दल कर ककदि को उनदेर बहर कर रहि थि और मुच से हा हाआ हाअ कि अवज निकल रहि थि। येह ससीन देख कर मेरा लुनद फिर खदा होगया। मैने सोचा भुवजि कि मलिश कल करुनगा आअज सुखबिनदेर कि मा कि मलिश करता हुन कयोनकि तवा गरम है तो रोति सेख लेनि चहिये। मैन फिर मा के केमरे मेन चला गया।

मुज़े आया देख कर मा ने कहा बेता लिघत भुज़ा कर दिम लिघत चलो करदो तकि मलिश करवते करवते अगर मुज़े नीनद आगयी तो तुम भि मेरे बगल मेन सो जना। मैने तुबे लिघत बनद करके दिम लिघत चलु करदि जब वपस आया तो मा पेत के बल लेति थि और उनका पेत्तिसोअत केवल उनकि भरि भरि गानद के उपर था बकि पैरोन का हिस्सा ननगा था बिलकुल ननगा था। अब मैन हथेलि पर धेर सरा तेल लगा कर उनके पैरोन कि मलिश करने लगा पहले पिनदलि पर मलिश करता रहा फिर मैन धिरे धिरे घुतनो के उपर झनगो के पस्स चुत्तर के निचि मलिश करता रहा। पेत्तिसोअत चुतर पर होने से मुज़े उनकि झनते और गानद का छेद नज़र आरहा था। अब मैन हिम्मत कर के धिरे धिरे उनका पेत्तिसोअत कमर तक उपर करदिया मा कुछ नहिन बोलि और उनकि आनखे बनद थि। मैने सोचा सयद उनको नीनद आगयी होगि। अब उनकि गानद और चूत के बाल मुज़े साफ़ साफ़ नज़र आरहे थे। मैने हिम्मत करके तेल से भरि हुयी उनगलि उनकि गानद के छेद के उपर लगद ने लगा वो कुछ नहिन बोलि मेरि हिम्मत और बद गयी। मेरा अनगुथा उनकि चूत कि फनको को तौच कर रहा था और अनगुथे कि बगल कि उनगलि उनकि गानद के छेद को सहला रहि थि। येह सब हरकर करते करते मेरा लुनद तिघत होगया और चुत मेन घुसने के लिया बेतब हो गया। इतने मेन मा ने कहा कि बेता मेरि कमर पर भि मलिश करदो तो मैन उथकर पहले चुपके से मेरा उनदेरवेअर निकल कर उनकि कमर पर मलिश करने लगा। थोदि देर बाद मैन मा से कहा कि मा तेल से आप का बलौसे खरब होजयेगा। कया आप अपने बलौसे को थोदा उपर उथा सकति हो ” येह सुनकर मा ने अपने बलौसे के बुत्तोन खोलते हुये बलौसे को उपर उथा दिया। मैन फिर मलिश करने लगा मलिश करते करते कभि कभि मेरि हथेलि सिदे से उनके बूबस तो छु जति थि। उनकि कोइ भि परतिकरिया ना देख कर मैने उनसे कहा मा अब आप सिधि सोजैये मैन अब आप कि सपेसिअल तरिके से मलिश करना चहता हुन। मा करवत बदल कर सिधि होगयी मैने देख अब भि उनकि आनखे बनद थि और उनके बलौसे के सरे बुत्तोन खुले थे और उनकि चुनची साफ़ झलक रहि थि। उनकि चुनची कफ़ि बरि बरि थी और सनसोन से सथ उथती बैथती उनकि मसत रसेली चुनची सफ़ सफ़ दिख रहि था।

मा ने अपनि सुरिली और नशिलि धिमि अवज मेरे कनो मे परि, “बेता अब तुम थक गये होनगे इनहा आऊ ना।” और मेरे पस हि लेत जऊ ना। पहले तो मैं हिचकिचया कयोन कि मैन केवल लुनघि पहनि थि और लुनघि के उनदेर मेरा लुनद चुत के लिये तदप रहा था वो मेरि परेशनि तर गयी और बोले, “कोइ बत नही, तुम अपनि बनियन उतर दो और रोज जैसे सोते हो वैसे हि मेरे पस सो जओ। शरमओ मत। आऊ ना।” मुझे अपने कन पर यकीन नही हो रहा था। मैन बनियन उतर कर उनके पस लेत गया। जिस बदन को कभि से निहरता था आज मैं उसि के पस लेता हुअ था। मा का अधननगा शरीर मेरे बिलकुल पस था। मैं ऐसे लेता था कि उनकि चुनची बिलकुल ननगी दिखयी दे रहा थि, कया हसीन नजरा था। तब मा बोलि, “इतने महिने से मलिश करवयी हुन इसलिया कफ़ि आरम मिला है। फिर उनहोने मेरा हथ पकर कर धिरे से खिनच कर अपने उभरे हुए चुनची पर रख दिया और मैं कुच नहे बोल पया लेकिन अपना हथ उनके चुनची पर रखा रहने दिया। मुझे येहन कुच कुजा रहा है, जरा सहलओ ना।” इ उनकि चुनची को सहलना शुरु किया। और कभि कभि जोर जोर से उनकि चुनची को रगरना शुरु कर दिया। मेरि हथेली कि रगर पा कर मा के निप्पले करे हो गये।

अचनक वो अपनि पिथ मेरि तरफ़ घुमा कर बोले, “बेता मेरा बलौसे खोल दो और थीक से सहलओ।” मैने कनपते हुए हथोन से मा का बलौसे खोल दिया और उनहोने अपने बदन से उसे उतर कर नीचे दल दिया। मेरे दोनो हतोन को अपने ननगी चती पर ले गा कर वो बोली, “थोरा कस कर दबओ ना।” मैं भि कफ़ि उत्तेजित हो गया और जोश मे अकर उनकि रसीली चुनची से जम कर खेलने लगा। कया बरि बरि चुनचेअ थी। करी करी चुनची और लुमबे लुमबे निप्पले। पहली बर मैं किसि औरत कि चुनची को छु रहा था। मा को भि मुझसे अपने चुनची कि मालिश करवने मे मज़ा अरहा था। मेरा लुनद अब खदा होने लगा था और लुनगि से बहर निकल आया। मेरा 9″ का लुनद पुरे जोश मे आ गया था। मा कि चुनची मसलते मसलते हुए मैं उनके बदन के बिलकुल पस आ गया था और मेरा लुनद उनकि जनघो मे रगर मरने लगा था। अब उनोहने कहा बेता तुमहर तो लोहे समन होगया है और इसका सपरश से लगता है कि कफ़ि लुमबा और मोता होगा कया मैन हथ लगा कर देखुन” उनहोने पुचा और मेरे जबब देने से पहले अपना हथ मेरे लुनद पर रख कर उसको ततोलने लगी।

अपनि मुत्तही मेरे लुनद पर कस के बनद कर ली और बोले, “बपरे, बहुत करक है।” वो मेरि तरफ़ घुमि और अपना हथ मेरे लुनघ मे घुसा कर मेरे फर-फरते हुए लुनद पकर ल्लिया। लुनद को कस कर पकरे हुए वो अपना हथ लुनद के जर तक ले गयी जिस्से सुपरा बहर आगया। सुपरे कि सिज़े और अकर देख कर वो बहुत हैरन हो गयी। “बेता कहन चुपा रखा था इतने दिन ऐसा तो मेने अपनि जिनदगि मैन नहिन देखा है उनहोने पुचा। मैने कहा, “एहीन तो था तुमहरे समने लेकिन तुमने धयन नही दिया। यदि आप त्रैन मैन गहरि नीनद नहिन होति तो सयद आप देख लेति कयोनकि त्रैन मेन रात को मेरा सुपदा आप कि चुत तो लगद रहा था। मा बोलि “मुझे कया पता था कि तुमहरा इतना बरा लौरा होगा ” एह मैं सोच भि नही सकती थी।” मुझे उनकि बिनदस बोले पर असचरया हुअ जब उनहोने “लौरा” कहा और सथ हि मे बरा मज़ा अया। वो मेरे लुनद को अपने हथ मे लेकर किनच रही थी और कस कर दबा रही थी। फिर मा ने अपना पेत्तिसोअत अपनि कमर के उपर उथा लिया और मेरे तने हुए लुनद को अपनि जनघो के बिच ले कर रगरने लगी। वो मेरि तरफ़ करबत ले कर लेत गयी तकी मेरे लुनद को थीख तरह से पकर सके। उनकि चुनची मेरे मुनह के बिलकुल पस थी और मैं उनहे कस कस कर दबा रहा था। अचनक उनहोने अपनि एक चुनची मेरे मुनह मे थेलते हुए कहा, “चुसो इनको मुनह मे लेकर।” मैने इनकि लेफ़त चुनची अपने मुनह मे भर लिया और जोर जोर से चुसने लगा। थोरे देर के लिये मैने उनकि चुनची को मुनह से निकला और बोला, “मैं तुमहरे बलौसे मे कसि चुनची को देखता था और हैरन होता था। इनको चुने कि बहुत इस्सह्हा होती थी और दिल करता था कि इनहे मुनह मे लेकर चुसु और इनका रुस पीउन। पर दरता था पता नही तुम कया सोचो और कनही मुझसे नरज़ ना हो जओ। तुम नही जनती कि तुमने मुझे और मेरे लुनद को कल रात से कितना परेशन किया है”” “अस्सह्हा तो आज अपनि तमन्ना पुरि कर लो, जी भर कर दबओ, चुसो और मज़े लो; मैं तो आज पुरि कि पुरि तुमहरी हुन जैसा चहे वैसा हि करो” मा ने कहा। फिर कया था, मा कि हरि झनदी पकर मैं तुत परा मा कि चुनची पर।

मेरि जीभ उनके करे निप्पले को महसुस कर रही थी। मैने अपनि जीभ मा के उथे हुए करे निप्पले पर घुमया। मैने दोनो अनरोन को कस के पकरे हुए था और बरि बरि से उनहे चुस रहा था। मैं ऐसे कस कर चुनचीओन को दबा रहा था जैसे कि उनका पुरा का पुरा रुस निचोर लुनगा। मा भि पुरा सथ दे रही थी। उनके मुह्ह से “ओह! ओह! अह! सि सि, कि अवज निकल रही थी। मुझसे पुरि तरफ़ से सते हुए वो मेरे लुनद को बुरि तरह से मसल रही थी और मरोर रही थी। उनहोने अपनि लेफ़त तनग को मेरे रिघत तनग के उपर चरा दिया और मेरे लुनद को को अपनि जबघो के बिच रख लिया। मुझे उनकि जनघो के बिच एक मुलयम रेशमि एहसस हुअ। एह उनकि झनतोन से बरि हुयी चूत थी। मेरा लुनद का सुपरा उनकि झनतू मे घुम रहा था। मेरा सबरा का बनध तुत रहा था। मैं मा से बोला, “भभि मुझे कुच हो रहा और मैं अपने अपे मे नही हुन, पलेअसे मुझे बतओ मैं कया करोन”” मा बोलि, “तुमने कभि किसि को चोदा है आज तक”” मैने बोला, “नही।” कितने दुख कि बत है। कोइ भि औरत इस्से देख कर कैसे मना कर सकती है।

मैं चुपचप उनके चेरे को देखते हुए चुनची मसलता रहा। उनहोने अपना मुनह मेरे मुनह से बिलकुल सता दिया और फुसफुसा कर बोली, “अपनि दोसत कि मा को चोदोगे”” “क्कक कयोन नही” मैं बदी मुसजकिल से कहा पया। मेरा गला सुच रहा था। वो बदे मदक अनदज़ मे मुसकुरा दि और मेरे लुनद को अज़द करते हुए बोले, “थीक है, लगता है अपने अनदि बेते को मुझे हि सब कुच सिखना परेगा। चलो अपनि लुनघि निकल कर पुरे ननगे हो जऊ।” मैने अपनि लुनगि खोल कर सिदे मेन फेक दिया। मैं अपने तने हिए हुए लुनद को लेकर ननग धरनग मा के समने खरा था। मा अपने रसेली होतोन को अपने दनतो मे दबा कर देखति रही और अपने परतिसोअत का नरा कीनच कर धीला कर दिया। “तुम भि इस्से उतर कर ननगी हो जओ” कहते हुए मैने उनका पेत्तिसोअत को खीनचा। मा अपने चुतर उपर कर दिया जिस्से कि पेत्तिसोअत उनकि तनगो उतेर कर अलग हो गया। अब वो पुरि तरह ननगी हो कर मेरे समने चित परि हुइ थी। उनहोने अपनि तनगो को फ़ैला दिया और मुझे रेशमि झनतो के जनगल के बिच चुपि हुए उनकि रसीले गुलबी चूत का नज़रा देखने को मिला।

निघत लमप कि हलकी रोशनि मे चमकते हुए नगे जिसम को को देखकर मैं उत्तेजित हो गया और मेरा लुनद मरे खुशि के झुमने लगा। मा ने अब मुझसे अपने उपर चरने को कहा। मैं तुरनत उनके उपर लेत गया और उनकि चुनची को दबते हुए उनके रसीले होनत चुसने लगा। मा ने भि मुझे कस कर अपने अलिनगन मे कस कर जकर लिया और चुम्मा का जवब देते हुए मेरे मुनह मे अपनि जीभ दल दि । है कया सवदिसत और रसीले जीभ थी। मैं भि उनकि जीभ को जोर शोर से चुसने लगा। हुमरा चुम्मा पहले पयर के सथ हलके मे था और फिर पुरे जोश के सथ।कुच देर तक तो हुम ऐसे हि चिपके रहे, फिर मैं अपने होनत उनकि नज़ुक गल्लोन पर रगर रगर कर चुमने लगा।

फिर मा ने मेरि पिथ पर से हथ उपर ला कर मेरा सर पकर लिया और उसे नीचे कि तरफ़ करदिया। मैं अपने होनथ उनके होनतो से उनकि थोदि पर लया और कनधो को चुमता हुअ चुनची पर पहुनचा। मैं एक बर फिर उनकि चुनची को मसलता हुअ और खेलता हुअ कतने और चुसने लगा।

उनहोने बदन के निचले हिस्से को मेरे बदन के नीचे से निकल लिया और हुमरी तनगी एक-दुसरे से दूर हो गये। अपने रिघत हथ से वो मेरा लुनद पकर कर उसे मुत्तही मे बनध कर सहलने लगी और अपने लेफ़त हथ से मेरा दहिना हथ पकर कर अपनि तनगू के बिच ले गयी। जैसे हि मेरा हथ उनकि चूत पर पहुनचा उनहोने अपनि चूत के दने को उपर से रगर दिया।

समझदर को इशरा कफ़ि था। मैं उनके चुनची को चुसता हुअ उनकि चूत को रगने लगा। “बता अपनि उनगली अनदर दलो ना”” कहति हुए मा ने मेरा उनगली अपनि चूत के मुनह पर दबा दिया। मैने अपनि उनगली उनकि चूत के दरर मे घुसा दिया और वो पुरि तरह अनदर चली गये। जैसे जैसे मैने उनकि चूत के अनदर उनगली उनदेर बहर कर रहा था मेरा मज़ा बरता गया।

जैसे हि मेरा उनगली उनके चूत के दने से तकरया उनहोने जोर से सिसकरि ले कर अपनि जनघो को कस कर बनद कर लिया और चुतर उथा उथा कर मेरे हथ को चोदने लगी।

कुछ देर बद उनकि चूत से पनि बहा रहा था। थोरि देर तक ऐसे हि मज़ा लेने के बद मैने अपनि उनगली उनकि चूत से बहर निकल लिया और सिधा हो कर उनके उपर लेत गया। उनहोने अपनि तनगे फ़ैला दि और मेरे फ़रफ़रते हुए लुनद को पकर कर सुपरा चूत के मुहने पर रख लिया। उनकि झनतो का सपरश मुझे पगल बना रहा था, फिर मा ने कहा “अब अपना लौरा मेरि बुर मे घुसओ, पयर से घुसेरना नही तो मुझे दरद होगा, अह्हह्हह!” मैं नौसिखिया था इसिलिये शुरु शुरु मे मुझे अपना लुनद उनकि तिघत चूत मे घुसने मे कफ़ि परेशनि हुयी। मैं जब जोर लगा कर लुनद अनदर दलना चहा तो उनहे दरद भि हुअ। लेकिन पहले से उनगली से चुदवा कर उनकि चूत कफ़ि गिली हो गये थी।

फिर मा ने अपने हथ से लुनद को निशने पर लगा कर रसता दिखा रही थी और रसता मिलते हि मेरा एक हि धक्के मे सुपरा अनदर चला गया। इस्से पहले कि मा समभले , मैने दुसरा धक्का लगया और पुरा का पुरा लुनद मखहन जैसे चूत कि जन्नत मे दखिल हो गया। मा चिल्लैइ, “उईई ईईईइ ईईइ माआआ उहुहुह्हह्हह ओह बता, ऐसे हि कुच देर हिलना दुलना नही, हि! बरा जलीम है तुमहरा लुनद। मर हि दला मुझे तुमने दिनु।” मैने सोचा लगता है मा को कफ़ि दरद हो रहा है।

पहेलि बर जो इतना मोता और लुमबा लुनद उनके बुर मे घुसा था। मैं अपना लुनद उनकि चूत मे घुसा कर चुप चप पदा था। मा कि चूत फदक रही थी और अनदर हि अनदर मेरे लौरे को मसल रही थी। उनकि उथि उथि चुनचेअन कफ़ि तेज़ि से उपर नीचे हो रहे थी। मैने हथ बरहा कर दोनो चुनची को पकर लिया और मुनह मे लेकर चुसने लगा। थोदि देर बद मा को कुच रहत मिलि और उनहोने कमर हिलनि शुरु कर दि और मुझसे बोलि, “बेता शुरु करो, चोदो मुझे। लेलो मज़ा जवनी का मेरे रज्जज्जा,” और अपनि गनद हिलने लगी।

मैं थोदा अनारी। समझ नहिन पया कि कैसे शुरु करुन। पहले अपनि कमर उपर किया तो लुनद चूत से बहर आ गया। फिर जब नीचे किया तो थीक निशने पर नही बैथा और भभि कि चूत को रगरता हुअ नीचे फिसल कर गनद मे जकर फनस गया। मैने दो तीन धक्के लगया पर लुनद चूत मे वपस जने बजै फिसल कर गनद मे चला जता। मा से रहा नही गया और तिलमिला कर तना देति हुइ बोलि, ” अनारी से चोदवना और चूत का सतयनश करवना होता है, अरे मेरे भोले दिनु बेते जरा थीक से निशना लगा कर अनदर दलो नही तो चूत के उपर लौरा रगर रगर कर झर जऊगे।” मैं बोला, ” अपने इस अनारी बेते को कुच सिखओ, जिनदगी भर तुमहे अपना गुरु मनुगा और जब चहोगि मेरे लुनद कि दक्षिना दुनगा।”

मा लुमबी सनस लेति हुए बोलि, “हन बेते, मुझे हि कुच करना होगा नही तो और मेरा हथ अपनि चुनची पर से हतया और मेरे लुनद पर रखती हुइ बोले, “इस्से पकर कर मेरि चूत के मुनह पर रखहो और लगओ धक्का जोर से।” मैने वैसे हि किया और मेरा लुनद उनकि चूत को चिरता हुअ पुरा का पुरा अनदर चला गया। फिर वो बोलि, “अब लुनद को बहर निकलो, लेकिन पुरा नही। सुपरा अनदर हि रहने देना और फिर दोबरा पुरा लुनद अनदर पेल देना, बस इस्सि तरह से करते रहो।” मैने वैसे हि करना शुरु किया और मेरा लुनद धिरा धिरे उनकि चूत मे अनदर-बहर होने लगा। फिर मा ने सपीद बरहा कर करने को कहा। मैने अपनि सपीद बरहा दी औए तज़ी से लुनद अनदर-बहर करने लगा। मा को पुरि मसती आ रही थी और वो नीचे से कमर उथा उथा कर हर शोत का जवब देने लगी। लेकिन जयदा सपीद होने से बर बर मेरा लुनद बहर निकल जता। इस्से चुदै का सिलसिला तुत जता।

अखिर मा से रहा नही गया और करवत ले कर मुझे अपने उपर से उतर दिया और मुझको चित लेता कर मेरे उपर चर गयी।

अपनि जनघो को फ़ैला कर बगल कर के अपने गद्देदर चुतर रखकर बैथ गयी। उनकि चूत मेरे लुनद पर थी और हथ मेरि कमर को पकरे हुए थी और बोले, “मैं दिखती हुन कि कैसे चोदते है,” और मेरे उपर लेत कर धक्का लगया। मेरा लुनद घप से चूत के अनदर दखिल हो गया। मा ने अपनि रसीलि चुनची मेरि चती पर रगरते हुए अपने गुलबी होनत मेरे होनत पर रख दिया और मेरे मुनह मे जीभ दल दिया। फिर उनहोने मज़े से कमर हिला हिला कर शोत लगना शुरु किया। बरे कस कस कर शोत लगा रही थी। चूत मेरे लुनद को अपने मे समये हुए तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी। मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत पहुनच गया हुन। अब पोसितिओन उलती हो गयी थी। मा मनो मरद थी जो कि अपनि मसुका को कस कस कर चोद रहा था। जैसे जैसे मा कि मसती बरह रही थी उनके शोत भि तेज़ होते जा रहे थे।

अब वो मेरे उपर मेरे कनधो को पकर लर घुतने के बल बैथ गयी और जोर जोर से कमर हिला कर लुनद को तेज़ी से अनदर-बहर लेने लगी। उनका सरा बदन हिल रहा था और सनसे तेज़ तेज़ चल रही थी। मा कि चुनचीअ तेज़ि से उपर नीचे हो रही थी। मुझसे रहा नही गया और हथ बरहा कर दोनो चुनची को पकर लिया और जोर जोर से मसलने लगा।

मा एक सधे हुए खिलरि कि तरह कमन अपने हतोन मे लिये हुए कस कस कर शोत लगा रही थी। जैसे जैसे वो झरने के करीब अ रही थी उनकि रफ़तर बरहति जा रही थी। कमरे मे फच फच कि अवज गुनज रही थी। जब उनकि सनस फुल गयी तो खुद नीचे अकर मुझे अपने उपर किनच लिया और तनगो को फ़ैला कर उपर उथा लिया और बोले, “मैं थक गयी मेरे रज्जज्जा, अब तुम मोरचा समभलो।”मैं झत उनकि जनघो के बिच बैथ गया और निशना लगा कर झतके से लुनद चुत के अनदर दल दिया और उनके उपर लेत कर दनदन शोत लगने लगा। मा ने अपनि तनग को मेरि कमर पर रख कर मुझे जकर लिया और जोर जोर से चुतर उथा उथा कर चुदै मे सथ देने लगी। मैं भि अब उतना अनारी नही रहा और उनकि चुनची को मसलते हुए दनदन शोत लगा रहा था। पुरा कमरा हुमरि चुदै कि अवज से गुनज उथा था। मा अपनि कमर हिला कर चुतर उथा उथा कर चुदा रही थी और बोले जा रही थी, “अह्हह आअह्हह्हह उनह्हह्ह ऊओह्हह्ह ऊऊह्हह्हह हाआआन हाआऐ मीईरे रज्जज्जजा, माआआअर गयययययये रीईए, लल्लल्लल्ला चूऊओद रे चूऊओद। उईईईई मीईईरीईइ माआअ, फाआआअत गाआआयीई रीईई आआआज तो मेरि चूत। मीईएरा तो दम निक्कक्ककल दिया तूऊउने तूऊ आआज। बराआअ जाआअलीएम हाआऐरे तूऊमहाआआरा लौरा, मैं भि बोल रहा था, “लीईए मेरीईइ रनीई, लीई लीईए मेरा लौरा अपनीईइ चुत मीईए। बराआअ तरपयययययया है तुनीई मुझीई। लीईए लीई, लीई मेरीईइ राआआआआनि येह लुनद अब्बब्बब तेराआ हीई है। अह्हह्हह्ह! उह्हह्हह्हह्ह कया जन्नत का मज़ाआअ सिखयाआअ तुनीईए।

मैं तो तेराआअ गुलम हूऊऊ गयाआ।”मा गनद उचल उचल कर मेरा लुनद अपने चूत मे ले रही थी और मैं भि पुरे जोश के सथ उनकी चुनचेओन को मसल मसल कर अपने गहरे दोसत कि मा कि गहरि चुदै कर रहा था।

मा मुझको ललकर कर कहति, लगओ शोत मेरे रजा”, और मैं जवब देता, “येह ले मेरि रनि, ले ले अपनि चूत मे”। “जरा और जोर से सरकओ अपना लुनद मेरि चूत मे मेरे रजा”, “येह ले मेरि रनि, येह लुनद तो तेरे लिये हि है।” “देखो रज्जज्जा मेरि चूत तो तेरे लुनद कि दिवनी हो गयी, और जोर से और जोर से आआईईईईए मेरे रज्जज्जज्जजा। मैं गयीईईईईए रीई,” कहते हुए मा ने मुझको कस कर अपनि बहोन मे जकर लिया और उनकि चूत ने जवलमुखि का लवा चोर दिया। अब तक मेरा भि लुनद पनि चोरने वला था और मैं बोला, “मैं भि अयाआआ मेरि जाआअन,” और मेने भि अपना लुनद का पनि चोर दिया और मैं हफ़ते हुए उनकि चुनची पर सिर रख कर कस के चिपक कर लेत गया। येह मेरि पहलि चुदै थी। इसिलिये मुझे कफ़ि थकन महसुस हो रही थी। मैं मा के सिने पर सर रख कर सो गया। वो भि एक हथ से मेरे सिर को धिरे धिरे से सहलते हुए दुसरे हथ से मेरि पिथ सहला रही थी।

कुच देर बद होश अया तो मैने उनके रसेले होनतोन के चुमबन लेकर उनहे जगया। मा ने करवत लेकर मुझे अपने उपर से हतया और मुझे अपनि बहोन मे कस कर कन मे फुस-फुसा कर बोलि, “बता तुमने और तुमहरे मोते लमबे लुनद तो कमल कर दिया, कया गजब का तकत है तुमहरे लुनद मे।” मैने उत्तेर दिया, “कमल तो अपने कर दिया है , आजतक तो मुझे मलुम हि नही था कि अपने लुनद को कैसे इसतिमल कैसे करना है। येह तो अपकि मेहेरबनि है जो कि अज मेरे लुनद को अपकि चूत कि सेवा करने का मौका मिला।” अबतक मेरा लुनद उनकि चूत के बहर झनतो के जनगल मे रगर मर रहा था। मा ने अपनि मुलयम हथेलिओन मे मेरा लुनद को पकर कर सहलना शुरु किया। उनकि उनगली मेरे अनदवे से खेल रहि थी। उनकि नजुक उनगलिओन के सपरश पकर मेरा लुनद भि जग गया और एक अनगरैए लेकर मा कि चूत पर थोकर मरने लगा। मा ने कस कर मेरा लुनद को कैद कर लिया और बोलि, “बहुत जन तुमहरे लुनद मे, देखो फिर से फर-फरने लगा, अब मैं इसको नहिन छोरुनगी।”

हुम दोनो अगल बगल लेते हुए थे। मा ने मुझको चित लेता दिया, और मेरि तनग पर अपनि तनग चरा चरा कर लुनद को हथ से उमेथेने लगी। सथ हि सथ अपनि कमर हिलते हुए अपनि झनत और चूत मेरि जनघ पर रगरने लगी। उनकि चूत पिचली चुदै से अभितक गिलि थी और उसका सपरश मुझे पगल बनै हुए था। अब मुझसे रहा नही गया और करवत लेकर भभि कि तरफ़ मुनह करके लेत गया। उनकि चुनची को मुनह मे दबा कर चुसते हुए अपनि उनगली चूत मे घुसा कर सहलने लगा। उनहोने एक सिसकरि लेकर मुझसे कस कर चिपत गयी और जोर जोर से कमर हिलते हुए मेरि उनगली से चुदवने लगी। अपने हथ से मेरे लुनद को कस कर जोर जोर से मुथ मर रही थी।

मेरा लुनद पुरे जोश मे अकर लोहे कि तरह सकथ हो गया था। अब मा को हध से जयदा बेतबि बरह गयी थी और कुहद चित हो कर मुझे अपने उपर किनच लिया। मेरे लुनद को पकर कर अपनि चूत पर रखती हुइ बोले, “आऊ मेरे रजा, सेसोनद रौनद हो जये।”मैने झत कमर उथा कर धक्का दिया और मेरा लुनद उनकि चूत को चिरता हुअ जर तक धनस गया। मा चीलह उथी और बोले, “जीओ मेरे रजा, कया शोत मरा। अब मेरे सिखये हुए तरीके से शोत पर शोत मरो और फर दो मेरि चूत को।” मा का अदेश पा-कर मैं दुने जोश मे आ गया और उनकी चुनची को पकर कर हुमच हुमच कर मा कि चूत मे लुनद पेलने लगा। उनगली कि चुदै से उनकि कि चूत गिलि हो गयी थी और मेरा लुनद सतसत अनदर-बहर हो रहा था। वो भि नीचे से कमर उथा उथा कर हर शोत का जवब पुरे जोश के सथ दे रही थी।

मा ने दोनो हतोन से मेरि कमर को पकर रखहा था और जोर जोर से अपन चूत मे लुनद घुसवा रही थी। वो मुझे इतना उथति थी कि बस लुनद का सुपरा अनदर रहता और फिर जोर नीचे किनचती हुई घप से लुनद चूत मे घुसवा लेती थीन। पुरे कमरे मे हुमरी सनस और घपा-घप, फच-फच कि अवज गुनज रही थी। जब हुम दोनो कि तल से तल मिल गयी तब मा ने अपने हथ नीचे लकर मेरे चुतर को पकर लिया और कस कस कर दबोचतै हुए मज़ा लेने लगी। कुच देर बद मा ने कहा, “आऊ एक नया असन सिखती हुन,” और मुझे अपने उपर से हता कर किनरे कर दिया। मेरा लुनद “पक” कि अवज सथ बहर निकल आया। मैं चित लेता हुअ था और मेरा लुनद पुरे जोश के सथ सिधा खरा था। मा उथ कर घुतनो और हथेलिओन पर मेरे बगल मे बैथ गयी। मैं लुनद को हथ मे पकर कर उनकि हरकत देखता रहा। मा ने मेरा लुनद पर से हथ हता कर मुझे खिनचते हुए कहा, “ऐसे पदे पदे कया देख रहे हो, चलो अब उथ कर पीचे से मेरि चूत मे अपनि लुनद को घुसओ।” मैं भि उथ कर उनके के पीचे आकर घुतने के बल बैथ गया और लुनद को हथ से पकर कर उनकि चूत पर रगरने लगा। कया मसत गोल गोल गद्दे दर गनद थी। मा ने जनघ को फैला कर अपने चुतर उपर को उथा दिये जिस्से कि उनकि रसीलि चूत सफ़ नज़र आने लगी। उनका का इशरा समझ कर मैने लुनद का सुपरा उनकि चूत पर रख कर धक्का दिया और मेरा लुनद उनकि चूत को चिरता हुअ जर तक धनस गया।

मा ने एक सिसकरी भर कर अपनि गनद पीचे कर के मेरि जनघ से चिपका दी। मैं भि मा कि पिथ से चिपक कर लेत गया और बगल से हथ दल कर उनकि दोनो चुची को पकर कर मसलने लगा। वो भि मसती मे धिरा धिरा चुतर को अगे-पीचे करके मज़े लेने लगी। उनके मुलयम चुतर मेरि मसती को दोगुना कर रही थी। मेरा लुनद उनकि रसीलि चूत मे अरम से अगे-पीचे हो रहा था।

कुच देर तक चुदै का मज़ा लेने के बद मा बोलि, “सहलो रज्जजा अब अगे उथा कर शोत लगओ, अब रहा नही जता।” मैं उथा कर सीधा हो गया और मा के चुतर को दोनो हथोन से कस कर पकर कर चूत मे हमला शुरु कर दिया। जैसा कि मा ने सिखया था मैं पुरा लुनद धिरे से बहर निकल कर जोर से अनदर कर देता। शुरु मे तो मैने धिरे धिरे किया लेकिन जोश बरहता गया और धक्को कि रफ़तर बरहती गयी। धक्का लगते समय मैं मा के चुतर को कस के अपनि अऊर कीनच लेता तकि शोत तगरा परे। मा भि उसि रफ़तर से अपने चुतर को अगे-पीचे कर रही थी। हुम दोनो कि सनसे तेज हो गयी थी। भभि कि मसती पुरे परवन पर थी। ननगे जिसम जब अपस मे तकरते तो घप-घप कि अवज आती। कफ़ि देर तक मैं उनही अमर पकर धक्का लगता रहा। जब हलत बेकबू होने लगी तब मा को फिर से चित लेता कर उन पर सवर हो गया और चुदै का दौर चलू रखा। हुम दोनो ही पसीने से लथपथ हो गये थी पर कोई भि रुकने का नम नही ले रहा था। तभि मा ने मुझे कस कर जकर लिया और अपनि तनगे मेरे चुतर पर रख दिया और कस कर जोर जोर से लमर हिलते हुए चिपक कर झर गयी। उनके झरने के बद मैं भि भभि कि चुनची को मसलते हुए झर गया और हफ़तेन हुए उनके उपर लेत गया। हुम दोनो कि सनसे जोर जोर से चल रही थी और हुम दोनो कफ़ि देर तक एक-दुसरे से चिपक कर परे रहे। कुच देर बद भभि बोले, “कयोन बता कैसी लगी हुमरि चूत कि चुदै”” मैं बोला, “है मेरा मन करता है कि जिनदगी भर इस्सि तरह से तुमहरी चूत मे लुनद दले पदा रहुन।” मा बोलि”जब तक तुम यहन हो, येह चूत तुमहरी है, जैसे मरज़ी हो मज़े लो, अब थोरे देर आरम करतेन है।” “नही मा, कम से कम एक बर और हो जै।

देखो मेरा लुनद अभि भि बेकरर है।” मा ने मेरे लुनद को पकर कर कहा, “येह तो ऐसे रहेगा हि, चूत कि खुसबु जो मिल गयी है। पर देखो रत के तीन बज गये है, अगर सुबह तिमे से नही उथेन तो तुमहरि भुवजि को शक गयेगा। अभि तो सरा दिन समने है और अगे के इतने दिन हुमरे है। जी भर कर मसती लेना। मेरा कहा मनोगे तो रोज नया सवद चकुनगी।” मा का कहना मान कर मैने भि जीद चोर दी और मा भि करवत ले कर लेत गयी और मुझे अपनेसे सता लिया। मैने भि उनकि गनद कि दरर मे लुनद फनसा कर चुनचीओन को दोनो हथोन मे पकर लिया और मा के कनधे को चुमता हुअ लेत गया।

नीनद कब अयी इसका पता हि नही चला।

सुबह जब अलरम बजा तो मैने समय देखा, सुबह के सत बज रहे थी। मा ने मुसकुरा कर देखा और एक गरमा-गरम चुमबन मेरे होतोन पर जद दिया। मैने भि मा को जकर कर उनके चुमबन का जोरदर का जवब दिया। फिर मा उथ कर अपने रोज के कम कज मे लग गयी। वो बहुत कुश थी।

मैन उथ कर नहा धोकर फ़रेश होकर आनगन मैन बैथ कर नसता करने लगा। तभि भुवजि आगयी। और बोलि बेता खेत चलोगे ” मैने कहा कयोन नहिन और रात वला उनका ककदि से चोदनेका ससीन मेरे आनखोन के समने नचने लगा। इतने मे सुमन (दोसत कि बहन) बोलि मैन भि तुमहरे साथ खेत मैन चलुनगि। और हुम तिनो खेत कि और चल पदे। रसते मैन जब हुम एक खेत के पस्स से गुजर रहे थे तो देखा कि उस खेत मैन ककदियन उगि हुयी थि। मैने ककदियोन को देखते हुवे भुवजि से कहा “भुवजि देखो इस खेत वले ने तोह ककदियन उगै हैन। और ककदियोन मैन कफ़ि गून होते हैन” भुवजि लमबि सनस भरति हुयी बोलि “हान बेता ककदियोन से कफ़ि फयदा होता हैन और कै कमो मेन इसका उपयोग किया जता हैन, जैसे सलद मेन, सुबजियोन मेन, कच्चि ककदि खने के लिये भि इसका उपलोग किया जता हैन” मैन बोला “हान भुवजि, इसे कै तरह से उपयोग मेन लया जता है” इसतरह कि बतेन करते करते हुम लोनग अपने खेत मेन पहुनच गये। वहन जकर मैन मकन मैन गया और लुनघि और बनियन पहन कर वपन भुवजि के पस्स आगया। भुवजि खेत मैन काम कर रहि थि और सुमन (दोसत कि बहन) उनके काम मैन मदद कर रहि थि। मैने देखा भुवजि नि सरि घुतनो के उपर थि और सुमन सकिरत और बलौसे पहने हुवे थि। मैन भि लुनघ उनचि करके (मदरसि सतयले मेन) उनके साथ कम मेन मदद करने लगा। जब सुमन झुकर कम करति तो मुज़े उसकि चद्दि देखै देति थि। हुम लोग करिब 1 या 1:30 घनते कम करते रहे फिर मैन भुवजि से कहा भुवजि मैन थोदा आरम करना चहता हुन तो भुवा बोलि थिक हैन और मैन खेत के मकन मेन अकर अरम करने लगा। कुछ देबद कमरे मैन सुमन आयी और कहने लगि दिनु भैया आप वहन बैथ जैये कयोन कि कमरे मैन झरू मरनि हैन। और मैन कमरे के एक कोने मैन बैथ गया। और वो कमरे मैन झरू मरने लगि। झरू मरते समय जब सुमन झुकि तो फिर मुज़े उसकि चद्दि दिखै देने लगि। और उसकि चुदै के खयलोन मैन खो गया। तोदि देर बद फिर वो बोलि “भैया जरा पैर हता लो झरू देनि है।” मैं चौनक कर हक्किकत कि दिनिउअ मे वपस आया। देखा सुमन कमर पर हथ रखी मेरे पस खरी है। मैं खरा हो गया और वो फिर झुक कर झरू लगने लगी। मुज़े फिर उसकि चद्दि दिखयी देने लगि। आज से पहले मैने उस पर धयन नही दिया था।। पर आज कि बत हि कुच और हि थी। रात मा से चुदै कि त्रैनिनग पकर एक हि रत मे मेरा नज़रिअ बदल गया था। अब मैं हर औरत को चुदै कि नज़रिअ से देखना चहता था। जब वो झरू लगा रहि थि तोह मैन उसके समने अकर खदा होगया अब मुज़े उसके बलौसे से उसकी चुनची सफ़ दिखयी दे रही थी। मेरा लुनद फन-फना गया। रत वली मा जैसि चुनची मेरे धिमक के समने घुमने लगि।

तभि सुमन कि नज़र मुझ पर परी। मुझे एकतक घुरता पकर उसने एक दबी से मुसकन दी और अपना बलौसे थिक कर चुनचेओन को बलौसे के अनदर चुपा लिया। अब वो मेरि तरफ़ पीथ कर के झरू लगा रही थी। उसके चुतर तो और भि मसत थी। मैं मन हि मन सोचने लगा कि इसकि गनद मे लुनद घुसा कर चुनची को मसलते हुए चोदने मे कितना मज़ा अयेगा। बेखयली मे मेरा हथ मेरे तन्नये हुए लुनद पर पहुनच गया और मैं लुनघि के उपर से हि सुपरे को मसलने लगा। तभि सुमन अपना कम पुरा कर के पलती और मेरे हरकत देख कर मुनह पर हथ रख कर हनसती हुई बहर चली गयी।

तोदि देर बद भुवजि और सुमन हाथ पैर धोकर आये और मुज़े कहा कि चलो दिनु बेते खना खलो। अब हुम तीनो खना खने बैथ गये। भुवजि मेरे समने बैथि थि और सुमन मेरे लेफ़त सिदे कि ओर बैथि थि। सुमन पलथि मरके बैथि थि और भुवजि पैर पसरे बैथि थि। खना खते समय मैने कहा भुवजि आज खना तो जयेकेदर बना है। भुवजि ने कहा मैने तुमहरे लिये खस बनया हैन। तुम यहन जितने दिन रहोगे गावँ का खना खा खा और मोते होजओगे। मैन हनस पदा और कहा अगर जयदा मोता हौनगा तो मुसकिल हो जये गि। भुवजि अनद सुमन हनस पदि। थोदि देर बद भुवजि ने कहा सुमन तुम खना खा कर खेत मैन खद दर आना। मैन थोदा अरम करुनगि। हुम सब ने खना खया सुमन बरतन धो कर खेत मैन खद दलने लगि। मैन और भुवजि चतै बिछा कर अर्रम करने लगे। मुज़े नीनद नहिन आरहि थि। आज मैन भुवजि या सुमन को चोदने का विचर बना रहा था। विचर करते करते कब नीनद आगयी पता हि नहिन चला। जब मेरि नीनद खुलि तो शम के करिब 5 बज रहे थे। मैने देखा कि मेरा मोता लुनद लुनद तन कर कदा था और लुनघि से बहर निकल कर मुज़े सलमि दे रहा था। इतने मेन भुवजि कमरे मैन आयी मैन झत से आनखे बनद करलिया।

थोदि देर बद थोदि आनख खोल कर देखा कि भुवजि कि नज़र मेरे खदे हुवे मोते लुनद पर तिकि थि। हैरत भरि निगहोन से मेर लुमबे और मोते लुनद को देख रहि थि। कुछ देर बद उनहोने अवज दे कर कहा “दिनु बेता उथ जओ अब घर चलना है” मैने कहा थिक है और उथकर बैथ गया मेरा लुनद अब भि लुनगि से बहर था। भुवजि मेरि और देखते हुवे बोलि “दिनु बेता कया तुमने कोइ बुरा सपना देखा था कया ” मैन मुसकिल से कहा नहिन तो भुवजि, कयोन कया हुवा। वो बोलि नीचे तो देखो कया दिख रहा हैन। जब मैने निचे देखा तो मेरा लुनद लुनगि से निकला हुव था। मैन शरम से लल हो कर अपना लुनद उनदेरवेअर मैन छुपा लिया। ऐसा करते समे भुवजि हनस रहि थि। हुम करिब 6:30 बजे घर पहुनचे। रसते भर कोइ भि बात चित नहिन हुयी। घर आकर मैने कहा कि मैन बज़ार होके आता हुन और फिर बज़ार जकर 1 विशकी कि बोत्तले ले आया। जब घर पहुनचा तो रात के 9 बज रहे थे।मुज़े आया देख कर भुवजि ने अवज़ दि बेता आकर खना खलो मैन बोला भुवजि अभि भुक नहिन हैन थोदि देर बद खा लुनगा। फिर मैने पुछा मा और सुनमा कहन हैन (कयोनकि मा और सुमन ना तो रसोइ घर मेन थे नहिन आगन मेन थे) भुवजि ने कहा कि हमरे रिसतेदर के यहन आज रात भर भजन और किरतन हैन इसलिये भभि और सुमर रिसतेदर के यहन गये हैन और सुबह 5-6 बजे लोतेनगे। मैने कहा “थिक हैन भुवजि, अगर आप बुरा ना मनो तोह कया मैन थोदि विशकेय पी सकता हुन ” भभि बोलि “थिक हैन तुम आनगन मेन बैथो मैन वहिन खना लेकर आति हुन। मैन आनगन मेन बैथ कर विशकेय पिने लगा। करिब आधे घनते बाद भुवजि खना लेकर आयी तब तक मैन 3-4 पेग पी चुक्का था और मुज़े थोदा विशकेय का नसुमन होने लगा था। भुवजि और मैन खना खने के बद, भुवजि के कमरे मेन आगये। मैने पनत तो शिरत निकल कर लुनगि और बनियन पहन ली। भुवजि भि सरि खोल कर केवल निघती पहनि हुयी थि। जब भुवजि खदि होकर पनि लने गयी तो मुज़े उनके परदरशि निघती से उनका सरिर दिखयी दिया। उनहोने निघती के अनदर ना तो बलौसे पहना था नहिन पेत्तिसोअत पहना था इसलियेल इघत कि रोसनि के करन उनका जिसम निघती से झलक रहा था। जब वो पनि लेकर वपस आयी। हुम बैथ कर बतेन करने लगे।

भुवजि: दिनु कया तुम सहर मेन कसरत करते हो ”

दिनु: हान भुवजि रोज सुबहा उथकर कसरत करता हुन।

भुवजि: इसलिये तुमहरा एक एक अनग कफ़ि तगदा और तनदुरसत हैन। कया तुम अपने बदन पर तेल लगा कर मलिश करते हो खस तोर पर सरिर के निचले हिसेन पर ”

दिनु: मैन हर रोज़ अपने बदन पर सरसोन का तेल लगा कर खूब मलिश करता हुन।

भुवजि: हान आज मैने तुमहर सरिर के अलवा अनदर का अनग भि दोपहर को देखा था वकै कफ़ि मोता लमबा और तनदुरसत है। हर मरदोन का इस तरहा का नहिन होता हैन।

भुवजि कि बात सुन कर मैन सरम के मरे लल हो गया। पुरे मकन मैन हुम दोनो अकेले थे। और इसतरह कि बातेन करते थे।

मैने भि भुवजि कि से कहा। भुवजि आप भि बहुत सुनदर हो और आपका बदन भि सुदोल है।

भुवजि: दिनु मुज़े तद के झद पर मत चदओ। तुमने तोह अभि मेरा बदन पुरा तरह देखा हि कहन हैन। मैने बोला आप ने तोह मुज़े दिखया हि नहिन और मेरे सरिर के निचले हिस्से का दरशन भि कर लिया। इतना सुनते हि वो झत बोलि मुज़े कहन अछि तरह कहन तुमहर दरशन हुवा। चलो एक शरत पर तुमे मेरे अनदुरुनि भग दिखा दुनगि अगर तुम मुज़े अपना दिखओगे तो ”

मैन झत से लुनगि से लुनद निकल कर उनहे दिखा दिया। भुवजि भि अपने वदे के अनुसर निघती उपर कर के अपनि चूत दिखा दि और मुसकरति बोलि रजा बेता खुश हो अब। है जलीम चूत थि। चूत देखते हि मेरा लुनद तन कर फरफरने लगा। कुच देर तक मेरे लुनद कि और देखने के बद भुवजि मेरे पास आयी और झत से मेरि लुनगि खोल दी। फिर खरे होकर अपनि निघती भि उतर दी और ननगी हो गयी। फिर मुझे कुरसि से उथ कर पलनग पर बैथने को कहा। जब मैं पलनग पर बैथ कर भुवजि कि मसत रसिली चुनची को देख रहा था तो मरे मसती के मेरा लुनद चत कि और मुनह उथये उनकि चूत को सलमि देरहा था। भुवजि मेरि झनगोन के बिच बैथ कर दोनो हथोन से मेरे लौरे को सहलने लगी। कुच देर उनही सहलने के बद अचनक भभि ने अपना सर नीचे झुकया और अपने रसीले होनतोन से मेरे सुपरे को चुम कर उसको मुनह मे भर लिया। मैं एकदम चौनक गया। मैने सपने मे भि नही सोचा था कि ऐसा होगा।

“भुवजि एह कया कर रही हो। मेरा लुनद तुमने मुनह मे कयोन ले लिया है।” “चुसने के लिये और किस लिये” तुम अरम से बैथे रहो और बुस लुनद चुसै का मज़ा लो। एक बर चुसवा लोगे फिर बर-बर चुसने को कहोगे।” भुवजि मेरे लुनद को लोल्लिपोप कि तरह मुनह ले लेकर चुसने लगी।मैं बता नही सकता हुन कि लुनद चुसवने मे मुझे कितना मज़ा आ रहा था। भुवजि के रसीले होनत मेरे लुनद को रगर रहे थे। फिर भुवजि ने अपना होनत गोल कर के मेरा पुरा लुनद अपने मुनह मे लेलिया और मेरे अनदोयोन को हथेलि से सहलते हुए सिर उपर नीचे करना शुरु कर दिया मनो वो मुनह से हि मेरा लुनद को चोद रही हू। धिरे-धिरे मैने भि अपनी कमर हिला कर भुवजि के मुनह को चोदना शुरु कर दिया। मैं तो मनो सतवेन आसमन पर था। बेतबि तो सुबह से हि हो रहि थी। थोरि हि देर मे लगा कि मेरा लुनद अब पनी चोर देगा। मैं किसि तरह अपने उपर कबु कर के बोला, “भुवजीईईई मेरा पनि चुतने वला है।” भुवजि ने मेरे बतोन का कुच धयन नही दिया बलकी अपने हतोन से मेरे चुतर को जकर कर और तेज़ी से सिर उपर-नीचे करना शुरु कर दिया। मैं भि उनके सिर को कस कर पकर कर और तेज़ी से लुनद उनके मुनह मे पेलने लगा। कुच हि देर बद मेरे लुनद ने पनि चोर दिया और भुवजि ने गतगत करके पुरे पनि पी गयी। सुबह से कबु मे रखा हुअ मेरा पनि इतना तेज़ी से निकला कि उनके मुनह से बहर निकल कर उनके थोदि पर फैल गया। कुच बुनदे तो तपक कर उनकि चुनची पर भि जा गिरा। झरने के बद मेने अपना लुनद निकल कर भुवजि के गल्लोन पर रगर दिया। कया खुबसुरत नज़रा था। मेरा विरया भुवजि के मुनह गल होनत और रसीले चुनची पर चमक रहा था।

भुवजि ने अपनि गुलबि जीभ अपने होतोन पर फिरा कर वनहा लगा विरया चता और फिर अपनि हथेलि से अपनी चुनची को मसलते हुए पुचा, “कयोन दिनु बेता मज़ा अया लुनद चुसवने मे”” मैन बोला “बहुत मज़ा अया भुवजि, तुमने तो एक दुसरी जन्नत कि सैर करवा दिया मेरि जान। आज तो मैं तुमहरा सत जनमो के लिये गुलम हो गया। कहो कया हुकम है।” भुवजि बोलि”हुकम कया, बुस अब तुमहरी बरि है।”मैन कहा “कया मतलब, मैं कुच समझा नही”” भुवजि बोलि “मतलब एह कि अब तुम मेरि चूत चतो।” एह कहा कर भुवजि खरि हो गयी और अपनि चूत मेरे चेहेरे के पस ले आई। मेरे होनत उनकि चूत के होनतोन को चुने लगी। भुवजि ने मेरे सिर को पकर कर अपनि कमर आगे कि और अपनि चूत मेरे नक पर रगरने लगी। मैने भि उनकि चुतर को दोनो हतोन से पकर लिया और उनकि गनद सहलते हुए उनकि रसिली चूत को चुमने लगा।

भुवजि कि चूत कि पयरि-पयरि खुसबु मेरे दिमग मे छने लगा। मैन दिवनो कि तरह उनकि चूत और उसके चरो तरफ़ के इलके को चुमने लगा। बिच-बिच मे मैं अपनि जीभ निकल कर उनकि रनो को भि चत लेता। भुवजि मसती से भर कर सिसकरी लेते हुए अबपनि चूत को फ़ैलते हुये बोलि, “है रजा अह्हह्हह! जीभ से चतो ना। अब और मत तरपओ रजा। मेरि बुर को चतो।

दल दो अपनि जीभ मेरि चूत के अनदर। अनदर दल कर जीभ से चोदो।” अब तक उनकि नशेली चूत कि खुसबू मुझे बुरी तरह से पगल बना दिया था। मैने उनकि चूत पर से मुनह उथै बिना उनहे खिनच कर पलनग पर बैथा दिया और उनक्कि जनघो को फैला कर अपने दोनो कनधोन पर रख लिया और फिर अगेय बरह कर उनकि चूत कि होनतोन को अपनि जीभ से चतना शुरु कर दिया। भुवजि मसती से बरबरने लगी और अपनि चुतर को और अगेय खिसका कर अपनि चूत को मेरे मुनह से बिलकुल सता दिया। अब भुवजि के चुतर पलनग से बहर हवा मे झुल रही थी और उनकि मखमली जनघोन का पुरा दबब मेरे कनधोन पर था। मैने अपनि जीभ पुरी कि पुरी उनकि चूत मे दल दिया और चूत कि अनदरुनी दिवलोन को जीभ से सहलने लगा। भुवजि मसती से तिलमिला उथी और अपने चुतर उथा उथा कर अपनी चूत मेरि जीभ पर दबने लगी। “है रजा, कया मज़ा आ रहा है।

अब अपनि जीभ को अनदर-बहर करो नाआअ! चोदो रजाआअ चोदूऊओ! अपनि जीभ से चोदो मुझे। है रजा तुम हि तो मेरे असली सैयन हो। पहले कयोन नही मिले, अब सरि कसर नीकलुनगी। है रजा चोदो मेरि चूत को अपनि जीभ से।” मुझे भि पुरा जोश आ गया और भुवजि कि चूत मे जलदी जलदी जीभ अनदर-बहर करते हुए उसे चोदने लगा। भुवजि अभि भि जोर-जोर से कमर उथा कर मेरे मुनह को चोद रही थी। मुझे भि इस चुदै से का मज़ा अने लगा। मैने अपनि जीभ कदि कर के सिर अगे पीचे कर के भुवजि कि चूत को चोदने लगा। उनका मज़ा दोगुना हो गया। अपने चुतर को जोर-जोर से उथती हुए बोले, “और जोर से बेता और जोर से, है मेरे पयरे रजा आज मैं तेरि रदि भुवा हो गयी। जिनदगी भर के लिये चुदवनगी तुझसे। अह्हह! उईई माआ!” वो अब झरने वलि थी। वो जोर जोर से चिल्लते हुए अपनि चूत मेरे पुरे चेहेरे पर रगर रही थी।

मैं भि पुरि तेज़ी से जीभ लप-लपा कर उनकि चूत पुरी तरह से चत रहा था। और बिच बिच मैन अपनि जीभ को उनकि चूत मे पुरी तरह अनदर दल कर अनदर बहर करने लगा। जब मेरि जीभ भुवजि कि भगनसुमन से तकरै तो भुवजि का बनध तुत गया और मेरे चेहेरे को अपनि जनघोन मे जकर कर उनहोने अपनि चूत को मेरे मुनह से चिपका दिया। कुच देर बद उनका पनि बहने लगा और मैं उनकि चूत कि दोनो फनकोन को अपनि मुनह मे दबा कर उनका अमरित-रस पिने लगा। मेरा लुनद फिर से लोहे कि रोद कि तरह सखत हो गया था। मैं उथ कर खरा हो गया और अपने लुनद को हथ से सहलते हुए भुवजि को पलनग पर सीधा लिता कर उनके उपर चदने लगा। उनहोने ने मुझे रोकते हुए कहा, “ऐसे नही मेरे रजा, चूत का मज़ा तुम चूस चूस के ले चुके हो आज मैं तुमहे दुसरे चेद का मज़ा दुनगी। मैने कहा भुवजि मेरि समझ मे कुच नही अया। भुवजि बोलि, “आज तुम अपने मोते तगदे लुमबे लौरे को मेरि गनद मे दलो,” और उथ कर बैथ गयी। मेरे हथ हता कर दोनो हथोन से मेरा लुनद पकर लिया और सहलते हुए अपनि दोनो चुचीओन के बिच दबा-दबा कर लुनद के सुपरे को चुमने लगी। उनकि चुनची कि गरमहत पकर मेरा लौरा और भि जोश मे आकर जकद गया। मैं हैरन था। इतनी चोति सि गनद के चेद मे मेरा लुनद कैसे जयेगा। मैं बोला, “भुवजि इतना मोता लुनद तुमहरि गनद मे कैसे जयेगा “” भुवा बोलि, “हन मेरे रजा, गनद मे ही। पीचे से चोदना इतना असान नही है। तुमहे पुरा जोर लगना होगा।” इतना कह कर भुवजि धेर सरा थुक मेरे लुनद पर लगा दिया और पुरे लुनद कि मलीश करने लगी। “पर भुवजि गनद मे लुनद घुसने के लिये जयदा जोर कयोन लगना परेगा”” भुवा बोलि वो इसलिये रजा कि जब औरत गरम होती है तो उसकि चूत पनि चोरती है, जिस्से लौरा आने-जाने मे असनी होती है। पर गनद तो पनि नही चोरती इसिलिये घरशन जैदा होता है और लुनद को जैदा तकत लगनी परती है। गनद मरने वले को भि बहुत तकलीफ़ होती है। पर रजा मज़ा बहुत है मरवने वले को भि और मरने वले को भि आता है। इसिलिये गनद मरने के पहले पुरी तयरी करनी परती है।” मैने कहा “कया तयरी करनी परती है”” भुवजि मुसकुरा कर पलनग से उत्री और पने चुतर को लहरते हुए दरेस्सिनग तबले से वस्सेलिने कि शिशि उथा लयी।

धक्कन खोल कर धेर सरा वस्सलिने अपने हतोन मे ले ली और मेरे लौरे कि मलीश करने लगी। अब मेरा लौरा रोशनी मे चमकने लगा। फिर मुज़े दिब्बि दे दी और बोलि, “अब मैं झुकती हुन और तुम मेरे गनद मे थीकसे वस्सेलिनस लगा दो। और वो पलनग पर पेत के बल लेत गयी और अपने घुतनो के बल होकर अपने चुतर हवा मे उथा दिया। देखने लयक नज़रा था। भभि के गोल मतोल चुतर मेरि अनखोन के समने लहरा रहे थी। मुझसे रहा नही गया और झुक कर चुतर को मुनह मे भर कर कस कर कत लिया। भुवजि कि चीख निकल गयी। फिर मैने धेर सरा वसल्लिने लेकर उनकि गानद कि दरर मे लगा दिया। भुवा बोलि, “आरी मेरे भोले सैयन, उपर से लगने से नही होगा। उनगली से लेकर अनदर भि लगओ और अपनि उनगली पेल पेल कर पहले गानद के चेद को धिला करो।” मैने अपनि बिच वलि उनगली पर वसल्लिने लगा कर उनकि गनद मे घुसने कि कोशिश की। पहलि बर जब नही घुसी तो दुसरे हथ से चेद फैला कर दोबरा कोशिश कि तो मेरा उनगली थोरी सि उनगली घुस गयी। मैने थोरा बहर निकल कर फिर झतका दे कर दला तो घपक से पुरी उनगली धनस गयी। भुवजि ने एकदुम से अपने चुतर सिकोर लिया जिस्से कि उनगली फिर बहर निकल गयी।

भुवा बोलि “इस्सि तरह उनगली अनदर-बहर करते रहो कुच देर तक। मैं उनके कहे मुतबिक उनगली जलदी से अनदर-बहर करने लगा। मुझे इसमे बरा मज़ा आ रहा था। वो भि कमर हिला-हिला कर मज़ा ले रही थी। कुच देर बद भुवजि बोलि, “चलो रजा आ जओ मोरचे पर और मरो गनद अपनि भुवा कि।” मैं उथ कर घुतने का बल बैथ गया और लुनद को पकर कर भुवा कि गनद के चेद पर रख दिया। भुवजि ने थोरा पीचे होकर लुनद को निशने पर रखा। फिर मैने उनकि चुतर को दोनो हथोन से पकर कर धक्का लगया। भुवजि कि गनद कि चेद बहुत तिघत था। मैं बोला, “भुवजि मेरा लुनद आप कि गन मेन नही घुस रहा है।” भुवजि ने तब अपने दोनो हथोन अपने चुतर को खिनच कर गनद कि चेद को पैला दिअय और दोबरा जोर लगने को कहा। इसबर मैने थोर और जोर लगया और मेरा सुपरा उनकि गनद कि चेद मे चला गया। भुवजि कि कसि गनद ने मेरे सुपरे को जकद लिया। मुझे बरा मज़ा आया। मैने दोबरा धक्का दिया तो उनकि गनद को चिरता हुअ मेरा अधा लुनद भुवजि कि गनद मे दखिल हो गया। भुवजि जोर से चीख उथी, “उईइ मा, दुखता है मेरे रजा।” पर मैने उनकि चीख पर कोइ धयन नही दिया और लुनद थोर पीचे खीनच कर जोरदर शोत लगया। मेरा 9″ का लौरा उनकि गनद को चिरता हुअ पुरा का पुरा अनदर दखिल हो गया। भुवजि फिर चीख उथी। वो बर बर अपनि कमर को हिला हिला कर मेरे लुनद को बहर निकलने कि कोशिश कर रही थी। मैने आगे को झुक कर उनकि चुनची को पकर लिया और उनहे सहलने लगा। लुनद अभि भि पुरा का पुरा उनक्कि गनद के अनदर था। कुच देर बद भुवजि कि गनद मे लुनद दले दले उनकी चुनची को सहलता रहा।

जब भुवजि कुच नोरमल हुए तो अपने चुतर हिला कर बोले, “चलो रजा अब तीख है।” उनका सिगनल पकर मैने दोबरा सीधे होकर उनकि चुतर पकर कर धिरे-धिरे कमर हिला कर लुनद अनदर-बहर करना शुरु कर दिया। भुवजि कि गनद बहुत हि तिघत थी। इसे चोदने मे बरा मज़ा आ रहा था। अब भुवा भि अपना दरद भूल कर सिसकरी भरते हुए मज़ा लेने लगी। उनहोने अपनि एक उनगली अपनि चूत मे दल कर कमर हिलना शुरु कर दिया। भुवजि कि मसती देख कर मैं भि जोश मे अ गया और धिरे-धिरे अपनि रफ़तर बरह दी। मेरा लुनद अब पुरी तेज़ी से उनकि गनद मे अनदर-बहर हो रहा था। भुवजि भि पुरी तेज़ी से कमर आगे पीचे करके मेरे लुनद का मज़ा ले रही थी। लुनद ऐएसे अनदर-बहर हो रहा था मनो एनगिने का पिसतोन। पुरी कमरे मे चुदै का थप थप कि अवज गुनज रही थी। जब भुवजि के थिरकते हुए चुतर से मेरि जनघे तकरती थी तो लगता कोइ तबलची तबले पर थप दे रहा हो। भुवजि पुरी जोश मे पुरी तेज़ी से चूत मे उनगली अनदर-बहर करती हुई सिसकरी भर रही थी। हुम दोनो हि पसीने पसीने हो गयी थे पर कोइ भि रुकने का नम नही ले रहा था। भुवजि मुझे बर बर ललकर रही थी, “चोद लो मेरे रजा चोद लो अपनि भुवा कि गनद। आज फद दलो इस्से। शबश मेरे शेर, और जोर से रज्जजा और जोर से।

फद दली तुमने मेरि तो।” मैं भि हुमच हुमच कर शोत लगा रहा था। पुरा का पुरा लुनद बहर कीनच कर झतके से अनदर दलता तो उनकि चीख निकल जती। मेरा लवा अब निकलने वला था। उधेर भुवा भि उनगलि से चुत को चोद चोद कर अपनि मनज़िल के पस थी। तभि मैने एक झतके से लुनद निकला और उनकि चूत मे जर तक धनस दिया। भुवजि इसके लिये तैर नही थी, इस्सिलिये उनकि उनगली भि चूत मे हि रहा गयी थी जिस्से उनकि चूत तिघत लग रहा था। मैं भुवजि के बदन को पुरी तरह अपनि बहोन मे समेत कर दनदन शोत लगने लगा। वो भि समहल कर जोर जोर से अह्हह उह्हह्ह करती हुई चुतर आगे-पीचे करके अपनि चूत मे मेरा लुनद लेने लगी। हुम दोनो कि सनस फुल रही थी। अकिर मेरा जवलमुखि फ़ुत परा और मैं भभि कि पीथ से चिपक कर भुवा कि चूत मे झर गया। उनकि भि चूत को झरने को था और भुवजि भि चीखती हुई झर गयी। हुम दोनो उसि तरह से चिपके हुए पलनग पर लेत गयी और थकन कि वजह से सो गये।

उस रत मैने भभि कि चूत कम से कम चर बर और चोदा।

सुबहा करिब 10 बजे सुमन (दोसत कि बहन) ने मुझे उथा कर चै दी और कहा दिनु भैया फ़रेश हो कर नहा धो लो मैन नसता बनति हुन। घर मेन केवल उसे देख कर कहा मा और भुवजि कहन गये ” वो बोलि वे तो कब के खेत चले गये हैन। यहन अवज होगि इसलिये मा रात कि नीद खेत मेन हे पुरि करेगि और वे लोग शम से पहले लोतने वले नहिन हैन। और मैन फ़रेश होकर नहा धो कर नसता करने लगा। सुमन अपने कम मेन लग गयी। मैन कमरे मेन अकर कितब परने लगा। मुज़े कहिन बहर जना नहिन था इसलिये मैन केवल तौलिअ और बनियन मेन था।

करिब एक घनते बद सुमन अपना कम निबता कर कमरे मेन बिसतेर थीक कर आयी और मुज़से बोलि भैया आप उदर खुरसि पर बैथ जओ मुज़े बिसतर थीक करना हैन। मैन उथ कर कुरशि पर बैथ गया वो बिसतर थिक करने लगि।

चदर पर परे मेरे लुनद और भुवजि कि चूत के पनि के धब्बे रत कि कहनि सुना रही है। सुमन झुक कर निशन वलि जगह को सुनघ रही थी। मेरि तो उपर कि सनस उपर और नीचे कि सनस नीचे रहा गयी। थोदि देर बद सुमन उथ गयी और मेरि तरफ़ देखती हुइ अदा से मुसकुरा दी। फिर इथलते हुए मेरे पस आई और अनख मर कर बोले, “लगता है रत भुवजि के साद जम कर खेल खेला हैन।” मैं हिम्मत कर के बोला, “कया मतलब”” वो मुझसे सत-ती हुइ बोलि, “इतने भोले मत बनो। जनभुजकर अनजन बनरहे हो। कया मैन अछि नहिन लगति तुमे” मैन कुछ नहिन कहा और केवल मुसकरा दिया और मैने गौरसे देखा उसको। मसत लौनदिअ थी। सवमली से रनग, चरहरा बदन। उथि हुइ मसत चुनचेअन। उसने अपना पल्लो समने से लेकर कमर मे दबया हुअ था, जिस्से उसकि चुनची और उभर कर समने आ गयी थी। वो बत करते करते मुझसे एक दम सत गयी और उसकि तनि तनि चुनची मेरि ननगि चती से चुने लगा।

येह सब देख कर मेरा लुनद जोश मे फ़रफ़रा उथा। मैने सोचा कि इस्से जयदा अस्सह्हा मौका फिर नही मिलने वला। सलि खुद हि तो मेरे आई हुइ है। मैने हिम्मत कर के उसे कमर से पकर लिया और अपनि पस कीनच कर अपने से चिपका लिया और बोला, “चल सुमन थोदा सा खेल तेरे सथ भि हो गये, वो एकदुम से घबरा गयी और अपने को चुरने कि कोशिश करने लगी। पर मैं उसे कस कर पकरे हुए चुमने कि कोशिश करने लगा। वो मुझ से दुर हतने कि कोशिश करती जरहि थि पर वो बेबस थी। इसि दौरन मेरा तौलिअ खुल गया और मेरा 9” का फ़नफ़नता हुअ लुअरा अज़द हो गया। मैन कहा देखो मजे लेना हैन तो चलो बिसतर पर और उसे अपने बहोन मेन उथा कर बिसतेर पर लिता कर अपना लुनद उसकि गनद मे दबते हुए मैने अपनि एक तनग उसकि तनग पर चरा दिया और उसे दबोच लिया।

दोनो हथोन से चुनचेओन को पकर कर मसलते हुए बोला, “नखरे कयोन दिखती है” खुदा ने हुसन दिया है कया मर हि दलोगी, आरे हुमे नही दोगी तो कया अचर दलोगी” चल आजा और पयर से अपनि मसत जवनि का का मज़ा लेते हैन।” कहते हुए उसके बलौसे को खीनच कर खोल दिया। फिर एक हथ को नीचे ले जकर उसके पेत्तिसोअत के अनदर घुसा दिया और उसकि चिकनि चिकनि जनघो को सहलने लगा। धिरा धिरा हथ उसकि चूत पर ले गया। पर वो तो दोनो जनघोन को कस कर दबै हुए थी। मैं उसकि चूत को उपर से कस कस कर मसलने लगा और उनगली को किसि तरह चूत के अनदर दल दिया। उनगली अनदर होते हि वो कस कर चतपतै और बहर निकलने के लिये कमर हिलने लगी। इस्से उसका पेत्तिसोअत उपर उथ गया। मैने कमर पीचे कर के अपने लुनद को ननगे चुतर कि दरर मे लगा दिया। कया फुले फुले चुतर था। अपना दुसरा हथ भि उसकि चुनची पर से हता कर उसके चुतर को पकर लिया और अपना लुनद से उसकि गनद कि दरर मे रख कर उसकि चूत को मैं उनगली से चोदते हुए गनद कि दरर मे लुनद थोदा थोदा धनस रहा था। कुच हि देर मे वो धिलि पर गयी और जनघोन को धिला कर के कमर हिला हिला कर आगे और पीचे कि चुदै का मज़ा लेने लगी। “कयोन रनि मज़ा आ रहा है”” मैने धक्का लगते हुए पुचा। “हन भैयन मज़ा आ रहा।” उसने जनघे फ़ैला दी जिस्से कि कि मेरि उनगली असनि से उदेर-बहर होने लगी। फिर उसने अपना हथ पीचे करके मेरे लुनद को पकर लिया और उसकि मोतै को नप कर बोले, “है इतना मोता लुनद। चलो मुझे सिधा होने दो,” कहते हुए वो चित लेत गयी।

अब हुम दोम अगल बगल लेते हुए थे। मैने अपनि तनग उसकि तनग पर चरा लिया और लुनद को उसकि जनघ पर रगते हुए चुनचीओन को चुसने कगा। पथर जैसा सखत थी उसकि चुनची। एक हथ से उसकि चुनची मसल रहा था और दुसरे हथ कि उनगली से उसकि चूत चोद रहा था। वो भि लगतर मेरे लुनद को पकर कर अपनि जनघोन पर घिस रजी थी। जब हुम दोनो पुरि जोश मे आगये तब सुमन बोलि, “अब मत तरपओ भैया चोद दो मुझे अब।”मैने झतपत उसकि सरी और पेत्तिसोअत को कमर से उपर उथा कर उसकि चूत को पुरा ननगा कर दिया।

वो बोलि, “पहले मेरे सरे कपरे तो उतरो।” मैं बोला, “नही तुझे अध ननगी देख कर जोश और दौबले हो गया है, इस्सिलिये पहेलि चुदै तो कपरो के सथ होगी।” फिर मैने उसकि तनगे अपनि कनधोन पर रखी और उसने मेरा लुनद पकर कर अपनि चूत के मुनह पर रख लिया और बोले, “आऊ , शुरु हो जओ।” मैने कमर आगे कर के जोर दर धक्का दिया और मेरा अधा लुनद दनदनता हुअ उसकि चूत मे धनस गया। वो चिला उथि। “अहिसते भैया अहिसते दरद हो रहा हैन और उसने अपनि चुत को सिकोद ली जिस से मेरा लुनद उसकि चूत से बहर निकल आया। मैने उसकि सखत चुनची को पकर कर मसलते हुए फ़िर अपना लुनद उसकि चुत पर रख कर एक और शोत लगया तो मेरा सुपदा उसकि चुत मैन घुस गया कुच देर तक मैने कुछ हरकत नहिन कि और उसके होतोन को अपने होतोन मेन लेकर चुसने लगा। उसकि आनखोन से अब भि आनसु निकल रहे थे थोदि देर बद वो थोदा सनत हुयी और अब मैन दुसरा शोत लगया तो मेरा बचा हुअ लौरा भि जर तक उसकि चूत मे धनस गया। मरे दरद के उसकि चिख निकल गयी और बोले, “बरा जलिम है तुमहरा लौरा। किसि कुनवरि चोकरी को इसतरह चोदोगे तो वो मर जयेगी। समभल कर चोदना।”मैं उसकि चुनचेओन को पकर कर मसलते हुए धिरे-धिरे लुनद चूत के अनदर-बहर करने लगा। चूत तो इसकि भि तिघत।

आँटी की चुदाई ट्रेन में

हाय मैं फिर से हाजिर हूं। मैंने अपनी कहानी ” ब्ल्यू टूथ के जरिये चुदाई पार्ट-2″। इसके बाद तब तक मुझे सन्तुष्ट नही हुआ जब तक कि आपके मैंल्स मुझे मुझे नहि मिले थे। अब मैं आपके समक्ष एक नई कहानी बताता हूँ जब कि मै बिलासपुर से तिरुवन्तमपुरम ट्रेन मैं यात्रा कर रहा था। इस आण्टी की चुदाई तो बड़ी ही साधारण सी थी।

अब आप तो मुझे जान ही गये है। मै 22 वर्षीय युवक हू। ये आण्टी रायपुर से ट्रेन में चढी थी। वो अपनी 2 वर्ष की बेटी के साथ इस कम्पार्टमैंन्ट में चढ गई। उसकी सीट बिलकुल मैंरे साथ की थी। ये सीट मात्र दो जनों के लिये पर्याप्त थी, मतलब आप समझ सकते है।

जब मैं रायपुर स्टेशन पर उतरा तो मै उसके पति से मिला। उसके पति ने मैंरा मोबाइल नम्बर लिया और मुझे कहा कि प्लीज मेरी बात मेरी बीवी से समय समय पर करवाये। मैं मान गया और मैंने अपने मोबाइल नम्बर उसे दे दिया। उसका नाम था सुरेश उतना सुन्दर नहीं था पर उसकी बीवी का नाम श्वेता था और मा कसम बिलकुल डेयरी मिल्क कि तरह वो साफ़ सुथरी थी। तो उसके पति ने उसी समय उसकी बीवी से मेरा परिचय करवाया। उसकी मुस्कान मैं जादू था। जैसे कि एक नया फूल बाग में खिल रहा हो। ठीक 12 बजे ट्रेन वहा से चल दी। और उसके पति ने मुझे धन्यवाद कहा।

अब होना क्या था मैंने उसके बेटी को अपने गोद में लिया और खूब प्यार करने लगा। फिर श्वेता आण्टी ने कहा कि मैं कपड़े बदल कर आती हूँ तो तब तक मैं उसकी बेटी का ख्याल रखूं। जब वो कपड़े बदलकर आई तब मैंने देखा उसकी ब्रा थोड़ी पारदर्शी थी। मैं उसके बूबस को देखता रह गया। थोड़ी देर बाद मुझे जब होश आया तो मैंने उसका पूरा परिचय लिया तब मैंने जाना कि वो चैनई मैं रहती है और उसके पति रायपुर के किसी बैंक में काम करते हैं और छुट्टी के वक्त वो चैन्नई आते थे। तब मैंने तुरंत सोच लिया कि ये शायद सेक्स नहीं करती होगी। अचानक उसकी बेटी ने मैंरे लिप्स को किस किया जिसका मैंने भी उसे प्यार से उत्तर दिया। और वो हम दोनो के किस को बड़े प्यार से देख रही थी।

जब सोने का वक्त आया तो मैंने देखा उसकी बेटी मेरे साथ सोने कि ज़िद कर रही हैं तो श्वेता आण्टी ने मुझे अपनी बेटी मुझे दे दिया। मैं उपर सो रहा था और श्वेता नीचे सो रही थी। पर मैं कहा सो पा रहा था उसकी मस्त जवानी को देख देख कर मैं उसकी दो साल कि बेटी को किस पे किस किये जा रहा था। तब आधे घन्टे बाद श्वेता उठकर अपनी बेटी को उठा रही थी कि अचानक मैंने थोड़ा सा उदास होने का नाटक करने लगा। मैंने कहा कि प्लीज अपनी बेटी को मेरे पास सोने दे। तो उसने तुरंत मुझे अपनी बेटी दे दी और वो नीचे थोड़ी देर बैठ कर चुपके से रोने लगी।

मैं तुरंत नीचे उतरकर उनसे सॉरी कहा। तो उसने कुछ नहीं कहा। फिर मैंने थोड़ी सी हिम्मत करके उनका हाथ पकड़ कर मेरे गाल पर थोड़ा ज़ोर से थप्पड़ दिलवाया तो वो मुझे कहने लगी कि ये क्या कर रहे हो? मैंने कहा कि अगर मैं आपकी बेटी अपने साथ ना सुलाऊं तो ठीक हैं मुझे माफ़ करना। तो वो थोड़ा और रोने लगी। वैसे मैं उस कम्पार्टमेन्ट के बारे मैं बता दूं। वैसे तो हमरे बगल वाला खाली था। और हम ए सी में यात्रा कर रहे थे तो उसमें परदे लगे होते हैं जिससे कोई हमें देख नहीं सकता था।

तो मैंने उसका हाथ पकड़कर पूछा कि वो क्यू रो रही हैं तो उसने बताया कि उसके पति उससे प्यार नहीं करते हैं और ना ही उसकी बेटी से। तो मैंने कहा ऐसा ना कहे वो अपको ज़रुर याद करते होंगे। तो वो फिर भी रोने लगी मैंने और थोड़ी सी हिम्मत करके उनके आंसू पोछा तो उसने मैंरे हाथ को पकड़ कर उसे किस किया। जिससे मैं कुछ ना कह सका। मैंने धीरे से उसके कान के पास जाकर कहा कि मैं उसकी बेटी से और उसकी खूबसुरत मा से बहुत प्यार करता हु। तो उसने आंखे बन्द करके मुझसे लिपट गई।

मैं उसके बूबस को फ़ील कर रहा था, तो उसने भी धीरे से जवाब दिया कि चलो अब बेटी से प्यार खतम हो गया हो तो उसकी मा को प्यार करो। मैंने उसे पहले उसके माथे पर किस किया फिर मैं उसके कानों को फिर नाक को फिर उसके गालों को मैंने अच्छी तरह से चाटा और फिर उसके मुलायम से होठ को किस करने लगा। वो थोड़ी गरम हो गई थी।

मैंने उससे कहा कि तुम सो जाओ, तो उसने कहा- क्यूं ? मैंने कहा तुम पहले लेट जाओ फिर देखो मेरा जादू।

वो तुरंत मुसकुराई और लेट गई। मैं तुरंत बाथ रूम गया और अपनी चड्डी निकाल कर मैं सिर्फ़ अपनी लोवेर पहनकर वापस आया। वो मेरा बेसबरी से इन्तज़ार कर रही। थी मैं उसकी आंखो मैं प्यार कि प्यास देख सकता था। मैं अन्दर बैठ गया और मैंने परदा गिरा दिया ताकि हमें कोई ना देख सके। मै अब धीरे से उसके बूबस को मसल रहा था। वो बेचारी ज़ोर जोर से चिल्लाना चाहती थी पर वो चिल्ला ना सकी और अपने आवाज़ पे उसने कन्ट्रोल किया। मैंने धीरे से उसके के अन्दर हाथ डालकर उसकी ब्रा खोल दी। उसने कहा कि मुझे नंगी कर दो। तो ये बात सुनकर और गरम हो गया। मैंने बड़े आरम से उसकी चूड़ीदार को उतारा और उसके बूब्स और उसके लिप्स के साथ प्यार करता रहा।

मैंने भी अपने कपड़े उतारे मैं सिरफ़ बनियान और अपने लोवर मैं था। और वो सिरफ़ अपने पजामा और पेण्टी के साथ थी। मैं उसके बूबस के साथ 15 मिनट तक प्यार करता रहा। फिर मैंने अपना हाथ उसके पाजामें के अन्दर डालकर उसके चूत को पेण्टी के बाहर से सहला रहा था। वो मुझे पागलो कि तरह देख रही थी। फिर उसने मेरे लिप्स को प्यार से काटा जिस्से मैं और मेरा नटराज पेन्सिल और गरम हो गये। मैंने अपनी हाथो से उसका नाड़ा खोला और उसकी पेण्टी को थोड़ा नीचे कर दिया और अब मैं उसे धीरे धीरे उसकी चूत के अन्दर अपने उन्गली घुसा रहा था। उसकी चूत तो पहले से हाय गीली थी। अब मैंने उसको अपने दोनो उन्गली से उसके स्लिट को टटोला तो उसकी सांसे तेज़ हो गई और मुझे वो नज़ारा देखने मैं बड़ा मज़ा आ रहा था। मैंने अचानक तीन अंगुली उसकी शरपनेर (चूत) मैं ज़ोर ज़ोर से अन्दर बाहर करने लगा अब तो वो बेकाबू हो गई थी। वो मेरा साथ देने लगी थी। मैं उसे किस भी कर रहा था और एक हाथ उसके बूबस और निपल्स को मसल रहा था और दूसरा हाथ उसके चूत में ज़ोर ज़ोर से घुसा रहा था। ठीक पांच मिनट के बाद उसने अपना ज्यूस बाहर निकाला और मैं उसके सामने उसे चाटने लगा तो उसने कहा – ऐसा तो मेरे पति भी नहीं करते हैं। तो मैंने कहा प्लीज इस वक्त अपने पति को मत याद करो तो वो थोड़ा मुसकुराई और मैंने उसे कहा अब मेरा क्या होगा ? तो उसने कहा – चलो बाथ रूम मे चलें।

दोस्तों आगे की कहानी अगर आप पढना चाहते हैं तो मुझे मेल करे। वैसे मैं अभी चैन्नई में हूं।

mos0411@yahoo.com

मोम की चुदाइ

हेल्लो दोसतोन मेरा नाम रजु हे और मेन सलिम मेद हेघत(5′ 7″) और वेघत अरौनद 50-55 हे। मेन 26 साल का हुन मेन इनदिअ मेन देहरदुन मेन रेहता हुन। आज मेन आपको मेरे और मेरे मोम के सेक्स कि कहनि सुनता हुन। येह बात आज से करिब 6-7 साल पेहले कि है जब मेरि उमर 20 साल कि थि और मेरि मोम 32 कि थि। मेरि जवनि शुरु हुइ थि उनकि जवनि के शोलेय भदकते थे। मेरि मोम बहुत सेक्सी और सुनदर है। शे हस गोत अ बेऔतिफ़ुल बोदी शपे 36-28-36। शे हस गोत मेद बूबस अस वेल्ल अस बुत्तोसकस उनका सुदोल गोरा बदन बहुत हसिन हे। वैसे वोह मेरि रेअल मोम नहि हे वह मेरे दद कि सेसत्रेतरी थि बाद मेन पपा ने मता जि कि सोनसेनत से उस्से उनोफ़्फ़िसिअल्ली शदि कर लि। मेन पेहले उनको सनधया औनती कहता था पेर अब मोम हि कहता हुन।

में मोम को जब भि देखता तो मुझे उनका सेक्सी फ़िगुरे देखकर मन मे गुदगुदि होति थि। मैने उनको एक दो बर दद के ओफ़्फ़िसे मेन अधा ननगा (जैसे जब वह सकिरत पेहनति थि तो उनकि थिघस बदि जबरदसत होति थि तब वह मेरे पपा कि सेसत थि। एक दो बार मेने मोम को दद के ओफ़्फ़िसे के पवत रूम मेन जो चनगिनग रूम सुम रेसत रूम था मेन छुप कर कपदे चनगे करते भि देखा था। और मेन उनके चूचे और चद्दि के नीचे के अरेअ को छोदकर पुरा ननगा देख चुका था। मोम कि बोदी एकदुम सनगमरमर कि तरह चकनि थि। उनकि जनघेन ऐसि लगथ थि जैसे दो केले का जोदा हो। उनके होनथ एकदुम गुलब कि पनगुरियो कि तरह थे और गाल एक दुम कसमिरि सेब जैसे पिनक।

मोम एकदुम तिते फ़ित्तिनग के कपदे पेहनति थि और मेन उनको बहुत नज़दीक से देखकर अपनि अनखो को सुकुन दिया करता था। मतलब जब से मेरा लुनद खदा होना सुरु हुअ वोह बुस सनधया (मोम) को हि तलशता और सोचता था। मेन उनकि बोदी को देखकर अपने मा और अनखोन कि पयस बुझया करतह था। लेकिन पेहले जब तक वह सनधया औनती थि मुझे उनसे नफ़रत थि और मेन सोचता थना कि एक दिन इनको तसल्लि से चोदकर अपनि भदस निकलुनगा। पेर बाद मेन उनके लिये मेरे पपा के पयर ने और उनके अच्चहे बहविऔर ने मुझे चनगे कर दिया।

अब वो हमरे घर पेर फ़िरसत फ़लूर मेन रेहति थि दद और उनका बेद रूम फ़िरसत फ़लूर पेर था और हुम लोग गरौनद फ़लूर पेर रेहते हेन। दद सनधया(मोम) के साथ फ़िरसत फ़लूर पेर हि सोते हेन बेद रूम के सथ हि एक और रूम हे जो अस अ सोम्मोन रूम उसे होता हे। धीरे धीरे मेन मोम के और करिब आने लगा वह शयद मेरा इरदा नहि समझ पा रेहि थि वह मुझको वहि 12-15 साल का बछचा समझति थि पेर अब मेन जवन हो गया था। जैसे हि मेने सोल्लेगे मेन अदमिस्सिओन लिया तो दद ने ओफ़्फ़िसे का वोरक भि मुझको सिखन सुरु कर दिया और मेन भि फ़री तिमे मेन रेगुलरली ओफ़्फ़िसे का कम देखने लगा। मोसतली मेन अस्सौनतस का कम देखता हुमन कयोनकि मेन सोम्मेरसे सतुदेनत था।

सोल्लेगे मेन भि मुझे कोइ लदकि मोम से जयदा सेक्सी नहि लगति थि। अब मेन जब मौका मिले मोन को तौच करके, जैसे उनकि जनघोन पेर हाथ फ़ेर के, उनके चूतद पेर रुब करके या कभि जनबुझकर उनके बूबस छु लिया करता। मोम पता नहि जनबुझकर या अनजने इगनोरे कर देति थि या वह मेरा मोतिवे नहि समझ पति थि।

कभि दद रात को मुझे अपने बेद रूम मेन बुलते थे और ओफ़्फ़िसे के बरे मेन मोम और मेरे साथ दिससुस्स करते। कयोनकि मोम मोसतली निघत गोवन मेन होति थि और मेन पुरि तसल्लि से उनकि बोदी का मुअयना करता था। उनके बूबस बिलकुल पके हुये आम जैसे मुझे बदा ललचते थे, कै बार मोम को भि मेरा इरदा पता चल जता था पेर वोह कुच नहि केहति थि। अब तो मेरि बेचैनि बदति जा रेहि थि और मेने मोम कि चुदै का पक्का इरदा कर लिया और मौके कि तलश करने लगा।

एक दिन जब दद ने मुझे फ़िरतस फ़लूर पेर रात को 11 बजे बुलया तो मेन उपेर गया तो दद ने बतया कि उनको निघत मेन 1 बजे फ़लिघत से 1 वीक के लिये उरगेनत बहर जना हे और वोह मुझे और मोम (सनधया) को जरुरि बतेन बरिएफ़ करने लगे। मोम थोदा घबरा रहि थि तो दद ने कहा सनदी दरलिनग उ दोनत वोर्री तुम और रज सब समभल लोगे, रज तुमहरि मदद करेगा। कोइ परोबलेम हो तो मुझे सल्ल करना वैसे यौ विल्ल मनगे थेरे विल्ल बे नो परोबलेम। उसके बाद दद ने मुझेसे कहा कि सनदी थोदा नुरवौस हे तुम जरा बहर जओ मेन उसको समझता हुन।

मेन बहर आ गया तो दद ने उनदेर से दूर बनद कर दिया, लेकिन मुझको दौबत हुअ कि दद मेरि अबसेनसे मेन सनधया (मोम) को कया समझते हेन। मेन केय होले से चुपके से देलहने लगा। लुसकिली दूर पेर सुरतैन नहि चदा था और लिघत भि ओन थि। लेकिन मेने जो देका तो मेन सतुन रेह गया दद मोम को बहोन मेन लेकर किस्स कर रेहे थे और मोम सरी कर रेहि थि। फ़िर दद ने मोम के होनथ अपने होनथो पेर लेकर दीप किस्स लिया तो मोम भि जबब देने लगि। फ़िर दद मे मोम का गोवन पेचे से खल दिया और पीथ पेर रुब करने लगे। मोम और दद अभि भि एक दुसरे को किस्स कर रेहे थे और दोनो लमबि सनसे ले रेहे थे कि मेन सुन सकता था। फ़िर दद ने मोम का गोवन पीछे से उथया और उनकि चद्दि भि नेचे करके मोम के चूतद पेर रुब करने लगे। मोम कि पीथ दरवजे के तरफ़ थि जि करन मुझे मोम कि गनद और चूतद के दरशन पेहलि बार करने का मौका मिला। मोम के चूतद एक दुम सनगमरमर से मुलयम और चिकने नजर आ रेहे थे मोम सरी भि कर रेहि थि और मसति मेन लमबि सनसेन भि ले रहि थि।

फ़िर अचनक दद ने मोम का गोवन आगे से उपेर किया और उनकि चूत पेर उनगलियन फ़िरने लगे पेर मेन कुच देख नहि पया कयोनकि वोह दुसरि सिदे थि। फ़िर दद दुसरि तरफ़ पलते तो मोम कि चूत वलि सिदे मेरे तरफ़ हो गयि और अब मेन मोम कि चूत थोदि बहुत देख सकता था। पेर दूर से कुछ नज़र सफ़ नहि आ रेहा था मोम कि छोत का मेन अनदज़ लगा सकता था कयोनकि दद वहन पेर उनगलियन फ़िरा रेहे थे और मोम के खदे होने के करन चूत पुरि ननज़र नहि आ रेहि थि। वोह बुस एक छोति लिने से दिख रेहि थि जहन दद उनगलि फ़िरा रेहे थे। उसके बद दद नीच झुके और मोम कि चूत पेर अपने होनथ रख दिये। ये मुझे साफ़ नहि दिख रेहा था पेर मेन गुएस्स कर सकता था मोम अब जोर जोर से सिसकरियन लेकर मज़ा ले रहि थि और दद भि मसति मेन थे।

लेकिन अचनका जने कया हुअ कि दद रुक गये और उनहोने मोम को छोद दिया और मोम को लिपस पेर किस्स करते हुये बोले दरलिनग इ म सोर्री इ सनत गो बेयोनद लेत इ सोमे बसक, रज इस अलसो औत अनद इ म गेत्तिनग लते इ म वेरी सोर्री। मोम भि तब तक शनत हो चुकि थि पेर वोह उनसतिसफ़िएद लग रेहि थि। वोह नोरमल होते हुये बोलि इतस ओक और उनहोने अपना गोवन थीक किया। उसके बद दद ने मुझको अवज लगते हुये कहा रज र उ थेरे बेता मेन चौकन्ना हो गया और अपने को नोरमल करने लगा कयोनकि मेरा लुनद एकदुम खमबे के मफ़िक खदा हो गया था और मेरि धदकन भि नोरमल नहि थि। लेकिन जब तक दद दूर खोलते मेन नोरमल हो गया था। फ़िर दद ने दरवजा खोला और बोले दरिवेर को बुलओ और मेरे समन गदि मेन रखो। रात कफ़ि हो गयि हे उ दोनत नीद तो सोमे ऐरपोरत इ ल्ल मनगे अनद पलेअसे सी थे थे ओफ़्फ़िसे अनद फ़ोर ओने वीक तके लेअवे फ़रोम थे सोल्लेगे अनद अस्सिसत सनदी। मेन और मोम दद को दरोप करने जना चहते थे पेर दद ने सत्रिसकतली मना कर दिया। दद को हमने गूद बये कहा और दद ने हुमको बेसत ओफ़ लुसक कहते हुये किस्स किया।

जब दद चले गये तो मोम ने मुझसे कहा कि रजु आज तुम उप्पेर वले कमरे मेन हि सो जाओ मुझे कुच अच्चहा नहि लग रेहा हे। मेन तो ऐसे मौके कि तलश मेन हि था मेन एकदुम से थोदा झिझकने का नतक करते हुये हौन कह दिया। मोम और मेन फ़िरसत फ़लूर पेर आ गये और मोम बेद रूम मेन चलि गयि उनहोने मुझे पुछा कि र उ सोमफ़ोरतबले ना मेने कह येस। वोह बोलि असतुअल्ली इ म नोत फ़ीलिनग वेल्ल इसलिये तुमको परेशन किया मेन कह इतस ओक मोम। फ़िर मो उनदेर चलि गयि और मेन बहर सोम्मोन रूम मेन लिघत ओफ़्फ़ करके सो गया। मोम थोदा घबरा रेहि थि इसलिये उनहोने दरवजा बनद तो किया पेर लोसक नहि किया और निघत लमप ओफ़्फ़ नहि किया। अब मेरे को तो नीनद कहन आनि थि मेन तो मोम के सथ सपनो कि दुनियन सजा रेहा था और मेरि नज़र मोम कि असतिवितिएस पेर थि। करिब अधे गहनते बद मोम मेरे कमरे मेन आयि और जैसे हि उनहोने लिघत ओन कि तो देखा मेन भि लेता हुअ जग रेहा हुन।

मोम बोलि रज लगता हे तुमको भि नीनद नहि आ रेहि हे 2।00 बज गये हेन तुम भि शयद अपने दद के बरे मेन और कल ओफ़्फ़िसे के बरे मेन सोच रेहो हो। मैने कहा बात तो आप थीक कर रहि हेन पेर पता नहि कयोन मुझे ऐसि कोइ वोर्री नहि हे पेर नीनद नहि आ रेहि हे आप सो जाओ मेन भि सो जता हुन थोदि देर मेन नीनद आ जयेगि। मोम बोलि ओक रज पेर मेन थोदा सोमफ़ोरतबले नहि फ़ील कर रेहि हुन तुम सो जओ मेन लघत ओफ़्फ़ कर देति हुन।

तब मेन मोम से कहा कि मोम अगर आप बुरा ना मने तो ऐसा करतेन हेन कि उनदेर हि मेन भि अपके पास बैथा हुन बतेन कते हुये शयद नीनद आ जये। वोह बोलि गूद इदेरा चलो अनदेर आ जओ और मेन और मोम उनदेर बेद रूम मेन चले गये। मेन उनदेर चैर पेर बैथ गया और मोम बेद पेर बैथ गयि। फ़िर मोम बोलि रजु थनद जयदा हेन तुम भि बेद पेर हि बैथ जाओ। मेने मना करने का बहना बनया पेर मोम ने जब दुबरा बोला तो मेन उनके समने बेद पेर बैथ गया और रजै से अधा सोवेर कर लिया। अब मेन मोम को तसल्लि से वथ कर रेहा था और रजै के उनदेर मेन पयजमे का नदा थोदा धीला कर लिया था। फ़िर मेने मोम से कहा कि ओफ़्फ़िसे कि बात नहि करेनगे कुछ गप्प शप करतेन हेन मो बोलि ओक। तो मेने कहा मोम तुम बुरा ना मनो तो तुमसे एक पवत बात केहनि थि मोम बोलि सोमे ओन दोनत फ़ुस्स खुल कर कहो।

मैने कहा मोम उ र मोसत बेऔतिफ़ुल लदी इ एवेर मेत, इ रेअल्ली मेअन इत मेन गप्प शप नहि कर रेहा हुन। मेन आज से नहि जब से तुमको देखा हे तुमको अपनि कलपना अपना पयर और सब कुच मनता हुन। उ र रेअल्ली गरेअत मोम अनद उर फ़िगुरे इस मरवेलौस अनद एवेन मोसत गोरगेऔस गिरल ओफ़ 16 सनत बेअत उर बेऔती अनद सेनसुअलिती। मेन ये सब एक हि सथ कह गया कुछ तो मेन कहा कुछ मेन कहता चला गया पता नहि मुझे कया हो गया था। मोम मुझे देखति रहि और हसने लगि बोलि तुम पगल हो एक बुदिया के दिवने हो गये हो। मैने कहा नो मोम उ र मरवेल्लौस कोइ भि जवन लदकि तुमहरा मुकबला नहि कर सकति। मोम पलेअसे अगर तुम मेरि एक बात मन लो तो मेन तुमसे जिनदगि मेन कुछ नहि मनगुनगा। मोम बोलि अरे बुद्दहु कुछ बोलो भि ये शयरोन कि तरह शयरि मत करो मेन तुमहरि कया हेलप कर सकति हुन। मैने कहा मोम पलेअसे बुरा मत मन्नना पर मेन तुमको सबसे खुसुरत मनता हुन इसलिये अपनि सब से खुबसुरत लदी कि खुबसुरति को एक बर पुरि तरह देख लेना चहता हुन, मोम पलेअसे मना मत करना, नहि तो मेन सहसमुच मर जौनगा और अगर जिनदा भि रेहा तो मरे जैसा हि समझो।

मोम एकदुम चुप हो गयि और सोचने लगि फ़िर धीरे से बोलि रजु तुम सहसमुच दिवनेहो गये हो वह भि अपनि मोम के। अगर तुमहरि येहि इच्चहा हे तो ओक बुत परोमिसे मेरे सथ कोइ शररत नाहि करना नहि तो तुमहरे दद को बोल दुनगि और आनख मरते हुये बोलि तुमहरि पितै भि करुनगि। मैने कहा ओक पेर एक शरत हे कि मेन अपने आप देखुनगा आप शनत बैथि रेहो। मोम बोलि ओक मेन मोम के नज़दीक गया और मोम का गोवन का पेछे का बुत्तोन खोलकर मोम के गोवन को दोवन कर दिया फ़िर उसको उनकि कमर से नेचे लया। इसके बद मेने रजै हतयि। अब मोम मेरे समने उपेर से सेमि नुदे हो गयि थि उनके उप्पेरपेर केवल बरा हि रेह गयि थि।

मोम बिलकुल बुत कि तरह शनत थि मेन नहि समझ पा रेहा था कि उनको कया हुअ हे। मुझे लगता हे कि वह बदे सोनफ़ुसिओन मेन थि पेर मेन बदा खुस था और एक्ससितेमेनत मेन मेरि खुसि को और बदा दिया था। फ़िर मेने मोम का गोवन उनकि तनगोन से होते हुये अलग कर दिया। अब मोम केवक पनती और बरा मेन बेद पेर लेति थि। फ़िर मेने मोम कि बरा का हूक खोल दिया मोम कि एक चेख सि निकलि पेर फ़िर वह चुप हो गयि। फ़िर मेन मोम कि बरा को उनके शरिर से अलग कर दिया। उनके बूबस देखकर मेन पगल हो गय और एक्ससितेमेनत मेन मेने उनके बूबस को चूम लिया। मोम कि सिसकरि निकल गय पेर नेक्सत मोमेनत वहो सत्रिसत होति हुयि बोलि रजु बेहवे उरसेलफ़ तुमने वदा किया था। मेने कहा मोम तुम इतनि मसत चीज़ हि कि मेन अपना वद भुल गया। फ़िर मेने मोम कि पनती को निकलने लगा और मोम ने भि इसमे मेरि मदद कि पेर वोह एक बुत सि बनि थि। उनकि इस हरकत से मेन भि थोदा नुरवौस हो गया पेर मेने अपना कम नहि रोका। और पनती के नेकलते हि मेरे कलपनये सकर हो गयि थि मेन मोम कि चूत पेहलि बार देखि थि एकदुम चिकनि मकमल जैसि और एकदुम बनद ऐसा लगति थि जैसे सनतरे कि दो फ़नकेन होन। मेने बलुए फ़िलमोन मेन बहुत सि चूतेन देखि थि पेर वोह एकदुम चौरि और मरकस वलि होति हेन पेर मोम कि चूत को देखकर येह लगता हि नहि था कि वोह एक 32 साल कि औरत कि चूत हे। सबसे बदि बात ये थि कि वोह एक दुम सलेअन सवे बलद थि और गोरि ऐसि कि तजमहल का तुकदा। अब मेरे समने एक 32 साल कि लदकि ननगि लेति थि आप खुद सोचो ऐसे मेन एक 20 साल के लदके का कया हाल हो रेहा होगा।

फ़िर मेने कहा मोम पलेअसे मेन एक बर तुमहरि बोदी को महसुस करना चहता हुन कि एक औरत कि बोदी के रेअल तौवह का कया अहसस होता हे। मोम बोलि तुम अपना वदा यद रखो सोच लो वदा खिलफ़ि नहि होनि चहिये। मेन उनका सहि मतलब नहि समझ पया पेर उनकि ननगि कया देखकर मेन पेहले हि बेशुध हो चुका था अगर कोइ कमि थि तो मोम के रेसपोनसे कि और मेरे पेहले एक्सप कि वजह से झिझक कि। फ़िर मेन मोम के लिपस का एक दीप किस्स लिया उअर उनको उनकि पेथ से बहोन मेन ले लिया और उनकि पीथ पेर रुब करने लगा। मोम का कोइ रेसपोनसे नहि आया पेर उनके बूबस का तौच मुझे पगल कर रेहा था ऐसा तौच मुझे पेहलि बर हुअ था मेन समझ नहि पा रेहा था कि वोह बूबस थे या मरबले और वेलवेत्ते का मिक्स, आअह फ़रिनदस इत वस अ रेअल्ली गरेअत फ़ीलिनग। उसके बाद मेने मोम को पलता और अब उनकि पीथ पेर किस्स करने लगा और उनके बूबस को मसलने लगा। ऊह इ वस इन 7थ सकी फ़रिएनदस इ सनत तेल्ल उ कया मज़्ज़ा आ रेहा था। मोम भि अब कोइ विरोध नहि कर रहि थि पेर उनका रेसपोनसे बहुत पोसितिवे नहि था। पेर मुझे अब इस बात का कोइ अहसस नहि था कि मोम कया सोच रहि हे। मिएन तो सचमुच जन्नत के दरवजे कि तरफ़ बद रेहा था और मोम कि बोदी का तसते ले रेहा था।

मोम के बूबस का रस सचमुच बदहि रसीला था मेने अब उनके निप्पले पेर दनतो से कतना सुरु किया तो मोम पेहलि बार चीखि और बोलि अरे कात दलेगा कया, आरम से कर हरमि। मिएन समझ गया कि अब मो भि मसत हो चुकि हेन मेने अपना पयजमा उतर दिया और बनियन भि उतर दि अब मेन केवल उनदेरवेअर मेन था। कुच देर मोम के बूबस छोसेने के बाद मेने मोम कि नवेल पेर किस्स करना सुरु कर दिया तो मोम बे पेर उछलने लगि और सिसकरिया लेने लगि। मिएन हथोन से उनके बूबस दबा रेहा था और होनथोन से उन नवेल को चुम रेहा था। फ़िर मेन और नेचे गया और मोम के अबदोमेन के पस और पुबिस अरेअ मेन किस्स करने लगा। दोसतोन मेन बता नहि सकता और आप भि केवल मस्सुस कर सकते हिएन कि कया मज़्ज़ा आ रेहा था।

इसके बाद मेने मोम कि तनगोन पेर भि हाथ फ़िरना शुरु कर दिया उनकि तनगेन बदि मुलयम और समूथ थि। मुझे लगता हे मो अपनि बोदी का बहुत खयल रेखति हेन और दद भि तो उनकि इस लजबब बोदी के गुलम हो गये थे। बुत शे इस गरेअत लदी रेअल्ली इन अल्ल रेसपेसत और इस तिमे तो वोह मेरि सलिओपेत्रा बनि हुयि थि। अब मेन मोम कि तनगोन और जनघोन पेर अपना कमल दिखन शुरु कर दिया और मेन कभि उनको चुमता कभि दबता और कभि रुब करता। मोम भि अब तक मसत हो चुकि थि और मेरा पुरा साथ दे रहि थि पेर मेने अब तक एनत्री गते पेर दसतक नहि दि थि मेन मोम को पुरा मसत कर देना चहता था और मेने अपने लुनद को फ़ुल्ल सोनत्रोल मेन रखा था। मेन मोम कि बोदी को अभि भि अपने होनथो और उनगलियोन और हथोन से हि रोनद रेहा था।

अब तो मोम भि पुरि तरह गरम हो चुकि थि और वदे वलि बात भुलकर मसति मेन पुरे जोर से मेरा सथ दे रहि थि। और चेखने लगि अरे रजु अब आ भ जा यार पलेअसे मत तदपा जलिम जलदि से मेरे उपेर आ जा। मेने कहा बुस मोम जुसत वैत मेन तययर हो रेहा हुन बु एक मिनुते रूक जाओ मेन भि आता हुन। तभि मोम ने मेरा उनदवेअर नेचे खेनसक दिया और वोह बोलि अबे मदर छोद अपनि मोम कि बात नहि मनेगा। इतना कहकर उनहोने अब मेरा लुनद पकद कर जोर से दबा दिया मेरि तो चीख निकल गयि और अब तक जो मेरा लुनद तययर था बिलकुल बेतब हो गया।

मेने मोम कि दोनो तनगोन को दूर करते हुये उनकि रिघत थिघ पेर बैथ गया और उनके चूतद को दोन्नो हथोन से धकेलते हुये अपना लुनद उनकि चूत के पास ले गया और पुरे जोर का धक्का दिया तो मेरा अधा लुनद उनक चूत मेन समा गया। मेरि तो चेख निकल गयि लेकिन मोम को कुछ तसल्लि हुयि और वोह मेरे अगले असतिओन का इनतज़ार करने लगि। मेने एक और ज़ोरदर धक्का लगया तो पुरा लुनद उनदेर चला गया अब मेने धीरे धीएरे उनदेर बहर करना सुरु किया और मोम कि दुसरि जबघ को अपने कनधे कि तरफ़ रख दिया रिघत थिघ पेर बैथ कर अपना चुदै करयकरम सुरु कर दिया। अब तो मोम पुरे मज़े मेन आ गयि और मेरा पुरा सहयोग करने लगि। पुरे कमरे मेन मेरे और मोम के चुदै परगरम का मुसिस सुरु हो गया।

मोम भि शह्हह।।अह्हह करने लगि बोलि अनदर तक घुमदे अपना लुनद,,मैं भि जोर से अनदर बहर करने लगा बोलि मसति आ रहि है तुझेभि, मज़ा आ गया आज बहुत दिन बाद जवानि का मज़ा पाया है कसम से आज तुने मुझे अपनि जवानि के दिन याद दिला दिये अयययययीईईईइ ईईईईईस्सस्सस्सस्स मैर भि बहुत जोश के साथ चुदायि कर रहा था मैं बोलै आज तेरि चूत कि धज्जियान उदा दूनगा अब तु दद से चुदवाना भूल जायेगि हर वकत मेरा हि लुनद अपनि चूत मे दलवाने को तदपा करेगि मोम – आआआआआह्हह्हह्हह्ह आआआयीईईईइ कया मज़ा आ रहा है, फ़ुसक मे हरद र्रर्रर आआआआआ ज्जज्जज्जज्जज्ज ऊउ जूऊऊउ सोमे ओन और फ़सत उ मी दरलिनग। मेन भि बोला येस मी फ़ैर लदी सुरे।

मोम बोलि मुझको सनधया के नाम से बुलओ कहो सनधया मेरि जान, मेने ओक सनधया दरलिनग ये ले मज़्ज़ा आअ रेहा हे ना आज मेन भि अपने लुनद से तेरि चूत को फ़द के रख देता हुन। वह चिल्ला रहि थि आअह गूद। म्मम्मम्मम्मम्मम आआअह्हह्हह्हह्हह्ह उह्हह्हह्हह्हह्ह म्मम्मम्मम्म। फ़िर अचनक जब मुझे कुछ दबव सा महसूस होने लगा तो मोम बोलि रजु अब बुस एक बार अब धीरे धीरे कर दे मेरा तो पनि निकल दिया तुने। मेने सपीद थोदा कम कर दि और अब मोम और मेन थकने भि लगे थे। अचनक मेरा सरा दबव मेरे लुनद के रसत मोम कि चोत कि घति मेन समा गया और मोम भि शनत हो गयि। और हु दोनो एक दुसरे के उपेर लते गये। मेरा लुनद मोम कि चूत के उनदेर हि था एक दुसरे से बिना कुच बोले हि हुम दोनो वैसे हि सो गये। मोरनिनग जब नीनद खुलि तो 6।00 बज गये थे और मेरा लुनद मोम कि चूत मेन वैसे पदा था।

मेने मोम को जगया तो वह शरमने सा लगि फ़िर बोलि रजु तुम तो एकदुम जवन हो गये हो, तुमने आज इस 32 सल कि बुदिया को 16 साल कि गुदिया बना दिया।तब मेने कहा अब तु मुझे बुलयेगि कयो बोल? और उसने मुझे अलग करके दूर करते हुये कहा जरुर मेरि जान। अपने उपर लितया मुझे किस्स किया मैने भि फिरसे मोम के मथे पर, बूस पर, नभि पर किस्स कर बगल मे हि लेत गया और सुबा तक एक सथ लिपत केर चिपक कर सोये रहे, 7।00 बजे मोम ने उथया और मुसकरयी, बोलि यद रखना इसको रज रखना?मैं भि बोला ऐसे हि एनत्रतैनमेनत करति रहना।

तो दोसतोन ये तो थि मेरि और मोम कि चुदै कि कहनि आप को कैसि लगि मुझको मैल करके बतना मेरा एमैल इद हे raju4email@yahoo.com। येह तो सुरुआत हे अभि तो कै कहनियन हेन बुस आप मेरि सतोरी पदते रहेन और मैल करके बतते रहेन।

बेहन की चूत

मेरा नाम हेर्री हैन मेरि दो बेहेने हैन एक कि शदि हो चुकि हैन ओर अभि कनवरि हैन।

ये बात 1 महिने पुरनि हैन मे ओर मेरि बेहेन घर पे अकेले थे। ओर मे सो रहा था तो मुझे मेरि बेहेन कि अवज सुनै दि वो बथरूम मे नहा रहि थि मेरा लुनद वैसे हि तना हुअ था मेने सोचा आज अपना काम हो जयेगा ओर एक चूत चोदने के लिया मिल जयेगि मुम्मी भि घर पे नहि हैन।

मैने बथरूम के दूर पे अनखैन लगा के अनदेर देखा तो मुझे जयोति कि चूत कि झलक मिल गयि मेरा लुनद ओर तन्न कया अब मेरा मन चूत चोदने का होने लगा वो अपना सरिर पुनछ रहि थि तो मे अनदेर आ गया ओर सोने का नतक करने लगा जयोति को लगा कि मे सो गया इसलिये वो तोवेल लपेत के कमरे मे आ गयि उसने निचे बरा ओर पेनती पेहेन रथि थि कमरे कि लिघत भि बनद थि तो उसे भि कोइ दर नहि था लेकिन मा उसे देख रहा था उसे पेहले लिघत ओन कि ओर देखा कि मे सो रहा हो या नहि लेकिन मे तो सोने का नतक कर हो इसका उसे यकिन नहि हुअ ओर उसने अपने सरिर से तोवेल अलग कर दिया मे तो देखता रहा गया मिलक जैसे सरिर था उसका।

वो अपने सरिर पे सरेअम लगा रहि थि मे धिरे से उथा ओर उसके पिछे जके खरा हो गया वो अपने सरिर पे सरेअम लगा रहि मेरा लुनद अब सिरफ़ चूत चहत था अब वो जो भि मुझे तो चूत चहिये थे तो मेने धिरे अपने लुनद अपनि शोरत से निकला ओर उसकि गानद पे दबने लगा वो मुरने कि कोसिस करने लगि तो मेने उसे पकर लिया ओर वैसे कि खरे रेहने के लिये कहा वो बोलि भैया नहि ये पाप हे तो मैने कहा किसि पता नहि चलेगा तो सिरफ़ चुप हो जा।

मे उसे उथा के अपने बेद पे ले अया ओर उसको ओर अपने आप को एक चदर से धक लिया तब मेने पेहले अपने कपरे उतर फिर उसकि पेनती ओर बरा उतरि जयोति मेरे सथ मेरे बेद पे ननगि लेति थि मे उसे फ़रेनच किस्स कर रहा था वो मेरा लुनद सेहला रहि थि मेरा परेसुम आ रहा था मेने उस्से कहा जयोति देख तो कनवरि हैन ओर तेरि चूत तिघत हैन मेरा लुनद मोता हैन दरद होगा तो सेहलेना ओर खून भि निकले गा थिक हैन तो उसे हा मे सिर हिला दिया तब मेने अपने परेसुम उसकि चूत पे लगया ओर लुनद को उसकि चूत मे दलने लगा उसकि चूत बहुत तिघत थि उसे दरद भि हो रहा था लेकिन वो भि अपना सहयोग दे रहि थि बोलि भैया सरेअम लगा लो या फ़रेअज़े मे देसि घि रखा ले आओ मेने देसि घि निकला ओर थोरा अपने लुनद पे ओर थोरा उसकि चूत पे लगया ओर धिरे-धिरे लुनद उसकि चूत मे घुसने लगा लुनद का सुपरा अनदेर गया तो ऐसा लगा जैसे जन्नत मे पहुत गया लेकिन जयोति को बहुत दरद हो रहा था ओर उसके अनसू निकल रहे थे तो मेने उसके बूबस दबने ओर चोसने सुरु का दिया उसे थोरा – थोरा मज़ा अने लगा 10 मिनुत बद जयोति बोलि भैया अभि अपका अधा लुनद तो बहर हैन अपको मज़ा अ रहा मेने कहा नहि जयोति तुझे दरद हो रहा हैन ना तो जयोति बोलि भैया मुझे तो ये दरद होगा हि पुरा दलने पे भि उतना हि दरद होगा जो अभि हो रहा हैन तो बोलि भैया आप भि बुस चूत मरनि हैन तो पुरा घुसा के मरो बुस मेरा मुह किसि चिज़े से दबा देना तकि मेरि चिख ना निकले थिक हैन तो मैने उसके होतो पे अपने होत रखे ओर एक हि झतके मे अपने अपना पुरा लुनद जयोति कि चूत मे घुस्सा दिया उसकि चिख मेरे मुह पे दब के रह गयि ओर उसकि चूत कि झिल्लि फत गयि ओर खून बेहने लगा थोरि देर हुम उसि मुदरा मे परे रहे फिर धिरे-धिरे मे अपने लुनद अगे पिचे करने लगा हुमे 20 मिनुत हो चुके थे ओर मुनजिल भि दुर थि।

मे जयोति के उपेर आ गया ओर चुदै सुरु कि पेहले ज़ोर लगना पर रहा था लेकिन धिरे-धिरे सपीद बधै ओर चुदै का मज़ा सुरु हो गया सुबह के 6 बज रहे ओर हुम भै-बेहेन किसि मिया-बिवि कि तरह चुदै मे लगे हुअ थे जयोति को भि बरा मज़ा आ रहा था कमरे के उनदेर जयोति अवज ओर हमरि चुदै कि अवज गुनज रहि थि मे जन्नत मे था बरा मज़ा आ रहा था जयोति कि चूत मरने मे। हुमे अब तक 30 मिनुत हो चुके थे तभि जयोति बोलि भैया मेरि चूत से कुछ निकनेवला हैन। जयोति कि चूत से उसका पनि बोनद-बोनद करके गिरने लगा मेरा लुनद अभि भि उसकि चूत मे घुस्सा हुअ था ओर वो एकदुम सनत हो चुकि तभि मुझे भि लगा कि मेरा लुनद भि झरना वला हैन तो मेने अपनि सपीद दधा दि ओर ज़ोर-ज़ोर से शोत लगने लगा ओर लुनद ने ज़ोरदर पिचकरि छोरि ओर मेरा विरी मेरि बेहेन कि चूत मे गिरने लगा जयोति से चिपक गया जयोति भि एकदुम तिघत होके मुझसे चिपक गयि।

हुम दोनो भै-बेहेन उसि तरह 30 मिनुत तक सोते रहे मेरा लुनद अभि भि उसकि चूत मे था ओर फिर से चुदै करने के तिययर हो रहा था ओर जयोति भि चुदने के लिया तिययर थि ओर हुमने एक ओर बार चुदै कि।

तब से अब तक मेने जयोति को 10 बार चुदा हैन ओर वो गरभनिरोधक मेदिसिने का इसतेमल करति हैन कयोकि मुझे बिना सोनदुम के चोदना पसनद हैन। बकि फिर कभि

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मौसि और मा को चोदा

दोस्तों मैं इस्स सीटे का रेगूलर र्ेआडेर हूँ और देसी स्टोरय को काफ़ी पसंद करता हूँ. इतनी कहानियाँ पड़ने के बाद मेरा भी मान सेक्श करने का काफ़ी करता हैं लेकिन आज तक मौक़ा नहीं मिला.

आज जो कहानी मैं सुनने ज़रहा हूँ वोह मेरे साथ बीती हुई साची कहानी हैं एह वाक़या आज से क़रीब एक महीने पहले की हैं सबसे पहले मैं आप को मेरे परिवार से परिचित करा दूं ताकि आप मेरी सत्या कथा का आनाद ले सके

मैं अपने मा बाप का एक्लॉता बेटा हूँ अभी मेरी उमर 19 साल की हैं और मैं स्य ब्कों का एक्शम दिया है मेरा सरीर हटता काटता बलिस्ट हैं पैर मेरा रंग सांवला हैं हम मुंबई के चावल मे सिंग्ले रूम मैं रहते हैं जब मैं 5 साल का था पिताजी का स्वार्ग्वस हो गया था. मेरी मा अब जो की 38 साल की हैं और सरीर सवाला और मोटा हैं जिसके कारण जब वोह चलती है तो उसके छूतर काफ़ी हिलते हैं उन्होने फाकटोरय मैं काम कर कर मेरी पड़ाई लिखाई कर रही थी और पिछले 2 साल से मैं एक प्रिवते कोंपँय मैं पार्ट टीमे कोँपुटेर ओपेरटोर का काम करता हूँ और कोल्लागे भी जाता हूँ

हमारे घर मैं अब केवल 3 सदस्या रहते हैं मैं मेरी मा और मेरी मौसी. मेरी मौसी की उमर 36 साल की हैं और वोह भी विधवा हा. उनके पति का देहांत क़रीब 3 साल पहले हूवा था और उनकी कोई औलाद नही थी. इसलिए मा ने मौसी को अपने पास बुला लिया और दोनोत साथ साथ फाकटोरय मैं काम करने लगे.

एक ही रूम होने के कारण हम तीनो साथ साथ सोते थे. मेरे बाजू मैं मौसी सोती थी, मौसी के बगल मैं मा सोती थी. सोते समय मा और मौसी अपने ब्रा और लेहंगा उतर कर केवल निघटय पहनते थे (वोह दोनो निघटय उसे नहीं करते थे. दिन मैं सारी ब्लौसे और इननेर गारमेंट्स मैं ब्रा और लेहंगा पहनते थे.) और मे केवल लूंगी और उंडेर्वेआर पहनकर सोता था

एक दिन अचानक क़रीब 12:30 बजे रात को मेरी नींद खुली क्यों की मुज़े पेसब लगी थी पैर मैने देखा की मौसी की निघटय कमर तक उठी हुई थी वोह दीरे दीरे आाााहह्हहा उईई की आवाज़े निकल रही थी और वोह अपने दाहिने हाथ की उंगलियों से अपने छूट के अंदर बाहर कर रही थी और उनका बयान हाथ मा की छूट को सहला रहा था. एह देखते ही मेरा लंड टन कर 6 इंच लंबा और क़रीब 2.75 इंच मोटा हो गया था. कुछ देर के बाद मौसी सो गयी थी सायद उनका पानी झार गया था और वो सो गयी थी. लेकिन मुज़े नींद नहीं आरही थी और बार बार मौसी की हरकत मेरे नज़ारो के सामने नाच रहा था. खेर कुछ देर बाद उठ कर मैं पेसब करने चला गया और ना जाने कब नींद आगाईी.

आब मैं मौसी को वासना की नज़रों से देखता था. अगले दिन सनीवार था मैं मा से कहा की मा साम को चिक्केन बनाना मा ने कहा ओफ़्फ़िसे से आते समय चिक्केन ले आना. मैने कहा ठीक हैं मा.

एक बात मैं आप को बताना भूल गया की 1-2 महीने मैं मा और मौसी कभी कभी विश्कय का 1-1 पग पीते थे. एक दिन मैं दोस्तो के साथ होटेल मैं पी कर घर आया तो मा ने आते हे पूच्छा “बेटा क्या तुमने सारब पी हैं मैने कहा “हाँ मा, एक दोस्त मुज़े होटेल लेगाया और वहाँ हम लोगो ने विश्कय पी” मा के कहा बेटा आब तू बड़ा होगया है और अगर तुज़े पीना है तो घर पैर पीया करो क्यों की बाहर पीने से पैसे ज़्यादा लगते हैं और आदत भी ख़राब होती हैं मैने कहा “टिक हैं मा, आब से मैं घर मैं ही पीया करूँगा” उस दिन के बाद जब भी मेरा मान 1-2 महीने मैं पीने का होता हैं तो मैं घर पैर हिस विश्कय पिया करता हूँ और पीते समय मा और मौसी भी मेरा साथ देती हैं

सनीवार को साम को ओफ़्फ़िसे से आते समय मैं चिक्केन लाया और साथ मैं विश्कय की बोतले भी लाया. क़रीब 09:30 बजे मा ने आवाज़ दी चलो खाना त्यार है आज़ाओ. मौसी 3 ग्लस्स और विश्कय ले आई और हम तीनो पीने लगे मा और मौसी केवल 1-1 पेग पीए और मैने 3 पेग पयी. खाना खाने के बाद मा और मौसी ने सब काम ख़तम करके सोने की टायरी करने लगी रोज़ाना की तरह हम तीनो सो गाये रात क़रीब 1:15 बजे मैं पेसब करने उठा तो देखा की मौसी, मा की तरफ़ करवत करके लेती थी और उनका दाहिना पैर मा के पैर पैर था और मा की निघटय घुटनो के थोड़े उपर तीस उठी हुई थी जबी मौसी की निघटय छूटारो से थोड़ी नीचे तट सर्की हुई थी. मैं ने बिना आवाज़ किया पासेब करके लॉता तो देखा की दोनो गहरी नींद मैं सोए थे शायद विश्कय के असर से उन्हे गहरी नींद अगयी थी. मैने धीरे से मौसी की निघटय तो कमर थे उठा दिया. अब मौसी की झांतू से भारी छूट साफ़ नज़र आरही थी. मौसी का दाहिना पैर मा के पैर पैर होने के कारण मौसी की छूट की दोनो काली फ़ंके फैली थी और अंदर का गुलाबी भाग साफ़ नज़र आराहा था. उनकी छूट को देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और उंडेर्वेआर से बाहर आगया. मुज़स्े रहा नहीं गया और सोचा की मौसी की छूट मैं लंड पेल दूं पैर हिमत नही हो रही थी. फिर मैने मौसी की तरफ़ करवत करके सोने का नाटक करने लगा और मैने मेरा लंड हाथ से पकड़ कर मौसी के छूट के पास रख दिया. दर की वजह से मैं लंड को उनकी छूट मैं घूसा नही सका क्यों की अगर मौसी जाग जाए गी तो शायद नाराज़ हो कर मा से सिकायत कर देगी. इसलिए लंड को छूट के पासस लगा कर धीरे धीरे लंड को लगड़ ने लगा ऐसा करते हुवे कुछ हे देर के बाद मेरे लंड ने बहुत सारा विर्या मौसी की छूट पैर और झांटो पैर जा गिरा.

सुबहा सुंदय होने के कारण मैं क़रीब 11 बजे उठा. तो मुज़े मौसी और मा को धीमे आवाज़ मैं बात करते सुना. मुज़े लगा शायद मौसी मेरी शिकायत मा से कर रही हो इसलिए मैं ध्यान लगाकर उनकी बातें सुन ने लगा.

मौसी: दीदी पता है रात को क्या हूवा

मा: क्या हूवा?

मौसी: रात जब मैं क़रीब 2:30 बजे पासद के लिए उठी तो देखा की दिनू बेटा का लंड बाहर निकला हूवा था

मा: शायद उसका उंडेर्वेआर दिला होगा इसलिए उसकी नूनी बाहर निकल आई होगी ?

मौसी: दीदी अब उसकी नूनी, नूनी नही रही, अब तो मरडो की तरह लंड बन चुका है

मा: अच्छा, तब तो उसकी सदी की टायरी करनी पड़ेगी. खेर एह बताओ कितना बड़ा लंड था उसका.

मौसी: उसका सिकुड़ा हूवा लंड ही काफ़ी बड़ा लग रहा था

मा: अस्चर्या से “अच्छा, तब तो जब उसका लंड खड़ा होगा तो काफ़ी बाद होगा”

मौसी: और दीदी मैं जब पेसड़ करके उठी और छूट को साफ़ करने लगी तो मेरे हथेली पैर झांतू से और छूट की फ़ानको से कुछ चिपचिप लग गया. शायद नींद मैं बेटे का लंड का पानी गिरा होगो.

मा: इसलिए कहती हूँ रात मैं नींद मैं अपनी निघटय का ख़याल रखना छैइए तुज़े. क्यों की अक्सर मैं देखती हूँ तेरी निघटय कमर थे आ जाती हैं

अब मैं समाज गया की रात को जो कुछ भी मैने किया उसका मौसी ने बूरा नहीं माना. और मैं उठ कर नहा ढॉकर नस्ते का वैट करने लगा. इतने मैं मा नी मौसी से कहा, दिनू को नस्टा डेडो मैं कपड़े सूखने जा रही हूँ.

मौसी मेरे लिया नस्टा लेके आई और पास हे बैठ गयी रात की घटना के बाद मैं मौसी को कमुक निगाहों से देखता था. जब मेरी नज़र उनकी चूचि पैर पड़ी, तो उन्होने पूच्छा क्या देख रहे हो बेटा मैने कहा मौसी आज आप ख़ूबसूरत लग रही हो. मौसी हँसी और उठकर चली गयी

रात को खना खने के बद हुम सब सोने कि तयरि मैन लग गये। पर मुज़े निनद नहि आरहि थि मैन केवल सोने का नतक कर रहा था अयर मौसि को कैसे चोदा जये येह पलन्निनग बना रहा था। करिब 12:45 को मैन आनख खोल कर देखा तो मौसि आज रत भि कल रात कि तरह सोयी थि लेकिन आज उनकी निघती पुरि कमर के उपर थि और उनकि चूत मुज़े सफ़ नज़र आरहि थि। उनकि चूत देख कर मेरा लुनद खदा हो कर चोदने के लिये तयर हो चूका था इतने मैन मेरे दीमग मैन एक इदेअ आया मैने उथ कर लिघत बनद करदि और मेरे लुनद पेर देर सरा तेल लगा के आया। अब मैन मौसि कि और करवत कर कल रत कि तरह उनकि चूत के मुख पर लनद रख दिया। मेरा लुनद का सुपदा चिकना होने के करन थोदा मौसि कि चूत मैन चला गया। मुज़े मौसि कि चूत का एहसस लुनद पर महसूस हुवा जिस करन मैन और उतेजित हो गया और धीरे से जोर लगा कर आदा सुपदा मौसि कि चूत मैन दल दिया। आदा सुपदा जते हि मौसि के सरिर मैन कुच हरकत हुयी मैने सोचा शयद मौसि जग गयी होगि इसलिये कुछ देर तक ऐसे हे सोने का नतक करने लगा। जब कुछ देर तक मेरे सरिर से कुछ हरकत ना होने पर मौसि ने थोदि गनद मेरि और सरका दि जिस करन मेरा पुरा सुपदा उनकि चूत मैन घूस गया। मैन समज नहि पया कि मौसि ने निनद मैन यह हरकत कि या जनभूज़ कर, खै मैने हिमत जुतयी और एक हाथ उनकि बूब पर रख दिया और होले होले दबने लगा। इतने मौसि सिधि होकर सोगयी जिस करन मेरा लुनद चूत से बहर निकल गया। थोदि देर बद मैने मौसि का हथ मेरे लुनद पर महसूस किया। वोह मेरे लुनद को पकद कर अगे पिछे कर रहि थि मैन भि एक हथ से उनके बूबस दबा रहा था और दुसरे हथ से उनकि चूत सहला रहा था। येह करिया हुम लोग करिब 5 मिनुतेस तक करते रहे फिर मौसि ने मेरे कन मे कहा बेता तुम मेरि चूत कि और मुहा रख कर मेरि चूत को चतो मैन तुमरा लुनद चतुनगि। अब हुम 69 कि पोसितिओन मैन हो कर एक दुरे का चूत और लुनद चुमने चतने लगे। मैन जब अपनि जिभ से उनकि चूत के फ़नको रगद तथा तो वहो आआआआह्हह्हह्हह्हह्हह ऊऊऊऊईईईई माआआआ कि धीरे धीरे अवजे करति थि। कुच देर बद उनकि चूत से सफ़ेद पनि अगया और उस वकुअत उनहोने मेरा सिर पुरि तरह से चूत पर दबा रका था जिस करन मेरे मुहा पर पुरा चूत का पनि लग गया। फिर मौसि ने मुज़े अपनि तरफ़ करते हुवे कहा बेता अब रहा नहिन जता हैन जलदि से तुमहर येह मोता लुनद मेरि चूत मैन दल दू। मैन भि जोस मैन आगया था और मौसि कि चूतर के निचे तकिया रख कर उनकि चूत को थोदा उथा दिया और अपने लुनद का सुपरा चूत के मुहा पर रख कर एक जोरदर धका लगया, एक हि दक्के मैन मरा अधा लुनद उनकि चूत मैन चला गया था और जोरदर दक्के के करन उनकि मुहा से हलकि सि चिख निकल गयी। ऊऊउईईई माआआआआआअ धीईईईईईएरीईईईए दाआआआअल्ललूऊऊऊ।।।। उनकि हलकि चिख सुन कर मा जग चुकि थि लिकिन अनधेरा होने के करन वोह हमे या हमरे चुदै को देख नसकि और पुछा कया हुवा, मौसि ने दीमे से मा के कन मैन कहा कुच नहि मैन अपनि चूत मैन उनगलि दल कर अनदर बहर कर रहि थिस कि मुज़से रहा नहिन गया और मैन हलकि चिख उथि। मा ने कहा थिक है अवज़ धीरे करो कयोकि बगल मैन दिनु सोया है। हलकि उनदोनो ने इतनि धीमि अवज़ मैन बात चित करि फिर फि रात होने के करन मुज़े उनकि बात चित सुनै पदि। अब मैन कुच देर रुख गया था मेरा आदा लुनद अभि भि मौसि कि चूत मैन घूसा था। थोदि देर बद मैन मौसि के होतोन को चूसना शुरु किया और फ़िर से एक जोरदर धका मरा तो मेरा लुनद पुरा चूत मैन चला गया। मेरा लुनद जद तक घूसते हि मौसि चिलने कि कोसिस लकिन मेरा मुह मौसि के मुह मैन था इसलिये वोह चिला ना सकि। थोदि देर बद मैन अपना लुनद अनदर बहर करने लगा जिस से मौसि को जोश आगया और धीरे धीरे ऊऊऊऊउईईई ऊऊऊऊफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़ और चोदो मुज़े कहने लगि मैन करिब 20 मिनुतेस तक उनहे चोदता रहा इसि बिच मौसि 4 बर झर चुकि थि जब मेरा पनि निकलने वला था मैन अपना लुनद उनकि चूत से निकल कर मुह देदिया और मेरा पनि मौसि के मुह मैन पुरा भर गया और वोह मेरे पनि तो गतगत पिने लगि। फिर मैन मौसि के बगल मैन अकर लेत गया। कुच देर बद मैने मौसि हथ मैन अपना सिकुदा हुवा लुनद पकदा दिया। मौसि मेरे लुनद को सहलने लगि और पुचा कि अभि भि पेत भरा नहिन कया मुज़े चोद कर ? मैने कहा मौसि मैन अब आप कि गनद भि मरना चहता हुन। उनोहने कहा बेता मैने आज तक गानद नहि मरवै और तुमहरा लुनद भि कफ़ि बदा और बोता हैन मुज़े तकलिफ़ होगि। मैने कहा दरो मत मैन आहिसता आहिसता दलूनगा तो मौसि बोलि बेता पहले अपने लुनद पर और मेरि गनद मैन धेर सरा तेल लगलो तो लुनद असनि से गानद मैन चला जयेगा। मैने कहा थिक हैन मैन तेल कि बोत्तल ले के आता हुन तुम पेत के बल अपनि गानद फैला कर रखना और मैन तेल लेने चला गया। अनदेरा होने के करन मुज़े तेल कि शिशि नहिन मिल रहि थि तेल कि शिशि जब लेकर आया तो कफ़ि समय लग गया तो देखा कि मौसि पेत के बल लेति हुयी थि मैने कहा अपने दोनो हथोन से अपनि गानद फैला दो तकि मैन गानद मैन अछि तरहा से तेल लगा सकु। उनोहोने कुच नहि कहा और अपने दोनो हथोन से चूतर पकर कर गनद फ़ैला दी, मैने अपनि हथेलि पर धेर सरा तेल दल कर उसकि गानद के छेद मैन तेल लगने लगा जब धेर सरा तेल लगा चुका तो मैने अपनि एक उनगलि उनकि गानद मैन दल दि। उनगलि मैन तेल लगा होने के करन मेरि बिच कि उनगलि असनि से अरम से घूस गयी लेकिन उनहोने मेरा हथ पकद कर बहर खिचा जिस वजहा से मेरि उनगलि गानद से बहर निकल आयी शयद उनको दरद हुवा होगा। अब मैन अपने लुनद पर भि कफ़ि तेल लगा लिया था मेरे लुनद के सुपदे पर भि कफ़ि तेल लगा लिया था तकि सुपदा असनि से उनकि गानद मैन जा सके। अब मैन उनसे कहा कि अपने दोनो हथो से चूतर को फ़ैला लो तकि गानद मैन लुनद दलने मे असनि हो जयेगि। उसने अपने दोनो हथो से अपनि चूतर उथा कर फ़ैला दी। अब मैन अपने लुनद का सुपदा उनकि गानद कि छेद पर रख कर हलका सा पुश किया थोदा सा सुपदा जते हि उनहोने अपनि गानद सिकोद लि जिस करन मेरा सुपदा गानद से बहर निकल गया। मैने पुचा गान कयोन सिकोदि, कया दरद होरहा हैन उनहोने केवेल अपना सिर हिला कर हान का जवब दिअय। मैने कहा आप अपने मुहा मैन निघत का कुच हिशा दबले तकि दरद होगा तो अवज़ नहि निकलेगि वरना अवज़ सुनकर मा जग जयेगि। उनोहोने उपने मुह मैन निघती का कुच भग दल दिया, अब मैने दोबरा उनसे चूतर फ़ैलने को कहा और उनकि गानद कि छेद पर लुनद का सुपदा लगा कर एक जोरका दक्का मरा मेरा लुनद का सुपदा पुरा गानद मैन घूस गया और उनके मुह से घून घून कि अवज़ आने लगि कयोन कि मुह मैन कपदा दबा हुवा था। कुच देर बद मैन फिर से एक जोरदर दक्का मरा मेरा पुरा लुनद गानद मैन घूस गया था और दरद के मरे उनका सरिर काप रहथा। अब मैन अपने लुनद तो अनदर बहर करने लगा। अभि गनद मरते हुवे मुज़े 10 मिनुतेस हि हुवे थे कि अचना किसि ने लिघत जला दि और रोशनि मैन मैने देखा मौसि कि जगह मा लेति हुयी थी और मैन मा कि गनद मर रहा था अनद लिघत जलने वलि मौसि पस्स हे ननगि खदि मुज़े मा कि गानद मरते हुवे देख रहि थि। अचनक मा को देख कर मैने अपने लुनद मा कि गानद से निकल लिया, और मा ने भि अपने मुह से कपदा निकल लिया और कहने लगि फिर से मेरि गानद मरो जब तुमने गानद मैन पुरा लुनद दल दिया था तो अब कया दरना मा से मैने फिर अपना लुनद मा कि गान मैन घूसा दिया और मा कि गानद मरने लगा। मैन जब मा कि गानद मर रहा था मा कहा रहि थि बेता आज तुमे मा कि गानद कि सेअल तोद दि। और जोर जोर से अनदर बहर करो अपना येह घोदे जैसा लुनद। अब मैन मा से पुचा अछा मा येह तो बतो तुम मौसि कि जगह कैसे आगयी। उनहोने कहा : दिनु जब तुम मौसि को चोद रहे थे तब मुज़े कुच सक होगया कयोन कि तुमहरि मौसि के मुह से ऊऊऊऊउईईईइ म्मम्मम्माआआआअ कि अवजे निकल रहि थि और जब तुम तेल लेने गये तम तुमहर मौसि ने मुज़े सब बता दिया इसतरह मौसि कि जगह मैं आगयी तुमसे गानद मरवने। चल जलदि से अब मेरि चूत मैन अपना लुनद पेल दे अब रहा नहिन जता। मैने तुरनत हे अपना लुनद निकल कर मा कि चूत मैन दल कर पेलने लगा और जब मैन मा को चोद रहा था मौसि मा कि मुह पर अपनि चूत रख कर रगर रहि थी करिब 20 मिनुतेस के बद मैने अपना विरया मा कि चूत मैन दल दिया इसी दरमियन मा 3 बर झर चुकि थि।

अब 2 महिने से मैन मा और मौसि को रोज़ रोज़ नयी नयी सतयलेस मैन चोदता हून।

बाप का पाप

दोस्तो मेरा नाम अंकिता हैं और मैं मेरे घेर मैं सबके साथ छुड़ाई कर चुकी हो मुझे मेरे घर मैं और ससुराल मैं भी सबसे छुड़ाई हूआमैं पूरी सोलह साल की हो चुकी और मैं औरत मर्द के रिश्ते को समझती थी. एक बार पापा को मम्मी को छोड़ते देखा तू इतना मज़ा आया की रोज़ देखने लगी. मैं पापा की छुड़ाई देख इतना मस्त हुई थी की अपने पापा को फंसानॠका जाल बुन ने लगी और आख़िर एक दिन कामयाबी मिल ही गयी. पापा को मैने फँसा ही लिया. अब जब भी मौक़ा मिलता, पापा की गोद मैं बैठ उनसे चूचियाँ दबवा दबवा मज़ा लेती. पैर अभी तक केवल चूचियों को ही दबवा पाई थी, पूरा मज़ा नही लिया था. मेरे मामा की शादी थी इसलिए मम्मी अपने मयक़े जा रही थी. रात मैं पापा ने मुझे अपनी गोद मैं खड़े लंड पे बिठाकर कहा था बेटी कल तेरी मम्मी चली जाएगी फिर तुझे कल पूरा मज़ा देकर जवान होने क मतलब बताएँगे. मैं पापा की बात सुन ख़ुश हो गयी थी. पापा अब अपने बेडरूम की कोई ना कोई विंडो खुली रखते थे जिससे मैं पापा को मम्मी को छोड़ते देख सकूँ. ऐसा मैने ही कहा था. फिर उस रात पापा ने मम्मी को एक कुर्सी पैर बिठाकर उनकी छूट को छाटकार दो बार झाड़ा और फिर 3 बार हचाक कर छोड़ा फिर दोनो सो गाये. अगले दिन मम्मी को जाना थाआज मम्मी ज्जा रही थी पापा ने मेरे कमरे मैं आ मेरी चूचियों को पकड़कर दो टीन बार मेरे हूत चूमे और लंड से छूट दबा कहा की तुम्हारी मम्मी को स्टेशन छ्छोड़कर आता हून फिर आज रात तुमको पूरा मज़ा देंगे. मैं बड़ी ख़ुश थी. पापा चले गाये तू मैं घर मैं अकेली रह गयी. मैं अपनी चड्डी उतर पापा की वापसी का इंतेज़र कर रही थी. मैं सोचा की जब तक पापा नही आते अपनी छूट को पापा के लंड के लिए उंगली से फैला लून. तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटाया. मैने छूट मैं उंगली पेलते हुवे पूच्हा, “कौन है” मैं हून उमेश. उमेश का नठसुन मैं गुड़गूदी से भर गयी. उमेश मेरा 20 य्र्स. का पड़ोसी था. वा मुझे बड़े दीनो से फासना छह रहा था पैर मैं उसे लाइन नही दे रही थी. वा रोज़ मुझे गंदे गंदे इशारे करता था और पास आ कभी कभी चूचि दबा देता और कभी गांड पैर हाथ फैर कहता की रानी बस एक बार चखा दो. आज अपनी छूट मैं उंगली पेल मैं बेताब हो गयी थी. आज उसके आने पैर इतनी मस्ती छ्छाई की बिना चड्डी पहने ही दरवाज़ा खोल दिया. मुझे उसके इशारो से पता चल चक्का थठकी वा मुझे छोड़ना चाहता है. आज मैं उससे छुड़वाने को तैइय्यर थी. आज सुबह ही पापा ने मम्मी को चेर पैर बिठाकर छूट चटकार छोड़ा था. मम्मी के भाई की शादी थी इसलिए वा एक सप्ताह के लिए गयी थी. पापा ने कहा था की आज पूरा मज़ा देंगे. इसके पहले पापा ने कई बार मेरी गाड्राई चूचियों को दबाकर मज़ा दिया था. मैं घर मैं अकेली चड्डी उतरकर अपनी छूट मैं उंगली पैल्कर मज़ा ले रही थी जिस से जब पापा का मोटा लंड छूट मैं जाए तू र्द ना हो. उमेश के आने पैर सोचा की जब तक पापा नही आते तब तक क्यों ना इसी से एक बार छुड़वकर मज़ा लिया. यही सोचकर दरवाज़ा खोल दिया.

मैने जैसे ही दरवाज़ा खोला उमेश फ़ौरन अंदर आया और मुझे देखकर ख़ुश हो मेरी चूचियों को पकड़कर बोला, “हाए रानी बड़ा अच्छा मौक़ा है.” मैं उसकी हरकत पैर सँसना गयी. उसने मेरी चूचियों को छ्छोड़कर पलटकर दरवाज़ा बंद किया और मुझे अपनी गोद मैं उठा लिया और मेरी दोनो चूचियों को मसलते हुवे मेरे हूँतो को चूसने लगा और बोला, “हाए रानी तुम्हारी चूचियों तू बहुत टाइट हैं. हाए बहुत तड्पया है तुमने रानी आज ज़रूर छोঠँगा.” हाए भगवान दो पापा आ जाएँगे. “डरो नही मेरी जान बहुत जल्दी से छोड़ लूंगा. मेरा टा है दर्द नही होगा.” वा मेरी गांड सहला बोला, “हाए चड्डी नही पहनी है, यह तू बहुत अच्छा है.” मैं तू अपने पापा से छुड़वाने के जुगाड़ मैं ही नंगी बैठी थी पैर यह तू एक सुनहरा मौक़ा मिल गया था. मैं पापा से छुड़वाने के लिए पहले से ही गरम थी. जब उमेश मेरी चूचियों और गालो को मसलने लगा तू मैं पापा से पहले उमेश से मज़ा लेने को बेठार हो गयी. उसकी छ्छेद छ्छाद मैं मज़ा आ रहा था. मेरी छूट पापा का लंड खाने से पहले उमेश का लंड खाने को बेताब हो गयी. मैं अपनी कमर लचकाती बोली, “हाए उमेश जो करना हो जल्दी से कर लो कहीं पापा ना आ जाए.” मैं पागल होती बोली तू उमेश मेरा इशारा पा मुझे बेड पैर लिटा अपनी पंत उतरने लगा. नंगा हो बोला, “रानी बड़ा मज़ा आएगा. तुम एकदम तैइय्यर माल हो. देखो मेरा लंड छ्होटा है ना.”

उसने मेरा हाथ अपने लंड पैर रखा तू मैं उसके 4 इंच के खड़े लंड को पकड़ मस्त हो गयी. इसका तू मेरे पापा से आधा था. मैं उसका लंड सहलती बोली, “हाए राम जो करना है जल्दी से कर लो.” उमेश के लंड पकड़ते ही मेरा बदन टापने लगा. पहले मैं दार्र रही थी पैर लंड पकड़ मचल उठी. मेरे कहने पैर वा मेरी टॅंगो के बीच आया और मेरी कसी कुँवारी छूट पैर अपना छ्होटा लंड रख धक्का मारा. सूपड़ा कुच्छ से अंदर गया. फिर 3-4 धक्के मारकर पूरा ल अंदर पेल दिया. कुच्छ देर बाद उसने धीरे धीरे छोड़ते हुवे पूच्हा, “मेरी जान दर्द तू नही हो रहा है. मज़ा आ रहा है ना” “हाए मारो धक्के मज़ा आ रहा है.” मेरी बात सुन वा तेज़ी से धक्के मरने लगा. मैं उससे छुड़वते हुवे मस्त हो रही थी. उसकी छुड़ाई मुझे जन्नत की सैरकरा रही थी. मैं नीचे से गांड उचकाती सीसियते हुवे बोली, “हाए उमेश ज़ोर ज़ोर से छोड़ो तुम्हारा लंड बहुत छ्होटा है. ज़रा ताक़त से छोड़ो राजा.” मेरी सुन उमेश ज़ोर ज़ोर से छोड़ने लगा. उसका छ्होटा लंड सक्साकक मेरी छूट मैं आ जा रहा था. मैं पहली बार छुड़ रही थी इसलिए उमेश के छ्होटे लंड से भी बहुत मज़ा आ रहा था. वा इसी तरह छोड़ते हुवे मुझे जन्नत का मज़ा देने लगा. 10 मिनिट बाद वा मेरी चूचियों पैर लुढ़क गया और कुत्ते की तरह हाफ़्ने लगा. उसके लंड से गरम, गरम पानी मेरी छूट मैं गिरने लगा. मैं पहली बार चूड़ी थी और पहली बार छूट मेनलॅंड की मलाई गिरी थी इसलिएमज़े से भर मैं उससे चिपक गयी. मेरी छूट भी तपकने लगी. कुच्छ देर हमलोग अलग हुवे.

वा कपड़े पहन चला गया. मेरी छूट चिपचिपा गयी थी. उमेश मुझे छोड़कर चला गया पैर उसकी इस हिम्मत भारी हरकत से मैं मस्त थी. उसने छोड़कर बता दिया की छुड़वाने मैं बहुत मज़ा है. उमेश ठीक से छोड़ नही पाया था, बस ऊपर से छूट को रग़ाद कर चला गया था पैर मैं जान गयी थी की छुड़ाई मैं अनोखा मज़ा है. उसके जाने पैर मैने चड्डी पहन ली थी. मैं सोच रही थी की जब उमेश के छ्होटे लंड से इतना मज़ा आया है तू जब पापा अपना मोटा तगड़ा ठड पेलेंगे तू कितना मज़ा आएगा. उमेश के जाने के 6-7 मिनिट बाद ही पापा स्टेशन से वापस आ गाये. वा अंदर आते ही मेरी कड़ी कड़ी चूचियों को फ्रॉक के ऊपर से पकड़ते हुवे बोले, “आओ बेटी अब हम तुमको जवान होने का मतलब बताएँगे.” “ओह पापा आप ने तू कहा था की रात को बताएँगे.” “अरे अब तू मम्मी चली गयी हैं अब हर समय रात ही है. मम्मी के कमरे मैं ही आओ. क्रीम लेती आना.” पापा मेरी चूचियों को मसलते हुवे बोले. मैं उमेश से छुड़वर जान ही चुकी थी. मैं जान गयी की क्रीम का क्या होगा पैर अनजान बन बोली, “पापा क्रीम क्यों” “अरे लेकर आओ तू बताएँगे.” पापा मेरी चूचियों को इतनी कसकर मसल रहे थे जैसे उखाड़ ही लेंगे. मैं क्रीम और टवल ले मम्मी के बेडरूम मैं फुँछी. मैं बहुत ख़ुश थी. जानती थी की क्रीम क्यों मंगाई है. उमेश से छुड़ने के बाद क्रीम का मतलब समझ गयी थी. पापा मुझे लड़की से औरत बनाने के लिए बेकरार थे. मैं भी पापा का मोटा केला खाने क तड़प रही थी. कमरे मैं पहुँची तू पापा बोले, “बेटी क्रीम तबले पैर रखकर बैठ जाओ.”

मैं गुड़गूदते मॅन से चेर पैर बैठ गयी तू पापा मेरे पीच्े आए और अपने दोनो हाथ मेरी कड़ी चूचियों पैर लाए और दोनो को प्यार से दबाने लगे. पापा के हाथ से चूचियों को दबवाने मैं बड़ा मज़ा आ रहा था. तभी पापा ने अपने हाथ को गले की ऊवार से फ्रॉक के अंदर डाल दिया और नंगी चूचियों को दबाने लगे. मैं फ्रॉक के नीचे कुच्छ नही पहने थी. पापा मेरी कड़ी कड़ी चूचियों को मूतही मैं भरकर दबा रहे थे साथ ही दोनो घुंडियों को भीमसल रहे थे. मैं मस्ती से भारी मज़ा ले रही थी. तभी पापा ने पूछा, “क्यों बेटी तुमको अच्छा लग रहा है” हाए पापा बहुत मज़ा आ रहा है. “इसी तरह कुच्छ देर बैठो. आज तुमको शादी से पहले ही शादी वाला मज़ा देंगे. अब तुम जवान हो गयी हो. हाए तुम लेने लायक हो गयी हो. आज तुमको ख़ूब मज़ा देंगे.” आााहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊहह्छ पाआआपाआा. “जब मैं इस तरह से तुम्हारी चूचियों को दबाता हून तू तुमको कैसा लगता है” पापा मेरी कचूचियों को नीचोड़कर बोले तू मैं उतावाली हो बोली, “हाए पापा ऊह् ससीए इस तरह तू मुझे और भी अच्छा लगता है.” “जब तुम कपड़े उतरकर नंगी होकर मज़ा लोगी तू और ज़्यादा मज़ा आएगा. हाए तुम्हारी चूचियों छ्छोटी हैं.” “पापा मेरी चूचियाँ छूती क्यों हैं. मम्मी की तू बड़ी हैं.” “घबरओ मत बेटी. तुम्हारी चूचियों को भी मम्मी की तरह बड़ी कर दूँगा. हाए बेटी कपड़े उतरकर नंगी होकर बैठो तू बड़ा मज़ा आएगा.” “पापा चड्डीभी उतर डून.” मैं अनजान बनी थी.” “हन बेटी चड्डी भी उतर दो. लड़कियों का असली मज़ा तू चड्डी मैं ही होता है. आज तुमको सारी बात बताएँगे. जब तक तुम्हारी शादी नही होती तब मैं ही तुमको शादी वाला मज़ा दूँगा. तुम्हारे साथ मैं ही सुहाग्रात मानौंगा. तुम्हारी चूचियाँ बहुत टाइट हैं. बेटी नंगी हो.” पापा फ्रॉक के अंदर हाथ डाल दोनो को दबाते बोले.

जब पापा ने मेरी चूचियों को मसलते हुवे कपड़े उतरने को कहा तू यक़ीन हो गया की आज पापा के लंड का मज़ा मिलेगा. मैं उनके लंड को खाने की सोच गुड़गूदा गयी थी. मैं मम्मी की रंगीन छुड़ाई को याद करती कुर्सी से नीचे उतरी और कपड़े उतरने लगी. कपड़े उतर नंगी हो मम्मी की तरह ही पैर फैला कुर्सी पैर बैठ गयी. मेरी छ्छोटी छूती चूचियाँ तनी थी और मुझे ज़रा भी शरम नही लग रही थी. मेरी जांघो के बीच रोएदार छूट पापा को सॉफ दठ रही थी. पापा मेरी गाड्राई छूट को गौर से देख रहे थे. छूट का गुलाबी छ्छेद मस्त था. पापा एक हाथ से मेरी गुलाबी काली को सहलाते बोले, “हाय राम बेटी तुम्हारी तू जवान हो गयी है.” क्या जवान हो गयी है पापा. “अरे बेटी तुम्हारी छूट.” पापा ने छूट को दबाया. पापा के हाथ से छूट दबाए जाने पैर मैं सँसना गयी. मैं मस्ती से भारी अपनी छूट को देख रही थी. तभी पापा ने अपने अंगूठे को क्रीम से चुपद मेरी छूट मैं डाला. वा मेरी छूको क्रीम से चिक्नी कर रहे थे. अंगूठा जाते ही मेरा बदन गंगाना गया. तभी पापा ने छूट से अंगूठा बाहर किया तू उसपर लगे छूट के रस को देख बोले, “हाए बेटी यह क्या है. क्या किसी से छुड़वकर मज़ा लिया है” मैं पापा के अनुभव से धक्क से रह गयी. मैं घबराकर अनजान बनती बोली, “कैसा मज़ा पापा” “बेटी यहाँ कोई आया था” नही पापा यहाँ तू कोई नही आया था. “तू फिर तुम्हारी छूट मैं यह गढ़ा रस कैसा” मुझे क्या पता पापा जब आप मेरचूचियाँ मसल रहे थे तब कुच्छगिरा था शायद. मैं बहाना बनती बोली. “लगता है तुम्हारी छूट ने एक पानी छ्छोड़ दिया है. लो टवल से सॉफ कर लो.”

 

पापा मुझे टवल दे चूचियों को मसलते हुवे बोले. पापा से टवल ले अपनी छूट को रग़ाद राग़ादकार सॉफ किया. पापा को उमेश वाली बात पता नही चलने दी. मैं चूचियाँ मसल्वाते हुवे पापा से खुलकर गंदी बाते कर रही थी ताकि सभी कुच्छ जान सकूँ. “बेटी जब तुम्हारी चूचियों को दबाता हून तू कैसा लगता है” “हाए पापा तब जन्नत जैसा मज़ा मिलता है.” “बेटी तुम्हारी छूट मैं भी कुच्छ होता है” “हन पापा गुड़गूदी हो रही है.” मैं बेशर஠हो बोली.” ज़रा तुम्हारी चूचियाँ और दबा लून तू फिर तुम्हारी छूट को भी मज़ा डून. बेटी किसी को बताना नही नही पापा बहुत मज़ा है. किसी को नही पता चलेगा.” पापा मेरी चूचियों को मसलते रहे और मैं जन्नत का मज़ा लेती रही. कुच्छ देर बाद मैं तड़प कर बोली, “ऊओहह्छ पापा अब बंद करो चूचियाँ दबाना और अब अपनी बेटी की छूट का मज़ा लो.” अब मैं भी पापा के साथ खुलकर बात कर रही थी. इस समय हुंदोनो बाप-बेटी पति-पत्नी थे. पापा म

री चूचियों को छ्छोड़कर मेरे सामने आए. पापा का मोटा लंड खड़ा होकर मेरी आँख के सामने फूदकने लगा. लंड तू पापा का पहले भी देखा था पैर इतनी पास से आज देख रही थी. मेरा मॅन उसे पकड़ने को लालचाया तू मैने उसे पकड़ लिया और दबाने लगी. छूट पापा के मस्त लंड को देख लार टप्कने लगी. मैं पापा के केले को पकड़कर बोली, “श पापा आपका लंड बहुत मोटा है. इतना मोटा मेरी छूट मैं कैसे जाएगा”

 

अरे पगली मर्द का लंड ऐसा ही होता है. मोटे से ही तू मज़ा आता है. “पैर पापा मेरी छूट तू छ्छोटी है.” “कोई बात नही बेटी. देखना पूरा जाएगा.” “पैर पापा मेरी फ़टट जाएगी.” अरे बेटी नही फतेगी. एक बार छुड़ जाओगी तू रोज़ छुड़वाने के लिए तदपॉगी. अपने पैर फैलाकर छूट खोलो पहले अपनी बेटी की छूट छत ले फिर छोदुँगा. मैं समझ गयी की पापा मम्मी की तरह मेरी छूट को चटना चाहते हैं. मैने जब मम्मी को छूट चटवाते देखा था तभी से स रही थी की काश पापा मेरी छूट भी छत्ते. अब जब पापा ने छूट फैलने के लिए तू फ़ौरन दोनो हाथ से छूट की दरार को छिड़ॉरकर खोल दिया. पापा घुटने के बल नीचे बैठ गाये और मेरी रोएदार छूट पैर अपने हूनत रख चूमने लगे. पापा के चूमने पैर मैं गंगाना गयी. दो चार बार चूमने के बाद पापा ने अपनी जीभ मेरी छूट के चारो ऊवार चलते हुवे चटना शुरू किया. वा मेरे हल्के हल्के बॉल भी चाट रहे थे. मुझे ग़ज़ब का मज़ा आ रहा था. पापा छूट छाऍते हुवे तीत (क्लिट) भी छत रहे थे. मैं मस्त थी. उमेश तू बस जल्दी से छोड़कर चला गया था. चूचि भी नही दबाया था जिससे कुच्छ मज़ा नही आया था. लेकिन पापा तू चालक खिलाड़ी की तरह पूरा मज़ा दे रहे थे. पापा ने छूट के बाहर चाट छाटकार गीला कर दिया था. अब पापा छूट की दरार मैं जीभ चला रहे थे. कुच्छ देर तक इसी तरह करने के बाद पापा ने अपनी जीभ मेरी गुलाबी छूट के लास लसाए छ्छेद मैं पेल दिया. जीभ छ्छेद मैं गयी तू मेरी हालत राब हो गयी. मैं मस्ती से तड़प उठी. पहली बार छूट छ्छाती जा रही थी. इतना मज़ा आया की मैं नीचे से छूटड़ उच्चालने लगी. कुच्छ देर बाद पापा छ्ात्कार अलग हुवे और अपने खड़े लंड को मेरी छूट पैर लगा लंड से छूट रग़ादने लगे.

छूट की चटाई के बाद लंड की रागदाइ ने मुझे पागल बना दिया और मैं उतावलेपान से पापा से बोली, “पापा अब पेल भी दो मेरी छूट मैं. आअहह्ह्ह ऊऊहह्छ.” पापा ने मेरी तड़पति आवाज़ पैर मेरी चूचियों को पकड़कर कमर को उठाकर ढाका मारा तू करारा शॉट लगने पैर पापा का आधा लंड मेरी छूट मैं अरास गया. पापा का मोटा और लंबा लंड मेरी छ्छोटी छूट को ककड़ी की तरह चीरकर घुसा था. आधा जाते ही मैं दर्द से तदपकर बोली, “आआाहह्ह्ह्ह्ह ठऊऊईई ममम्म्माररर्र गयी पापा. धीरे धीरे पापा बहुत मोटा है पापा छूट फ़टट गयी.” पापा का मोटा और लंबा लंड मेरी छूट मैं कसा था. मेरे करहने पापा ने धक्के मारना बांडकर मेरी चूचियों को मसलना शुरू किया. अब मज़ा आने लगा. 6-7 मिनिट बाद दर्द ख़तम हो गया. अब पापा बिना रुके धक्के लगा रहे थे. धीरे धीरे पापा का पूरा लंड मेरी छूट की झिल्ली फदता हूवा घुस गया. मैं दर्द से छ्त्पटाने लगी. ऐसा लगा जैसे छूट मैं चाकू(नाइफ) ठसा है. मैं कमर झटकते बोली, “हाए पापा मेरी फ़टट गयी. निकालो मुझे नही छुड़वाना.” पापा अपना लंड पेलते हुवे मेरे गाल चाट रहे थे. पापा मेरे गाल चाट बोले, “बेटी रो मत अब तू पूरा चला गया. हर लड़की को पहली बार दर्द होता है फिर मज़ा आता है.”

कुच्छ देर बाद मेरा करहना बंद हूवा तू पापा धीरे धीरे छोड़ने लगे. पापा का कसा कसा आ जा रहा था. अब सच ही मज़ा आ रहा था. अब जब पापा ऊपर से धक्का लगते तू मैं नीचे से गांड उच्चलती. उमेश तू केवल ऊपर से राग़ादकार छोड़कर चला गया था. असली छुड़ाई तू पापा कर रहे थे. पापा ने पूरा अंदर तक पेल दिया था. पापा का लंड उमेश से बहुइट मज़ेदार था. जब पापा शॉट लगते तू सूपड़ा मेरी बच्चेदानी तक जाता. मुझे जन्नत के मज़े से भी अधिठमज़ा मिल रहा था. तभी पापा ने पूच्हा, बेटी अब दर्द तू नही हो रही है “हाए पापा अब तू बहुत मज़ा आ रहा है. आअहह्छ पापा और ज़ोर ज़ोर से छोड़िये.” पापा इसी तरह 20 मिनिट तक छोड़ते रहे. 20 मिनिट बाद पापा के लंड से गरम गरम मलाइडर पानी मेरी छूट मैं गिरने लगा. जब पापा का पानी मेरी छूट मैं गिरा तू मैं पापा से चिपक गयी और मेरी छूट भी फालफ़लकार झड़ने लगी. हुंदोनो साथ ही झाड़ रहे थे. पापा ने फिर मुझे रात भर छोड़ा. सुबह 12 जे सोकर उठे तू मैने पापा से कहा, “पापा आज फिर छोड़ेंगे” अरे मेरी जान अब मैं बेटिछोड़ बन गया हून. अब तू तुझे रोज़ ही छोदुँगा. अब तू मेरी दूसरी बीवी है पैर पापा जब मम्मी आ जाएँगी तू अरे मेरी जान उसे तू बस एक बार छोड़ दूँगा और वा ठंडी हो जाएगी फिर तेरे कमरे मैं आ जया करूँगा. मैं फिर पापा के साथ रोज़ सुहाग्रात मानने लगी.श्याद कोई आ रहा अहन मैं बादमईन स्टोरी लिखूँगी बाक़ी मुजेह माइल केरना कसिए लगी स्टोरी ankita_192007@yahoo.com

तीन भाभियाँ

है इस्स के रसिक र्आडेर्स,

नमस्ते.

में हूँ मंगल. आज में आप को हमारे खंडन की सब से खनगी बात बताने जा रहा हूँ मेरे हिसाब से मेने कुच्छ बुरा किया नहीं है हालन की काई लोग मुज़े पापी समाज़ेंगे. कहानी पढ़ कर आप ही फ़ैसला कीजिएगा की जो हुआ वो सही हुआ है या नहीं.

कहानी काई साल पहले की उन दीनो की है जब में अठारह साल का था और मेरे बड़े भैया, काशी राम चौथी शादी करना सोच रहे थे.

हम सब राजकोट से पच्चास किलोमेटेर दूर एक छ्होटे से गाओं में ज़मीदार हैं एक साओ बिघन की खेती है और लंबा चौड़ा व्यवहार है हमारा. गाओं मे चार घर और कई दुकानें है मेरे माता-पिताजी जब में दस साल का था तब मार गए थे. मेरे बड़े भैया काश राम और भाभी सविता ने मुज़े पल पोस कर बड़ा किया.

भैया मेरे से तेरह साल बड़े हें. उन की पहली शादी के वक़्त में आठ साल का था. शादी के पाँच साल बाद भी सविता को संतान नहीं हुई. कितने डॉकटोर को दिखाया लेकिन सब बेकार गया. भैया ने डूसरी शादी की, चंपा भाभी के साथ तब मेरी आयु तेरह साल की थी.

लेकिन चंपा भाभी को भी संतान नहीं हुई. सविता और चंपा की हालत बिगड़ गई, भैया उन के साथ नौकरानीयों जैसा व्यवहार कर ने लगे. मुज़े लगता है की भैया ने दो नो भाभियों को छोड़ना चालू ही रक्खा था, संतान की आस में.

डूसरी शादी के तीन साल बाद भैया ने तीसरी शादी की, सुमन भाभी के साथ. उस वक़्त में सोलह साल का हो गया था और मेरे बदन में फ़र्क पड़ना शुरू हो गया था. सब से पाहेले मेरे वृषाण बड़े हो गाये बाद में कखह में और लोडे पैर बाल उगे और आवाज़ गाहेरा हो गया. मुँह पैर मुच्च निकल आई. लोडा लंबा और मोटा हो गया. रात को स्वप्न-दोष हो ने लगा. में मूट मारना सिख गया.

सविता और चंपा भाभी को पहली बार देखा तब मेरे मान में छोड़ने का विचार तक आया नहीं था, में बच्चा जो था. सुमन भाभी की बात कुच्छ ओर थी. एक तो वो मुज़ से चार साल ही बड़ी थी. दूसरे, वो काफ़ी ख़ूबसूरत थी, या कहो की मुज़े ख़ूबसूरत नज़र आती थी. उस के आने के बाद में हैर रात कल्पना किए जाता था की भैया उसे कैसे छोड़ते होंगे और रोज़ उस के नाम मूट मार लेता था. भैया भी रात दिन उस के पिच्छे पड़े रहते थे. सविता भाभी और चंपा भाभी की कोई क़ीमत रही नहीं थी. में मानता हूँ है की भैया चांगे के वास्ते कभी कभी उन दो नो को भी छोड़ते थे. तजुबई की बात ये है की अपने में कुच्छ कमी हो सकती है ऐसा मानने को भैया तैयार नहीं थे. लंबे लंड से छोड़े और ढेर सारा वीरय पत्नी की छूट में उंदेल दे इतना काफ़ी है मर्द के वास्ते बाप बनाने के लिए ऐसा उन का दरध विस्वास था. उन्हो ने अपने वीरय की जाँच करवाई नहीं थी.

उमर का फ़ासला काम होने से सुमन भाभी के साथ मेरी अचची बनती थी, हालन की वो मुज़े बच्चा ही समाजति थी. मेरी मौजूदगी में कभी कभी उस का पल्लू खिसक जाता तो वो शरमति नहीं थी. इसी लिए उस के गोरे गोरे स्तन देखने के कई मौक़े मिले मुज़े. एक बार स्नान के बाद वो कपड़े बदल रही थी और में जा पहुँचा. उस का आधा नंगा बदन देख में शरमा गया लेकिन वो बिना हिच किचत बोली, ‘दरवाज़ा खीत ख़िता के आया करो.’

दो साल यूँ गुज़र गाये में अठारह साल का हो गया था और गाओं की सचूल की 12 वी में पढ़ता था. भैया चौथी शादी के बारे में सोचने लगे. उन दीनो में जो घटनाएँ घाटी इस का ये बयान है

बात ये हुई की मेरी उम्र की एक नोकारानी, बसंती, हमारे घर काम पे आया करती थी. वैसे मेने उसे बचपन से बड़ी होते देखा था. बसंती इतनी सुंदर तो नहीं थी लेकिन चौदह साल की डूसरी लड़कियों के बजाय उस के स्तन काफ़ी बड़े बड़े लुभावने थे. पतले कपड़े की चोली के आर पार उस की छ्छोटी छ्छोटी निपपलेस साफ़ दिखाई देती थी. में अपने आप को रोक नहीं सका. एक दिन मौक़ा देख मेने उस के स्तन थाम लिया. उस ने ग़ुस्से से मेरा हाथ ज़टक डाला और बोली, ‘आइंदा ऐसी हरकत करोगे तो बड़े सेठ को बता दूँगी’ भैया के दर से मेने फिर कभी बसंती का नाम ना लिया.

एक साल पाहेले सत्रह साल की बसंती को ब्याह दिया गया था. एक साल ससुराल में रह कर अब वो दो महीनो वास्ते यहाँ आई थी. शादी के बाद उस का बदन भर गया था और मुज़े उस को छोड़ने का दिल हो गया था लेकिन कुच्छ कर नहीं पता था. वो मुज़ से क़तराती रहती थी और में दर का मारा उसे दूर से ही देख लार तपका रहा था.

अचानक क्या हुआ क्या मालूम, लेकिन एक दिन महॉल बदल गया. दो चार बार बसंती मेरे सामने देख मुस्कराई. काम करते करते मुज़े गौर से देखने लगी मुज़े अचच्ा लगता था और दिल भी हो जाता था उस के बड़े बड़े स्तनों को मसल डालने को. लेकिन दर भी लगता था. इसी लिए मेने कोई प्रतिभव नहीं दिया. वो नखारें दिखती रही.

एक दिन दोपहर को में अपने स्टूदय रूम में पढ़ रहा था. मेरा स्टूदय रूम अलग मकान में था, में वहीं सोया करता था. उस वक़्त बसंती चली आई और रोटल सूरत बना कर कहने लगी ‘इतने नाराज़ क्यूं हो मुज़ से, मंगल ?’

मेने कहा ‘नाराज़ ? में कहाँ नाराज़ हूँ ? में क्यूं हौन नाराज़?’

उस की आँखों में आँसू आ गाये वो बोली, ‘मुज़े मालूम है उस दिन मेने तुमरा हाथ जो ज़टक दिया था ना ? लेकिन में क्या करती ? एक ओर दर लगता था और दूसरे दबाने से दर्द होता था. माफ़ कर दो मंगल मुज़े.’

इतने में उस की ओधनी का पल्लू खिसक गया, पता नहीं की अपने आप खिसका या उस ने जान बुज़ के खिसकया. नतीजा एक ही हुआ, लोव कूट वाली चोली में से उस के गोरे गोरे स्तनों का उपरी हिस्सा दिखाई दिया. मेरे लोडे ने बग़ावत की नौबत लगाई.

में, उस में माफ़ करने जैसी कोई बात नहीं है म..मेने नाराज़ नहीं हूँ तो मुज़े मागणी चाहिए.’

मेरी हिच किचाहत देख वो मुस्करा गयी और हास के मुज़ से लिपट गयी और बोली, ‘सच्ची ? ओह, मंगल, में इतनी ख़ुश हूँ अब. मुज़े दर था की तुम मुज़ से रुत गाये हो. लेकिन में टुमए माफ़ नहीं करूंगी जब तक तुम मेरी चुचियों को फिर नहीं छ्छुओगे.’ शर्म से वो नीचा देखने लगी मेने उसे अलग किया तो उस ने मेरी कलाई पकड़ कर मेरा हाथ अपने स्तन पैर रख दिया और दबाए रक्खा.

‘छ्छोड़, छ्छोड़ पगली, कोई देख लेगा तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी.’

‘तो होने दो. मंगल, पसंद आई मेरी च्छुचि ? उस दिन तो ये कच्ची थी, छ्छू ने पैर भी दर्द होता था. आज मसल भी डालो, मज़ा आता है

मेने हाथ छ्छुड़ा लिया और कहा, ‘चली जा, कोई आ जाएगा.’

वो बोली, ‘जाती हूँ लेकिन रात को आओुंगी. आओउन ना ?’

उस का रात को आने का ख़याल मात्र से मेरा लोडा टन गया. मेने पूच्छा, ‘ज़रूर आओगी?’ और हिम्मत जुटा कर स्तन को छ्ुा. विरोध किए बिना वो बोली,

‘ज़रूर आओुंगी. तुम उपर वाले कमरे में सोना. और एक बात बताओ, तुमने किस लड़की को छोड़ा है ?’ उस ने मेरा हाथ पकड़ लिया मगर हटाया नहीं.

‘नहीं तो.’ कह के मेने स्तन दबाया. ओह, क्या चीज़ था वो स्तन. उस ने पूच्छा, ‘मुज़े छोड़ना है ?’ सुन ते ही में छोंक पड़ा.

‘उन्न..ह..हाँ

‘लेकिन बेकिन कुच्छ नहीं. रात को बात करेंगे.’ धीरे से उस ने मेरा हाथ हटाया और मुस्कुराती चली गयी

मुज़े क्या पता की इस के पिच्छे सुमन भाभी का हाथ था ?

रात का इंतेज़ार करते हुए मेरा लंड खड़ा का खड़ा ही रहा, दो बार मूट मरने के बाद भी. क़रीबन दस बजे वो आई.

‘सारी रात हमारी है में यहाँ ही सोने वाली हूँ उस ने कहा और मुज़ से लिपट गयी उस के कठोर स्तन मेरे सीने से डब गाये वो रेशम की चोली, घाघारी और ओधनी पहेने आई थी. उस के बदन से मादक सुवास आ रही थी. मेने ऐसे ही उस को मेरे बहू पाश में जकड़ लिया

‘हाय डैया, इतना ज़ोर से नहीं, मेरी हड्डियान टूट जाएगी.’ वो बोली. मेरे हाथ उस की पीठ सहालाने लगे तो उस ने मेरे बालों में उंगलियाँ फिरनी शुरू कर दी. मेरा सर पकड़ कर नीचा किया और मेरे मुँह से अपना मुँह टीका दिया.

उस के नाज़ुक होत मेरे होत से छूटे ही मेरे बदन में ज़्रज़ुरी फैल गयी और लोडा खड़ा होने लगा. ये मेरा पहला चुंबन था, मुज़े पता नहीं था की क्या किया जाता है अपने आप मेरे हाथ उस की पीठ से नीचे उतर कर छूटड़ पैर रेंगने लगे. पतले कपड़े से बनी घाघारी मानो थी ही नहीं. उस के भारी गोल गोल नितंब मेने सहलाए और दबोचे. उस ने नितंब ऐसे हिलाया की मेरा लंड उस के पेट साथ डब गया.

थोड़ी देर तक मुह से मुँह लगाए वो खड़ी रही. अब उस ने अपना मुँह खोला और ज़बान से मेरे होत चाटे. ऐसा ही करने के वास्ते मेने मेरा मुँह खोला तो उस ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी. मुज़े बहुत अचच्ा लगा. मेरी जीभ से उस की जीभ खेली और वापस चली गयी अब मेने मेरी जीभ उस के मुँह में डाली. उस ने होत सिकूड कर मेरी जीभ को पकड़ा और चूस. मेरा लंड फटा जा रहा था. उस ने एक हाथ से लंड टटोला. मेरे तटर लंड को उस ने हाथ में लिया तो उत्तेजना से उस का बदन नर्म पद गया. उस से खड़ा नहीं रहा गया. मेने उसे सहारा दे के पलंग पैर लेताया. चुंबन छ्छोड़ कर वो बोली, ‘हाय, मंगल, आज में पंद्रह दिन से भूकि हूँ पिच्छाले एक साल से मेरे पति मुज़े हैर रोज़ एक बार छोड़ते है लेकिन यहाँ आने के मुज़े जलदी से छोड़ो, में मारी जा रही हूँ

मुसीबत ये थी की में नहीं जनता था की छोड़ने में लंड कैसे और कहाँ जाता है फिर भी मेने हिम्मत कर के उस की ओधनी उतर फेंकी और मेरा पाजामा निकल कर उस की बगल में लेट गया. वो इतनी उतावाली हो गई थी की चोली घाघारी निकल ने रही नहीं. फटाफट घाघारी उपर उठाई और जांघें चौड़ी कर मुज़े उपर खींच लिया. यूँ ही मेरे हिप्स हिल पड़े थे और मेरा आठ इंच लंबा और ढाई इंच मोटा लंड अंधे की लकड़ी की तरह इधर उधर सर टकरा रहा था, कहीं जा नहीं पा रहा था. उस ने हमारे बदन के बीच हाथ डाला और लंड को पकड़ कर अपनी भोस पैर दीरेक्ट किया. मेरे हिप्स हिल ते थे और लंड छूट का मुँह खोजता था. मेरे आठ दस धक्के ख़ाली गाये हैर वक़्त लंड का मट्ता फिसल जाता था. उसे छूट का मुँह मिला नहीं. मुज़े लगा की में छोड़े बिना ही ज़द जाने वाला हूँ लंड का मट्ता और बसंती की भोस दोनो काम रस से तार बतर हो गाये थे. मेरी नाकामयाबी पैर बसंती हास पड़ी. उस ने फिर से लंड पकड़ा और छूट के मुँह पैर रख के अपने छूटड़ ऐसे उठाए की आधा लंड वैसे ही छूट में घुस गया. तुरंत ही मेने एक धक्का जो मारा तो सारा का सारा लंड उस की योनी में समा गया. लंड की टोपी खीस गयी और चिकना मट्ता छूट की दीवालों ने कस के पकड़ लिया. मुज़े इतना मज़ा आ रहा था की में रुक नहीं सका. आप से आप मेरे हिप्स तल्ला देने लगे और मेरा लंड अंदर बाहर होते हुए बसंती की छूट को छोड़ने लगा. बसंती भी छूटड़ हिला हिला कर लंड लेने लगी और बोली, ‘ज़रा धीरे छोड़, वरना जल्दी ज़द जाएगा.’

मेने कहा, ‘में नहीं छोड़ता, मेरा लंड छोड़ता है और इस वक़्त मेरी सुनता नहीं है

‘मार दालोगे आज मुज़े,’ कहते हुए उस ने छूटड़ घुमए और छूट से लंड दबोचा. दोनो स्तानो को पकड़ कर मुँह से मुँह छिपका कर में बसंती को छोड़ते चला.

धक्के की रफ़्तार में रोक नहीं पाया. कुच्छ बीस पचीस तल्ले बाद अचानक मेरे बदन में आनंद का दरिया उमड़ पड़ा. मेरी आँखें ज़ोर से मूँद गयी मुँह से लार निकल पड़ी, हाथ पाँव आकड़ गाये और सारे बदन पैर रोएँ ए खड़े हो गाये लंड छूट की गहराई में ऐसा घुसा की बाहर निकल ने का नाम लेता ना था. लंड में से गरमा गरम वीरय की ना जाने कितनी पिचकारियाँ छ्छुथी, हैर पिचकारी के साथ बदन में ज़ुरज़ुरी फैल गयी थोड़ी देर में होश खो बेइता.

जब होश आया तब मेने देखा की बसंती की टाँगें मेरी कमर आस पास और बाहें गार्दन के आसपास जमी हुई थी. मेरा लंड अभी भी ताना हुआ था और उस की छूट फट फट फटके मार रही थी. आगे क्या करना है वो में जनता नहीं था लेकिन लंड में अभी गुड़गूदी होती रही थी. बसंती ने मुज़े रिहा किया तो में लंड निकल कर उतरा.

‘बाप रे,’ वो बोली, ‘ इतनी अचची छुड़ाई आज कई दीनो के बाद की.’

‘मेने तुज़े ठीक से छोड़ा ?’

‘बहुत अचची तरह से.’

हम अभी पलंग पैर लेते थे. मेने उस के स्तन पैर हाथ रक्खा और दबाया. पतले रेशमी कपड़े की चोली आर पार उस की कड़ी निपपले मेने मसाली. उस ने मेरा लंड टटोला और खड़ा पा कर बोली, ‘अरे वाह, ये तो अभी भी तटर है कितना लंबा और मोटा है मंगल, जा तो, उसे धो के आ.’

में बाथरूम में गया, पिसब किया और लंड धोया. वापस आ के मेने कहा, ‘बसंती, मुज़े तेरे स्तन और छूट दिखा. मेने अब तक किसी की देखी नहीं है

उस ने चोली घाघारी निकल दी. मेने पहले बताया था की बसंती कोई इतनी ख़ूबसूरत नहीं थी. पाँच फ़ीट दो इंच की उँचाई के साथ पचास किलो वज़न होगा. रंग सांवला, चहेरा गोल, आँखें और बल काले. नितंब भारी और चिकाने. सब से अचच्े थे उस के स्तन. बड़े बड़े गोल गोल स्तन सीने पैर उपरी भाग पैर लगे हुए थे. मेरी हथेलिओं में समते नहीं थे. दो इंच की अरेओला और छ्छोटी सी निपपले काले रंग के थे. चोली निकल ते ही मेने दोनो स्तन को पकड़ लिया, सहलाया, दबोचा और मसला.

उस रात बसंती ने मुज़े पुख़्त वाय की भोस दिखाई. मोन्स से ले कर, बड़े होत, छ्होटे होत, क्लटोरिस, योनी सब दिखाया. मेरी दो उंगलियाँ छूट में डलवा के छूट की गहराई भी दिखाई, ग-स्पोत दिखाया. वो बोली, ‘ये जो क्लटोरिस है वो मरद के लंड बराबर होती है छोड़ते वक़्त ये भी लंड की माफ़िक कड़ी हो जाती है दूसरे, तू ने छूट की दिवालें देखी ? कैसी कारकरी है ? लंड जब छोड़ता है तब ये कारकरी दीवालों के साथ घिस पता है और बहुत मज़ा आता है हाय, लेकिन बच्चे का जन्म के बाद ये दिवालें चिकानी हो जाती है छूट चौड़ी हो जाती है और छूट की पकड़ काम हो जाती है

मुज़े लेता कर वो बगल में बेइत गयी मेरा लंड तोड़ा सा नर्म होने चला था, उस को मुट्ठि में लिया. टोपी खींच कर मट्ता खुला किया और जीभ से चटा. तुरंत लंड ने तुमका लगाया और तटर हो गया. में देखता रहा और उस ने लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी मुँह में जो हिस्सा था उस पैर वो जीभ फ़ीयरती थी, जो बाहर था उसे मुट्ठि में लिए मूट मरती थी. दूसरे हाथ से मेरे वृषाण टटोलती थी. मेरे हाथ उस की पीठ सहला रहे थे.

मेने हस्ट मैथुन का मज़ा लिया था, आज एक बार छूट छोड़ने का मज़ा भी लिया. इन दोनो से अलग किसम का मज़ा आ रहा था लंड चूसवाने में. वो भी जलदी से एक्शसीते होती चली थी. उस के तुँक से लाड़बड़ लंड को मुँह से निकल कर वो मेरी जांघे पैर बेइत गयी अपनी जांघें चौड़ी कर के भोस को लंड पैर टिकया. लंड का मट्ता योनी के मुख में फसा की नितंब नीचा कर के पूरा लंड योनी में ले लिया. उस की मोन्स मेरी मोन्स से जुट गयी

‘उुुुहहहहह, मज़ा आ अगया. मंगल, जवाब नहीं तेरे लंड का. जितना मीठा मुँह में लगता है इतना ही छूट में भी मीठा लगता है कहते हुए उस ने नितंब गोल घुमए और उपर नीचे कर के लंड को अंदर बाहर कर ने लगी आठ दस धक्के मार ते ही वो तक गयी और ढल पड़ी. मेने उसे बात में लिया और घूम के उपर आ गया. उस ने टाँगें पसारी और पाँव अड्धार किया. पॉसीटिओं बदलते मेरा लंड पूरा योनी की गहराई में उतर गया. उस की योनी फट फट करने लगी

सिखाए बिना मेने आधा लंड बाहर खींचा, ज़रा रुका और एक ज़ोरदार धक्के के साथ छूट में घुसेद दिया. मोन्स से मोन्स ज़ोर से टकराई. मेरे वृषाण गांड से टकराए. पूरा लंड योनी में उतर गया. ऐसे पाँच सात धक्के मारे. बसंती का बदन हिल पड़ा. वो बोली, ‘ऐसे, ऐसे, मंगल, ऐसे ही छोड़ो मुज़े. मारो मेरी भोस को और फाड़ दो मेरी छूट को.’

भगवान ने लंड क्या बनाया है छूट मार ने के लिए कठोर और चिकना; भोस क्या बनाई है मार खाने के लिए घनी मोन्स और गद्दी जैसे बड़े होत के साथ. जवाब नहीं उन का. मैने बसंती का कहा माना. फ़्री स्टयले से तापा ठप्प में उस को छोड़ ने लगा. दस पंद्रह धक्के में वो ज़द पड़ी. मेने पिस्तोनिंग चालू रक्खा. उस ने अपनी उंगली से क्लटोरिस को मसला और डूसरी बार ज़ड़ी. उस की योनी में इतने ज़ोर से संकोचन हुए की मेरा लंड डब गया, आते जाते लंड की टोपी उपर नीचे होती चली और मट्ता ओर टन कर फूल गया. मेरे से अब ज़्यादा बारदस्त नहीं हो सका. छूट की गहराई में लंड दबाए हुए में ज़ोर से ज़ड़ा. वीरय की चार पाँच पिचकारियाँ छ्छुथी और मेरे सारे बदन में ज़ुरज़ुरी फैल गयी में ढल पड़ा.

आगे क्या बतौँ ? उस रात के बाद रोज़ बसंती चली आती थी. हमें आधा एक घंटा समय मिलता था जब हम जाम कर छुड़ाई करते थे. उस ने मुज़े काई टेचनक सिखाई और पॉसीटिओं दिखाई. मेने सोचा था की काम से काम एक महीना तक बसंती को छोड़ ने का लुफ्ट मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. एक हपते में ही वो ससुराल वापस छाई गयी

असली खेल अब शुरू हुआ.

बसंती के जाने के बाद तीन दिन तक कुच्छ नहीं हुआ. में हैर रोज़ उस की छूट याद कर के मूट मरता रहा. चौथे दिन में मेरे कमरे में पढ़ ने का प्रयत्न कर रहा था, एक हाथ में तटर लंड पकड़े हुए, और सुमन भाभी आ पहॉंची. ज़त पाट मेने लंड छ्छोड़ कपड़े सरीखे किया और सीधा बेइत गया. वो सब कुच्छ समाजति थी इस लिए मुस्कुराती हुई बोली, ‘कैसी चल रही है पढ़ाई, देवर्जी ? में कुच्छ मदद कर सकती हूँ ?’

भाभी, सब ठीक है मेने कहा.

आँखों में शरारत भर के भाभी बोली, ‘पढ़ते समय हाथ में क्या पकड़ रक्खा था जो मेरे आते ही तुम ने छ्छोड़ दिया ?’

नहीं, कुच्छ नहीं, ये तो..ये में आगे बोल ना सका.

तो मेरा लंड था, यही ना ?’ उस ने पूच्छा.

वैसे भी सुमन मुज़े अचची लगती थी और अब उस के मुँह से ‘लंड’ सुन कर में एक्शसीते होने लगा. शर्म से उन से नज़र नहीं मिला सका. कुच्छ बोला नहीं.

उस ने धीरे से कहा, ‘कोई बात नहीं. मे समाजति हूँ लेकिन ये बता, बसंती को छोड़ना कैसा रहा ? पसंद आई उस की काली छूट ? याद आती होगी ना ?’

सुन के मेरे होश उड़ गाये सुमन को कैसे पता चला होगा ? बसंती ने बता दिया होगा ? मेने इनकार करते हुए कहा, ‘क्या बात करती हो ? मेने ऐसा वैसा कुच्छ नहीं किया है

‘अचच्ा ?’ वो मुस्कराती हुई बोली, ‘क्या वो यहाँ भजन करने आती थी ?’

‘वो यहाँ आई ही नहीं,’ मेने डरते डरते कहा. सुमन मुस्कुराती रही.

‘तो ये बताओ की उस ने सूखे वीरय से आकदी हुई निक्केर दिखा के पूच्छा, निक्केर किस की है तेरे पलंग से जो मिली है ?’

में ज़रा जोश में आ गया और बोला, ‘ऐसा हो ही नहीं सकता, उस ने कभी निक्केर पहेनी ही में रंगे हाथ पकड़ा गया.

मेने कहा, ‘भाभी, क्या बात है ? मेने कुच्छ ग़लत किया है ?’

उस ने कहा,’वो तो तेरे भैया नाक़की करेंगे.’

भैया का नाम आते ही में दर गया. मेने सुमन को गिदगिड़ा के बिनती की जो भैया को ये बात ना बताएँ. तब उस ने शर्त रक्खी और सारा भेद खोल दिया.

सुमन ने बताया की भैया के वीरय में शुक्राणु नहीं थे, भैया इस से अनजान थे. भैया तीनो भाभियों को अचची तरह छोड़ते थे और हैर वक़्त ढेर सारा वीरय भी छ्छोड़ जाते थे. लेकिन शुक्राणु बिना बच्चा हो नहीं सकता. सुमन चाहती थी की भैया चुआटी शादी ना करें. वो किसी भी तरह बच्चा पैदा करने को तुली थी. इस के वास्ते दूर जाने की ज़रूर कहाँ थी, में जो मोज़ूड़ था ? सुमन ने तय किया की वो मुज़ से छुड़वाएगी और मा बनेगी.

अब सवाल उठा मेरी मंज़ूरी का. में कहीं ना बोल दूं तो ? भैया को बता दूं तो ? मुज़े इसी लिए बसंती की जाल में फासया गया था.

बयान सुन कर मेने हास के कहा ‘भाभी, तुज़े इतना कष्ट लेने की क्या ज़रूरत थी ? तू ने कहीं भी, कभी भी कहा होता तो में तुज़े छोड़ने का इनकार ना करता, तू चीज़ ऐसी मस्त हो.’

उस का चहेरा लाल ला हो गया, वो बोली, ‘रहने भी दो, ज़ूते कहीं के. आए बड़े छोड़ने वाले. छोड़ ने के वास्ते लंड चाहिए और बसंती तो कहती थी की अभी तो तुमारी नुन्नी है उस को छूट का रास्ता मालूम नहीं था. सच्ची बात ना ?’

मेने कहा, ‘दिखा दूं अभी नुन्नी है या लंड ?’

‘ना बाबा, ना. अभी नहीं. मुज़े सब सावधानी से करना होगा. अब तू चुप रहेना, में ही मौक़ा मिलने पैर आ जौंगी और हम करेंगे की तेरी नुन्नी है

दोस्तो, दो दिन बाद भैया दूसरे गाँव गाये तीन दिन के लिए उन के जाने के बाद दोपहर को वो मेरे कमरे में चली आई. में कुच्छ पूचछुन इस से पाहेले वो बोली, ‘कल रात तुमरे भैया ने मुज़े तीन बार छोड़ा है सो आज में तुम से गर्भवती बन जाओउं तो किसी को शक नहीं पड़ेगा. और दिन में आने की वजह भी यही है की कोई शक ना करे.’

वो मुज़ से छिपक गयी और मुँह से मुँह लगा कर फ़्रेंच क़िसस कर ने लगी मेने उस की पतली कमर पैर हाथ रख दिए मुँह खोल कर हम ने जीभ लड़ाई. मेरी जीभ होठों बीच ले कर वो चुस ने लगी मेरे हाथ सरकते हुए उस के नितंब पैर पहुँचे. भारी नितंब को सहलाते सहलाते में उस की सारी और घाघारी उपर तरफ़ उठाने लगा. एक हाथ से वो मेरा लंड सहलाती रही. कुच्छ देर में मेरे हाथ उस के नंगे नितंब पैर फिसल ने लगे तो पाजामा की नदी खोल उस ने नंगा लांद मुट्ठि में ले लिया.

में उस को पलंग पैर ले गया और मेरी गोद में बिताया. लंड मुट्ठि में पकड़े हुए उस ने फ़्रेंच क़िसस चालू रक्खी. मेने ब्लौसे के हूक खोले और ब्रा उपर से स्तन दबाए. लंड छ्छोड़ उस ने अपने आप ब्रा का हॉक खोल कर ब्रा उतर फेंकी. उस के नंगे स्तन मेरी हथेलिओं में समा गाये शंकु आकर के सुमन के स्तन चौदह साल की लड़की के स्तन जैसे छ्होटे और कड़े थे. अरेओला भी छ्छोटी सी थी जिस के बीच नोकदर निपपले लगी हुई थी. मेने निपपले को छिपति में लिया तो सुमन बोल उठी, ‘ज़रा होले से. मेरी निपपलेस और क्लटोरिस बहुत सेंसीटिवे है उंगली का स्पर्श सहन नहीं कर सकती.’ उस के बाद मेने निपपले मुँह में लिया और चूस.

में आप को बता दूं की सुमन भाभी कैसी थी. पाँच फ़ीट पाँच इंच की लंबाई के साथ वज़न था साथ किलो. बदन पतला और गोरा था. चहेरा लुंब गोल तोड़ा सा नरगिस जैसा. आँखें बड़ी बड़ी और काली. बल काले , रेशमी और लुंबे. सीने पैर छ्होटे छ्होटे दो स्तन जिसे वो हमेशा ब्रा से धके रखती थी. पेट बिल्कुल सपाट था. हाथ पाँव सूदोल थे. नितंब गोल और भारी थे. कमर पतली थी. वो जब हसती थी तब गालों में खड्ढे पड़ते थे.

मेने स्तन पकड़े तो उस ने लंड थाम लिया और बोली, ‘देवर्जी, तुम तो तुमरे भीया जैसे बड़े हो गाये हो. वाकई ये तेरी नुन्नी नहीं बल्कि लंड है और वो भी कितना तगड़ा ? हाय राम, अब ना तड़पाओ, जलदी करो.’

मेने उसे लेता दिया. ख़ुद उस ने घाघरा उपर उठाया, जांघें छड़ी की और पाँव अड्धार लिए में उस की भोस देख के दंग रह गया. स्तन के माफ़िक सुमन की भोस भी चौदह साल की लड़की की भोस जितनी छ्छोटी थी. फ़र्क इतना था की सुमन की मोन्स पैर काले ज़नट थे और क्लटोरिस लुंबी और मोटी थी. भीया का लंड वो कैसे ले पति थी ये मेरी समाज में आ ना सका. में उस की जांघों बीच आ गया. उस ने अपने हाथों से भोस के होत चौड़े पकड़ रक्खे तो मेने लंड पकड़ कर सारी भोस पैर रग़ादा. उस के नितंब हिल ने लगे. अब की बार मुज़े पता था की क्या करना है मेने लंड का माता छूट के मुँह में घुसाया और लंड हाथ से छ्छोड़ दिया. छूट ने लंड पकड़े रक्खा. हाथों के बल आगे ज़ुक कर मेने मेरे हिप्स से ऐसा धक्का लगाया की सारा लंड छूट में उतर गया. मोन्स से मोन्स टकराई, लंड तमाक तुमक कर ने लगा और छूट में फटक फटक हो ने लगा.

में काफ़ी उत्तेजित हुआ था इसी लिए रुक सका नहीं. पूरा लंड खींच कर ज़ोरदार धक्के से मेने सुमन को छोड़ ना शुरू किया. अपने छूटड़ उठा उठा के वो सहयोग देने लगी छूट में से और लंड में से चिकना पानी बहाने लगा. उस के मुँह से निकलती आााह जैसी आवाज़ और छूट की पूच्च पूच्च सी आवाज़ से कामरा भर गया.

पूरी बीस मिनिट तक मेने सुमन भाभी की छूट मारी. दरमियाँ वो दो बार ज़ड़ी. आख़िर उस ने छूट ऐसी सीकुडी की अंदर बाहर आते जाते लंड की टोपी छाड़ उतर करने लगी मानो की छूट मूट मार रही हो. ये हरकट में बारदस्त नहीं कर सका, में ज़ोर से ज़रा. ज़र्रटे वक़्त मेने लंड को छूट की गहराई में ज़ोर से दबा र्खा था और टोपी इतना ज़ोर से खीछी गयी थी की दो दिन तक लोडे में दर्द रहा. वीरय छ्छोड़ के मेने लंड निकाला, हालन की वो अभी भी ताना हुआ था. सुमन टाँगें उठाए लेती रही कोई दस मिनिट तक उस ने छूट से वीरय निकल ने ना दिया.

दोस्तो, क्या बतौँ ? उस दिन के बाद भैया आने तक हैर रोज़ सुमन मेरे से छुड़वाटी रही. नसीब का करना था की वो प्रेज्ञांत हो गयी फमिल्य में आनंद आनंद हो गया. सब ने सुमन भाभी को बढ़ाई दी. भाहिया सीना तां के मुच मरोड़ ते रहे. सविता भाभी और चंपा भाभी की हालत ओर बिगड़ गयी इतना अचच्ा था की प्रेज्नांस्य के बहाने सुमन ने छुड़वा ना माना कर दिया था, भैया के पास डूसरी दो नो को छोड़े सिवा कोई चारा ना था.

जिस दिन भैया सुमन भाभी को डॉकटोर के पास ले आए उसी दिन शाम वो मेरे पास आई. गभड़ती हुई वो बोली, ‘मंगल, मुज़े दर है की सविता और चंपा को शक पड़ता है हमारे बारे में.’

सुन कर मुज़े पसीना आ गया. भैया जान जाय तो आवश्य हम दोनो को जान से मार डाले. मेने पूच्छा, ‘क्या करेंगे अब ?’

‘एक ही रास्ता है वो सोच के बोली.

रास्ता है ?’

‘तुज़े उन दोनो को भी छोड़ना पड़ेगा. छोड़ेगा ?’

‘भाभी, तुज़े छोड़ ने बाद डूसरी को छोड़ ने का दिल नहीं होता. लेकिन क्या करें ? तू जो कहे वैसा में करूँगा.’ मेने बाज़ी सुमन के हाथों छ्छोड़ दी.

सुमन ने प्लान बनाया. रात को जिस भाभी को भैया छोड़े वो भही दूसरे दिन मेरे पास चली आए. किसी को शक ना पड़े इस लिए तीनो एक साथ महेमन वाले घर आए लेकिन में छोदुं एक को ही.

थोड़े दिन बाद चंपा भाभी की बारी आई. महवरी आए तेरह डिनहुए थे. सुमन और सविता दूसरे कमरे में बही और चंपा मेरे कमरे में चली आई.

आते ही उस ने कपड़े निकल ना शुरू किया. मेने कहा, ‘भाभी, ये मुज़े करने दे.’ आलिनगान में ले कर मेने फ़्रेंच किस किया तो वो तड़प उठी. समय की परवाह किए बिना मेने उसे ख़ूब चूमा. उस का बदन ढीला पद गया. मेने उसे पलंग पैर लेता दिया और होले होले सब कपड़े उतर दिए मेरा मुँह एक निपपले पैर छोंत गया, एक हाथ स्तन दबाने लगा, दूसरा क्लटोरिस के साथ खेलने लगा. थोड़ी ही देर में वो गरम हो गयी

उस ने ख़ुद टांगे उठाई और चौड़ी पकड़ रक्खी. में बीच में आ गया. एक दो बार भोस की दरार में लंड का मट्ता रग़ादा तो चंपा के नितंब डोलने लगे. इतना हो ने पैर भी उस ने शर्म से अपनी आँखें पैर हाथ रक्खे हुए थे. ज़्यादा देर किए बीन्सा मेने लंड पकड़ कर छूट पैर टिकया और होले से अंदर डाला. चंपा की छूट सुमन की छूट जितनी सीकुडी हुई ना थी लेकिन काफ़ी तिघ्ट थी और लंड पैर उस की अचची पकड़ थी. मेने धीरे धक्के से चंपा को आधे घंटे तक छोड़ा. इस के दौरान वो दो बार ज़ड़ी. मेने धक्के किर आफ़्तर बधाई तोचंपा मुज़ से लिपट गयी और मेरे साथ साथ ज़ोर से ज़ड़ी. ताकि हुई वो पलंग पैर लेती रही, मेईन कपड़े पहन कर खेतों मे चला गया.

दूसरे दिन सुमन अकेली आई कहने लगी ‘कल की तेरी छुड़ाई से चंपा बहुत ख़ुश है उस ने कहा है की जब चाहे मे समाज गया.

अपनी बारी के लिए सविता को पंद्रह दिन रह देखनी पड़ी. आख़िर वो दिन आ भी गया. सविता को मेने हमेशा मा के रूप में देखा था इस लिए उस की छुड़ाई का ख़याल मुज़े अचच्ा नहीं लगता था. लेकिन दूसरा चारा कहाँ था ?

हम अकेले होते ही सविता ने आँखें मूँद ली. मेरा मुँह स्तन पैर छिपक गया. मुज़े बाद में पता चला की सविता की चाबी उस के स्तन थे. इस तरफ़ मेने स्तन चूसाना शुरू किया तो उस तरफ़ उस की भस ने काम रस का फ़ावरा छ्छोड़ दिया. मेरा लंड कुच्छ आधा ताना था.और ज़्यादा अकदने की गुंजाइश ना थी. लंड छूट में आसानी से घुस ना सका. हाथ से पकड़ कर धकेल कर मट्ता छूट में पैठा की सविता ने छूट सिकोडी. तुमका लगा कर लंड ने जवाब दिया. इस तरह का प्रेमलप लंड छूट के बीच होता रहा और लंड ज़्यादा से ज़्यादा अकदता रहा. आख़िर जब वो पूरा टन गया तब मेने सविता के पाँव मेरे कंधे पैर लिए और लंबे तल्ले से उसे छोड़ने लगा. सविता की छूट इतनी तिघ्ट नहीं थी लेकिन संकोचन कर के लंड को दबाने की त्रिक्क सविता अचची तरह जानती थी. बीस मिनुटे की छुड़ाई में वो दो बार ज़ड़ी. मेने भी पिचकारी छ्छोड़ दी और उतरा.

दूसरे दिन सुमन वही संदेशा लाई जो की चंपा ने भेजा था. तीनो भाभिओं ने मुज़े छोड़ने का इज़ारा दे दिया था.

अब तीन भाभिओं और चौथा में, हम में एक संजौता हुआ की कोई ये राज़ खोलेगा नहीं. सुमन ने भैया से छुड़वाना बंद किया था लेकिन मुज़ से नहीं. एक के बाद एक ऐसे में तीनो को छोड़ता रहा. भगवान कृपा से डूसरी दोनो भी प्रेज्ञांत हो गयी भैया के आनंद की सीमा ना रही.

समय आने पैर सुमन और सविता ने लड़कों को जन्म दिया तो चंपा ने लड़की को. भैया ने बड़ी दावत दी और सारे गाओं में मिठाई बाँटी. अचच्ा था की कोई मुज़े याद करता नहीं था. भाभीयो की सेवा में बसंती भी आ गयी थी और हमारी रेगूलर छुड़ाई चल रही थी. मेने शादी ना करने का निश्चय कर लिया.

सब का संसार आनंद से चलता है लेकिन मेरे वास्ते एक बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है भैया सब बच्चों को बड़े प्यार से रखते है लेकिन कभी कभी वो जब उन से मार पीट करते है तब मेरा ख़ून उबल जाता है और मुज़े सहन करना मुश्किल हो जाता है दिल करता है की उस के हाथ पकड़ लूं और बोलूं, ‘रह ने दो, ख़बरदार मेरे बच्चे को हाथ लगाया तो.’

ऐसा बोल ने की हिम्मत अब तक मेने जुट नहीं पाई.

गाव का डॉक्टर

एमबीबीएस की डेग्री मिलते ही मेरी पोस्टिंग उत्तर प्रदेश के एक गाओं में हो गयी गाँव’वासियों ने आप’ने जीवन में गाओं में पह’ली बार कोई डॉकटोर देखा था. इसके पहले गाओं नीम हाकीमों , ओझाओं और झार फूँक करनेवालों के हवाले था. जल्द ही गाओं के लोग एक भगवान की तरह मेरी पूजा कर’ने लग गाये रोज़ ही काफ़ी मरीज़ आते थे और मैं जल्दी ही गाँव की ज़िंदगी मैं बड़ा महटवा पूरण समझा जाने लगा. गाँव वाले अब सलाह के लिए भी मेरे पासस आने लगे. मैं भी किसी भी वक़्त माना नहीं करता था अपने मरीज़ों को आने के लिए

गाँव के बाहर मेरा बंगलोव था. इसी बंगलोव मैं मेरी दिस्पेन्सरी भी थी. गाँव मैं मेरे साल भर गुज़ारने के बाद की बात होगी ये. इस गाँव मैं लड़कियाँ और औरतें बड़ी सुंदर सुंदर थी. एईसी ही एक बहुत ख़ूबसूरत लड़की थी गाँव के मास्टेरजी की. नाम भी उसका था गोरी. सच कहूँ तो मेरा भी दिल उसपर आ गया था पैर होनी को कुच्छ और मंज़ूर था. गाँव के ठाकुर के बेटे का भी दिल उसपर आया और उनकी शादी हो गई. पैर जोड़ी बड़ी बेमेल थी. कहाँ गोरी, और कहाँ राजन.

राजन बड़ा सूखा सा मारियल सा लड़का था. मुझे तो उसके मर्द होने पैर भी शक़ था. और ये बात सच निकली क़रीब क़रीब. उनकी शादी के साल भर बाद एक दिन ठाकुरैईं मेरे घर पैर आई. उसने मुझे कहा की उसे बड़ी चिंता हो रही है की बहू को कुच्छ बक्चा वागेरह नहीं हो रहा. उसने मुझसे पूच्हा की क्या प्रोबलें हो सकता है लड़का बहू उसे कुच्छ बताते नहीं हैं और उसे शक है की बहू कहीं बाँझ तो नहीं.

मैने उसे धधास दिया और कहा की वो लड़का -बहू को मेरे पासस भेज दे तो मैं देख लूंगा की क्या प्रोबलें है उसने मुझसे आग्रह किया मैं ये बात गुप्त रखून, घर की इज़्ज़त का मामला है फिर एक रात क़रीब शाम को वे दोनो आए. रज़्ज़ान और उसकी बहू. देखते ही लगता था की बेचारी गोरी के साथ बड़ा अनायाय हुआ है कहाँ वो लंबी, लचीली एकदम गोरी लड़की. भरे पूरे बदन की बाला की ख़ूबसोरत लड़की और कहाँ वो राजन, कला कालूटा मारियल सा. मुझे राजन की किस्मत पैर बड़ा रंज हुआ. वे धीरे धीरे अक्सर इलाज कारवाने मेरे क्लिनिक पैर आने लगे और साथ साथ मुझसे खुलते गाये राजन बड़ा नरम दिल इंसान था. अपनी बाला की ख़ूबसूरत बीवी को ज़रा सा भी दुख देना उसे मंज़ूर ना था.

उसने दबी ज़ुबान से स्वीकार किया एक दिन की अभी तक वो अपनी बीवी को छोड़ नहीं पाया है मैं समझ गया की क्यों बच्चा नहीं हो रहा है जब गोरी अभी तक वीर्गिन ही है तो, सहसा मेरे मान मैं एक ख़याल आया और मुझे मेरी दबी हुई हसरत पूरी करने का एक हसीं मौक़ा दिखा. गोरी का कौमार्या लूटने का. दरअसल जब जब राजन गोरी के सुंदर नंगे जिस्म को देखता था अपने उपर काबू नहीं रख पता था और इस’से पहले की गोरी सेक्श के लिए तैयार हो राजन उसपर टूट पड़ता था.

नतीजा ये की लंड घुसाने की कोशिश करता था तो गोरी दर्द से चिल्लाने लगती थी और गोरी को ये सब बड़ा तकलीफ़ वाला मालूम होता था. उसे चिल्लाते देख बेचारा राजन सब्र कर लेता था फिर. दूसरे राजन इतना कुरुप सा था की उसे देख कर गोरी बुझ सी जाती थी. सारी समयसा जानने के बाद मैने अपना जाल बिच्छाया. मैने एक दिन ठाकुरैईं और राजन को बुलाया. उनहइन बताया की ख़राबी उनके बेटे मैं नहीं बल्कि बहू मैं है और उसका इलाज करना होगा. छ्होटा सा ओपेरातिओं. बस बहू ठीक हो जाएगी. बुधिया तो खुस हो गयी पैर बेटे ने बाद मैं पूच्हा,

डॉकटोर साहब. आख़िर क्या ओपेरातिओं करना होगा?

हाँ राजन तुम्छैइन बताना ज़रूरी है नहीं तो बाद मैं तुम कुच्छ और सम’झोगे.

हाँ हाँ बोलीए ना डॉकटोर साहब. देखो राजन. तुम्हारी बीवी का गुप्ताँग तोड़ा सा खोलना होगा ओपेरातिओं करके. तभी तुम उस’से संभोग कर पाऊगे और वो माँ बन सकेगी. क्या? पैर क्या ये ओपेरातिओं आप करेंगे. मतलब मेरी बीवी को आपके सामने नंगा लेतना पड़ेगा? हाँ ये मजबूरी तो है पैर तुम तभी उसकी जवानी का मज़ा लूट पऊगे! वरना सोच लो यूँ ही तुम्हारी उमर निकल जाएगी और वो कुँवारी ही रहेगी. तो क्या आप जानते हैं ये सब बात. वह भॉंचाक्का सा बोला. हाँ! ठाकुरैईं ने मुझे सारी बात बता दी थी. अब वो नरम पद गया. प्लेआसए डॉकटोर साहब. कुच्छ भी कीजिए. चाहेओपेरातिओं कीजिए चाहे जो जी आए कीजिए पैर कुच्छ एसा कीजिए की मैं उसके साथ वो सब कर सकूँ और हमारा आँगन बच्चे की किलकरी से गूँज उठे. वरना मैं तो गाँव मैं मुँह नहीं दिखा सकूंगा किसी को. खंडन की इज़्ज़त का मामला है डॉकटोर साहब. उसने हाथ जोड़ लिए ठीक है घबरओ नहीं. बहू को मेरे क्लिनिक मैं भारती कर दो. दो चार दिन मैं जब वो ठीक हो जाएगी तो घर आ जाएगी. जब तुम गाँव वापस आओगे तो बस फिर बहू के साथ मौज करना. ठीक है डॉकटोर साहब. मेरे आने तक ठीक हो जाएगी तो मैं आपका बड़ा उपकर मानूंगा. और इस तरह गोरी मेरे घर पैर आ गई. कुच्छ दीनो के लिए शिकार जाल मैं था बस अब. करने की बारी थी. गोरी अच्छी मिलंसार थी. खुल सी गई थी मुझसे. पैर जब वो सामने होती थी अपने उपर कबो रखना मुश्किल हो जाता था. बाला की कंसिन थी वो जवानी जैसे फूट फूट कर भारी थी उसके बदन मैं पैर मैं ज़ब्त किए था. मौक़ा देख रहा था. महीनों से कोई लड़की मेरे साथ नहीं सोई थी. लंड था की नारी बदन देखते ही खड़ा हो जाता था. डूसरी प्रोबलें ये थी मेरे साथ की मेरा लंड बहुत बड़ा है जब वो पूरी तरह खड़ा होता है तो क़रीब लंबा होता है और उसका हेअड़ का दिया का हो जाता है जैसे की एक लाल बड़ा सा टमाटेर हो. और पीच्े लंबा सा , पत्थर की तरह कड़ा एकड्म सीधा लंबा सा खीरे जैसा मोटा सा लंड!

गोरी को मेरे घर आए एक दिन बीत चुका था. पीच्’ली रात तो मैने किसी तरह गुज़ार दी पैर डूस’रे दिन बढ़हवास सा हो गया और मुझे लगा की अब मुझे गोरी चाहिए वरना कहीं मैं उस’से बलात्कार ना कर बैठून. एआईसी सुंदर कामनिया काया मेरे ही घर मैं और मैं प्यासा. रात्री भोजन के बाद मैने गोरी से कहा की मुझे उस’से कुच्छ ख़ास बातें करनी हैं उसके कसे के बारे मैं क्लिनिक बंद करके मैने उस’से कहा की वो अंदर मेरे घर मैं आ जाए. गाँव की एक वधू की तरह वो मेरे सामने बैठी थी. एक भरपूर नज़र मैने उसपर डाली. उसने नज़रें झुका ली. आब मैने बेरोक टॉक उसके जिस्म को आपनी नज़रों से टोला. उफ़्फ़्फ़्फ़ कपड़ों मैं लिपटी हुई भी वो कितनी काम वासना जगाने वाली थी. देखो गोरी मैं जनता हूँ की जो बातें मैं तुमसे करने जा रहा हूँ वो मुझे तुम्हारे पति की अनुपस्थिति मैं शायद नहीं करनी चाहिए, पैर तुम्हारे कसे को समझने के लिए और इलाज के लिए मेरा जान ज़रूरी है और अकेले मैं मुझे लगता है की तुम सच सच बताओगी. मैं जो पूछूँ उसका ठीक ठीक जवाब देना. तुम्हारे पति ने मुझे सब बताया है और उसने ये भी बताया है की क्यों तुम दोनो का बचा नहीं हो रहा. क्या बताया उन्ोंने डॉकटोर साहब? राजन कहता है की तुम माँ बनने के काबिल ही नहीं हो. वो तो डॉकटोर साहब वो मुझसे भी कहते हैं और जब मैं नहीं मानती तो उन्होने मुझे मारा भी है एक दो बार. तो तुम्छैइन क्या लगता है की तुम माँ बन सकती हो?

हाँ डॉकटोर साहब. मेरे मैं कोई कमी नहीं. मैं बन सकती हूँ. तो क्या राजन मैं कुच्छ ख़राबी है हाँ डॉकटोर साहब. क्या? साहब वो. वो. उनसे होता नहीं. क्या नहीं होता राजन से. वो साहब. वो. हाँ. हाँ. बोलो गोरी. देखो मुझसे कुच्छ छ्छूपाओ मत. मैं डॉकटोर हूँ और डॉकटोर से कुच्छ छ्छुपाना नहीं चाहिए. डॉकटोर साहब. मुझे शरम आती है कहते हुए. आप पराए मर्द हैं ना. मैं उठा. कमरे का दरवाज़ा बंद करके खिड़की मैं भी चिटकनी लगा के मैने कहा, लो अब मेरे अलावा कोई सुन भी नहीं सकता. और मुझसे तो शरमाओ मत. हो सकता है तुम्हारा इलाज करने के लिए मुझे तुम्छैइन नंगा भी करना पड़े. तुम्हारी सास और पति से भी मैने कह दिया है और उन्होने कहा है की मैं कुच्छ भी करूँ पैर उनके खंडन को बच्चा दे दूं. इसलिए मुझसे मत शरमाओ. डॉकटोर साहब वो मेरे साथ कुच्छ कर नहीं पाते.

क्या? मैने अनजान बन हुए कहा. मुझे गोरी से बात कर’ने में बड़ा मज़ा आ रहा था. मैं उस आल्र गाँव की युवती को कुच्छ भी कर’ने से पह’ले पूरा खोल लेना चाह’ता था. वो. वो मेरे साथ मेरी योनी मैं दल नहीं पाते. ऊहू. यूँ कहो ना की वो मेरे साथ संभोग नहीं कर पाते. हाँ. राजन कह रहा था. की तुम्हारी योनी बहुत संकरी है तो क्या आजतक उसने ख़भी भी तुम्हारी योनी मैं नहीं घुसाया? नहीं डॉकटोर साहब. नज़र झुकाए ही वो बोली. तो क्या तुम अभी तक कुँवारी ही हो. तुम्हारी शादी को तो साल ब्भर से ज़्यादा हो चुका है हाँ साहब. वो कर ही नहीं सकते. मैं तो तड़प’टी ही रह जाती हूँ. यह कह’ते कह’ते गोरी रूवांसी हो उठी. पैर वो तो कहता है की तुम सह नहीं पति हो. और चीखने लगती हो. चीलाने लगती हो. साहब वो तो हैर लड़की पहली बार. पैर मरद को चाहिए की वो एक ना सुने और अपना काम करता रहे. पैर ये तो कर ही नहीं सकते इनके उस्मैन ताक़त ही नहीं हैं इतनी. सूखे से तो हैं पैर वो तो कहता है की तुमको संभोग की इकचह्चा ही नहीं होती. झूठ बोलते हैं साहब. किस लड़की की इकचह्चा नहीं होती की कोई बलीष्ट मरद आए और उसे लूट ले पैर उनहइन देख कर मेरी सारी इकचह्चा ख़तम हो जाती है पैर गोरी मैने तो उसका. काम अंग देखा है ठीक ही है वो संभोग कर तो सकता है कहीं तुम्हारी योनी मैं ही तो कुच्छ समस्या नहीं.

नहीं साहब नहीं. आप उनकी बातों मैं ना आइए पहले तो हमेशा मेरे आगे पीच्े घूमते थे. की मुझसे सुंदर गाँव मैं कोई नहीं. और अब. वो सुबकने लगी आप ही बताइए डॉकटोर साहब. मैं शादी के एक साल बाद भी कुवनरी हूँ. और फिर भी उस घर मैं सभी मुझे ताना मरते हैं अरे नहीं गोरी. मैने प्यार से उसके सर पैर हाथ फेरा. अच्छा मैं सब ठीक कर दूँगा. अच्छा चलो यहाँ बिस्तर पैर लेट जाओ. मुझे तुम्हारा चेक्क उप करना है क्या देखेंगे डॉकटोर साहब? तुम्हारे बदन का इंस्पेक्टीओं तो करना होगा. जीीई.? उपर से ही देख लीजिए ना डॉकटोर साहब. जो देखना है उपर से तो तुम बहुत ख़ूबसोरत लगती हो. एकदम काम की देवी. तुम्छैइन देख कर तो कोई भी मर्द पागल हो जय. फिर मुझे देखना ये है की आज तक तुम कुवनरी कैसे हो. चलो लेटो बिस्तर पैर और सारी उतारू. जजाजज्ज़िईइ. डॉकटोर साहब. मैं मैं मुझे शरम आती है

डॉकटोर से शरमाओगी तो इलाज कैसे होगा? वो लेट गयी मैने उसे सारी उतरने मैं मदद की. एक ख़ूबसोरत जिस्म मेरे सामने सिर्फ़ ब्लौसे और पेतिक्ॉत मैं था. लेता हुआ वो भी मेरे बिस्तर पैर मेरे लंड मैं हलचल होने लगी मैने उसका पेतिक्ॉत तोड़ा उपर को सरकाया और अपना एक हाथ उंदार डाला. वो उंदार नंगी थी. एक उंगली से उसकी छूट को सहलया. वो सिसकी. और आपनी झांघाओं से मेरे हाथ पैर हल्का सा दबाव डाला. उसकी छूट के होंट बड़े तिघ्ट थे. मैने दरार पैर उंगली घूमने के बाद अचानक उंगली उंदार घुसा दी. वो उच्चली. हल्की सी. एक सिसकरी उसके होंठों से निकली. थोड़ी मुश्किल के बाद उंगली तो घुसी. फिर मैने उंगली थोड़ी उंदार भहर की. वो भी साल भर से तड़प रही थी. मेरी इस हरकत ने उसे तोड़ा गर्मी दे दी. इसी बीच एक उंगली से उसे छोड़ते हुए मैने बाक़ी उंगलियाँ उसकी छूट से गांड के छ्छेद तक के रास्ते पैर फिरनी सुरू कर दी थी.

कैसा महसूस हो रहा है अच्छा लग रहा है हाँ डॉकटोर साहब. तुम्हारा पति ऐसा करता था. तुम्हारी योनी मैं इस तरह अंगुल डाल’ता था? नााअःह्छिईन्न्न. डॉक्कत्तूऊओर्र्र स्ससाहाअबबब. गोरी अब छ्त्पटाने लगी थी. उसकी आँखें लाल हो उठी थी. अगर तुम्हारे साथ संभोग करने से पहले तुम्हारा पति ऐसा करे तो तुम्छैइन आकचा लगेगा? हांणन्ं. वे तो कुच्छ जान’ते ही नहीं और सारा दोष मेरे माथे पैर ही मढ़ रहे हैं अगली बार जब अपने पति के पास जाना तो यहाँ. योनी पैर एक भी बल नहीं रखना. तुम्हारे पति को बहुत अकचा लगेगा. और वो ज़रूर तुम पैर चढ़ेगा. आकचा डॉकटोर साहब. जाओ उधर बाथरूम मैं सब काट कर आओ. वहा राजोर रखा है जानती हो ना. कैसे करना है संभोग कर’ने से पह’ले इसे सज़ा कर आप’ने पति के साम’ने कर’ना चाहिए. मैने गोरी की छूट को खोद’ते हुए उस’की आँखों में आँखें डाल कहा. हाँ. डॉकटोर साहब. लेकिन उन्होने तो कभी भी मुझे बाल साफ़ कर’ने के लिए नहीं कहा. गोरी ने धीरे से कहा. वो गई और थोड़ी देर मैं वापस मेरे बेडरूम मैं आ गई. हो गया. तो तुम्हें राज़ोर इस्तेमाल करना आता है कहीं उस नाज़ुक जगह को काट तो नहीं बैठी हो? मैने पूछा. जी जी कर दिया. शादी से पहले मैने काई बार राज़ोर पह’ले भी इस्तेमाल किया है

छोटा भाई

मेरा नाम आशा है मेरा छ्होटा भाई दासवी मैं पढ़ता है वह गोरा चित्ता और क़रीब मेरे ही बराबर लंबा भी है मैं इस समय 19 की हूँ और वह 15 का. मुझे भय्या के गुलाबी हूनत बहुत प्यारे लगते हैं दिल करता है की बस चबा लूं. पापा गुल्फ़ मैं है और माँ गोवेर्नमेंट जॉब मैं माँ जब जॉब की वजह से कहीं बाहर जाती तू घर मैं बस हम दो भाई बहन ही रह जाते थे. मेरे भाई का नाम अमित है और वह मुझे दीदी कहता है एक बार माँ कुच्छ दीनो के लिए बाहर गयी थी. उनकी एलेक्टीओं दूत्य लग गयी थी. माँ को एक हफ़्ते बाद आना था. रात मैं दिननेर के बाद कुच्छ देर ट्व देखा फिर अपने-अपने कमरे मैं सोने के लिए चले गाये

क़रीब एक आध घंटे बाद प्यास लगने की वजह से मेरी नींद खुल गयी अपनी सीदे तबले पैर बोट्थले देखा तो वह ख़ाली थी. मैं उठकर कित्चें मैं पानी पीने गयी तू लौटते समय देखा की अमित के कमरे की लिघ्ट ओं और दरवाज़ा भी तोड़ा सा खुला था. मुझे लगा की शायद वह लिघ्ट ओफ़्फ़ करना भूल गया है मैं ही बंद कर देती हूँ. मैं चुपके से उसके कमरे मैं गयी लेकिन अंदर का नज़ारा हैरान मैं हैरान हो गयी

अमित एक हाथ मैं कोई द पकड़कर उसे पार् रहा था और दूसरे हाथ से अपने ताने हुए लंड को पकड़कर मूट मार रहा था. मैं कभी सोच भी नही सकती की इतना मासूम लगने वाला दासवी का यह छ्ोक्रा ऐसा भी कर सकता है मैं दूं साढ़े चुपचाप खड़ी उसकी हरकत देखती रही, लेकिन शायद उसे मेरी उपस्थिति का आभास हो गया. उसने मेरी तरफ़ मुँह फेरा और दरवाज़े पैर मुझे खड़ा हैरान चौंक गया. वह बस मुझे देखता रहा और कुच्छ भी ना बोल पाया. फिर उसने मुँह फैर कर द टाकिएे के नीचे छ्छूपा दी. मुझे भी समझ ना आया की क्या करूँ. मेरे दिल मैं यह ख़्याल आया की कल से यह लड़का मुझसे शरमायगा और बात करने से भी कत्राएगा. घर मैं इसके अलावा और कोई है भी नही जिससे मेरा मनन बहालता. मुझे अपने दिन याद आए. मैं और मेरा एक काज़ीन इसी उमर के थे जबसे हमने मज़ा लेना शुरू किया था तू इसमे कौन सी बड़ी बात अगर यह मूट मार रहा था.

मैं धीरे-धीरे उसके पास गयी और उसके कंधे पैर हाथ रखकर उसके पास ही बैठ गयी वह चुपचाप रहा. रहा. मैने उसके कंधों को दबाते हुए कहा, “अरे यार अगर यही करना था तू काम से काम दरवाज़ा तू बंद कर लिया होता.” वह कुच्छ नही बोला, बस मुँह दूसरी तरफ़ किए रहा. रहा. मैने अपने हाथों से उसका मुँह अपनी तरफ़ किया और बोली “अभी से ये मज़ा लेना शुरू कर दिया. कोई बात नही मैं जाती हूँ तू अपना मज़ा पूरा कर ले. लेकिन ज़रा एह द तू दिखा.” मैने टाकिएे के नीचे से द निकल ली. एह हिंदी मैं लिखे मास्ट्रँ की द थी. मेरा काज़ीन भी बहुत सी मास्ट्रँ की किताबे लता था और हम दोनो ही मज़े लेने के लिए साथ-साथ पढ़ते थे. छुड़ाई के समय द के ड्िओलग बोलकर एक दूसरे का जोश बढ़ते थे.

जब मैं द उसे देकर बाहर जाने के लिए उठी तू वह पहली बार बोला, “दीदी सारा मज़ा तू आपने ख़राब कर दिया, अब क्या मज़ा करूँगा.” “अरे अगर तुमने दरवाज़ा बंद किया होता तू मैं आती ही नही.” “औुए अगर आपने देख लिया था तू चुपचाप चली जाती.”

अगर मैं बहस मैं जीतना चाहती तू आसानी से जीत जाती लेकिन मेरा वह काज़ीन क़रीब 6 मोन्तस से नहीं आया था इसलिए मैं भी किसी से मज़ा लेना चाहती ही थी. अमित मेरा छ्होटा भाई था और बहुत ही सेक्ष्य लगता था इसलिए मैने सोचा की अगर घर मैं ही मज़ा मिल जाए तू बाहर जाने की क्या ज़रूरत. फिर अमित का लौड़ा अभी कुंवारा था. मैं कुंवारे लंड का मज़ा पहली बार लेती इसलिए मैने कहा, “चल अगर मैने तेरा मज़ा ख़राब किया है तू मैं ही तेरा मज़ा वापस कर देती हूँ.” फिर मैं पलंग पैर बैठ गयी और उसे चित लिटाया और उसके मुरझाए लंड को अपनी मुती मैं लिया. उसने बचने की कोशिश की पैर मैने लंड को पकड़ लिया था. अब मेरे भाई को यक़ीन हो चुका था की मैं उसका राज़ नही खोलूँगी इसलिए उसने अपनी टांगे खोल दी ताकि मैं उसका लंड ठीक से पकड़ सकूँ. मैने उसके लंड को बहुत हिलाया दुलाया लेकिन वह खड़ा ही नही हूवा. वह बड़ी मायूसी के साथ बोला “देखा दीदी अब खड़ा ही नही हो रहा है

“अरे क्या बात करते हो. अभी तुमने अपनी बहन का कमाल कहाँ देखा है मैं अभी अपने प्यारे भाई का लंड खड़ा कर दूँगी.” ऐसा कह मैं भी उसकी बगल मैं ही लेट गयी मैं उसका लंड सहलने लगी और उससे द पर्ने को कहा. “दीदी मुझे शरम आती है “साले अपना लंड बहन के हाथ मैं देते शरम नही आई.” मैने ताना मारते हुवे कहा “ला मैं परहती हूँ.” और मैने उसके हाथ से द ले ली. मैने एक स्टोरय निकली जिसमे भाई बहन के डियलोग थे. और उससे कहा, “मैं लड़की वाला बोलूँगी और तुम लड़के वाला. मैने पहले परा, “अरे राजा मेरी चूचियों का रस तू बहुत पी लिया अब अपना बनाना शाके भी तू टास्ते करओ.”

“अभी लो रानी पैर मैं डरता हूँ इसलिए की मेरा लंड बहुत बड़ा है तुम्हारी नाज़ुक कसी छूट मैं कैसे जाएगा.”

और इतना पारकर हुंदोनो ही मुस्करा दिए क्योंकि यहा हालत बिल्कुल उल्टे थे. मैं उसकी बड़ी बहन थी और मेरी छूट बड़ी थी और उसका लंड छ्होटा था. वह शर्मा गया लेकिन थोड़ी सी परहाय के बाद ही उसके लंड मैं जान भर गयी और वह टन्णकर क़रीब 6 इंच का लंबा और 1.5 का मोटा हो गया. मैने उसके हाथ से किताब लेकर कहा, “अब इस किताब की कोई ज़रूरत नही. देख अब तेरा खड़ा हो गया है तू बस दिल मैं सोच ले की तू किसी की छोड़ रहा है और मैं तेरी मूट मार देती हूँ.”

मैं अब उसके लंड की मूट मार रही थी और वह मज़ा ले रहा था. बीच बीच मैं सिसकारियाँ भी भरता था. एकाएक उसने छूटड़ उठाकर लंड ऊपर की ऊर तेला और बोला, “बस दीदी” और उसके लंड ने गाढ़ा पानी फैंक दिया जो मेरी हथेली पैर गिरा. मैं उसके लंड के रस को उसके लंड पैर लगती उसी तरह सहलती रही और कहा, “क्यों भय्या मज़ा आया?”

“सच दीदी बहुत मज़ा आया.” “अच्छा यह बता की ख़्यालों मैं किसकी ले रहे थे?”

“दीदी शरम आती है बाद मैं बतौँगा.” इतना कह उसने टाकिएे मैं मुँह छ्छूपा लिया.

“अच्छा चल अब सो जा नींद अच्छी आएगी. और आगे से जब ये करना हो तू दरवाज़ा बंद कर लिया करना.” “अब क्या करना दरवाज़ा बंद करके दीदी तुमने तू सब देख ही लिया है

“चल शैतान कही के.” मैने उसके गाल पैर हल्की सी छपत मारी और उसके हौंा. को चूमा. मैं और क़िसस करना चाहती थी पैर आगे के लिए छ्छोड़ कर वापस अपने कमरे मैं आई. अपनी शलवार कमीज़ उतर कर निघटय पहनने लगी तू देखा की मेरी पंतय बुरी तरह भीगी हिई है अमित के लंड का पानी निकलते-निकलते मेरी छूट ने भी पानी छ्छोड़ दिया था. अपना हाथ पंतय मैं डालकर अपनी छूट सहलने लगी का स्पर्श पाकर मेरी छूट फिर से सिसकने लगी और मेरा पूरा हाथ गीला हो गया. छूट की आग बुझाने का कोई रास्ता नही था सिवा अपनी उंगली के. मैं बेद पैर लेट गयी अमित के लंड के साथ खेलने से मैं बहुत एक्शसीतेड थी और अपनी प्यास बुझाने के लिए अपनी बीच वाली उंगली जड़ तक छूट मैं डाल दी. टाकिएे को सीने से कसकर भींचा और जांघो के बीच दूसरा तकिया दबा आँखे बंद की और अमित के लंड को याद करके उंगली अंदर बाहर करने लगी इतनी मस्ती छ्छादी थी की क्या बताए, मनन कर रहा था की अभी जाकर अमित का लंड अपनी छूट मैं डलवा ले. उंगली से छूट की प्यास और बार्ह गयी इसलिए उंगली निकल टाकिएे को छूट के ऊपर दबा औंधे मुँह लेटकर धक्के लगाने लगी बहुत देर बाद छूट ने पानी छ्छोड़ा और मैं वैसे ही सो गयी

सुबह उठी तू पूरा बदन अंबुझी प्यास की वजह से सुलग रहा था. लाख रग़ाद लो टाकिएे पैर लेकिन छूट मैं लंड घुसकर जो मज़ा देता है उसका कहना ही क्या. बेद पा लेते हुवे मैं सोचती रही की अमित के कुंवारे लंड को कैसे अपनी छूट का रास्ता दिखाया जाए. फिर उठकर तैयार हुई. अमित भी सचूल जाने को तैयार था. नाश्ते की तबले हुंदोनो आमने-सामने थे. नज़रे मिलते ही रात की याद ताज़ा हो गयी और हुंदोनो मुस्करा दिए अमित मुझसे कुच्छ शर्मा रहा था की कहीं मैं उसे छ्छेद ना दूं. मुझे लगा की अगर अभी कुच्छ बोलूँगी तू वह बिदक जाएगा इसलिए चाहते हुए भी ना बोली.

चलते समय मैने कहा, “चलो आज तुम्हे अपने स्कूटेर पैर सचूल छ्छोड़ दूं.” वह फ़ौरन तय्यार हो गया और मेरे पीच्े बैठ गया. वह तोड़ा स्कूछता हूवा मुझसे अलग बैठा था. वह पीछे की स्टेपनी पकड़े था. मैने स्पीड से स्कूटेर चलाया तू उसका बालंसे बिगड़ गया और संभालने के लिए उसने मेरी कमर पकड़ ली. मैं बोली, “कसकर पकड़ लो शर्मा क्यों रहे हो?”

“अच्छा दीदी” और उसने मुझे कसकर कमर से पकड़ लिया और मुझसे छिपक सा गया. उसका लंड कड़ा हो गया था और वह अपनी जांघो के बीच मेरे छूटड़ को जकड़े था. “क्या रात वाली बात याद आ रही है अमित?” “दीदी रात की तू बात ही मत करो. कहीं ऐसा ना हो की मैं सचूल मैं भी शुरू हो जौन.” “अच्छा तू बहुत मज़ा आया रात मैं “हाँ दीदी इतना मज़ा ज़िंदगी मैं कभी नही आया. काश कल की रात कभी ख़तम ना होती. आपके जाने के बाद मेरा फिर खड़ा हो गया था पैर आपके हाथ मैं जो बात थी वो कहाँ. ऐसे ही सो गया.”

“तू मुझे बुला लिया होता. अब तू हम तुम दोस्त हैं एक दूसरे के काम आ सकते हैं “तू फिर दीदी आज राक का प्रोग्राम पक्का.” “चल हट केवल अपने बारे मैं ही सोचता है ये नही पूछता की मेरी हालत कैसी है मुझे तू किसी चीज़ की ज़रूरत नही है चल मैं आज नही आती तेरे पास.” “अरे आप तू नाराज़ हो गयी दीदी. आप जैसा कहेंगी वैसा ही करूँगा. मुझे तू कुच्छ भी पता नही अब आप ही को मुझे सब सीखना होगा.”

तब तक उसका सचूल आ गया था. मैने स्कूटेर रोका और वह उतरने के बाद मुझे देखने लगा लेकिन मैं उसपर नज़र डाले बग़ैर आगे चल दी. स्कूटेर के शीशे मैं देखा की वह मायूस सा सचूल मैं जा रहा है मैं मनन ही मनन बहुत ख़ुश हुई की चलो अपने दिल की बात का इशारा तू उसे दे ही दिया.

शाम को मैं अपने कॉल्लेगे से जल्दी ही वापस आ गयी थी. अमित 2 बजे वापस आया तू मुझे घर पैर देखकर हैरान रह गया. मुझे लेता देखकर बोला, “दीदी आपकी तबीयत तू ठीक है “ठीक ही समझो, तुम बताओ कुच्छ हॉमेवोर्क मिला है क्या?” “दीदी कल सुंदय है ही. वैसे कल रात का काफ़ी हॉमेवोर्क बचा हूवा है मैने हँसी दबाते हुवे कहा, “क्यो पूरा तू करवा दिया था. वैसे भी तुमको यह सब नही करना चाहिए. सेहत पैर असर पड़ता है कोई लड़की पता लो, आजकल की लड़किया भी इस काम मैं काफ़ी इंटेरेस्टेड रहती हैं “दीदी आप तू ऐसे कह रही हैं जैसे लड़कियाँ मेरे लिए शलवार नीचे और कमीज़ ऊपर किए तय्यार है की आओ पंत खोलकर मेरी ले लो.” “नही ऐसी बात नही है लड़की पतनी आनी चाहिए.”

फिर मैं उठकर नाश्ता बनाने लगी मनन मैं सोच रही थी की कैसे इस कुंवारे लंड को लड़की पटकर छोड़ना सीख़ाओं. लूंच तबले पैर उससे पूच्हा, “अच्छा यह बता तेरी किसी लड़की से दोस्ती है “हाँ दीदी सुधा से.” “कहाँ तक “बस बातें करते हैं और सचूल मैं साथ ही बैठते हैं मैने सीधी बात करने के लिए कहा, “कभी उसकी लेने का मनन करता है “दीदी आप कैसी बात करती हैं वह शर्मा गया तू मैं बोली, “इसमे शर्माने की क्या बात है मूतही तू तो रोज़ मारता है ख़्यालो मैं कभी सुधा की ली है या नही सच बता.” “लेकिन दीदी ख़्यालो मैं लेने से क्या होता है “तू इसका मतलब है की तू उसकी असल मैं लेना चाहता है मैने कहा.

“उससे ज़्यादा तू और एक है जिसकी मैं लेना चाहता हूँ, जो मुझे बहुत ही अच्छी लगती है “जिसकी कल रात ख़्यालो मैं ली थी?” उसने सर हिलाकर हाँ कर दिया पैर मेरे बार-बार पूच्ह्ने पैर भी उसने नाम नही बताया. इतना ज़रूर कहा की उसकी छुड़ाई कर लेने के बाद ही उसका नाम सबसे पहले मुझे बताएगा. मैने ज़्यादा नही पूच्हा क्योंकि मेरी छूट फिर से गीली होने लगी थी. मैं चाहती थी की इससे पहले की मेरी छूट लंड के लिए बेचैन हो वह ख़ुद मेरी छूट मैं अपना लंड डालने के लिए गिदगिड़ाए. मैं चाहती थी की वह लंड हाथ मैं लेकर मेरी मिन्नत करे की दीदी बस एक बार छोड़ने दो. मेरा दिमाग़ ठीक से काम नही कर रहा था इसलिए बोली, “अच्छा चल कपड़े बदल कर आ मैं भी बदलती हूँ.”

वह अपनी उनिफ़ोर्म चांगे करने गया और मैने भी प्लान के मुताबिक़ अपनी शलवार कमीज़ उतर दी. फिर ब्रा और पंतय भी उतर दी क्योंकि पाटने के मदमस्त मौक़े पैर ये दिक्कत करते. अपना देसी पेट्टीकोत और ढीला ब्लौसे ही ऐसे मौक़े पैर सही रहते हैं जब बिस्तर पैर लेटो तू पेट्टीकोत अपने आप आसानी से घुटनो तक आ जाता है और थोड़ी कोशिश से ही और ऊपर आ जाता है जहाँ तक ब्लौसे का सवाल है तू तोड़ा सा झुको तू सारा माल छ्छालाक कर बाहर आ जाता है बस यही सोचकर मैने पेट्टीकोत और ब्लौसे पहना था.

वह सिर्फ़ प्यजमा और बनियाँ पहनकर आ गया. उसका गोरा चित्ता चिकना बदन मदमस्त करने वाला लग रहा था. एकाएक मुझे एक ईड़िया आया. मैं बोली, “मेरी कमर मैं तोड़ा दर्द हो रहा है ज़रा बल्म लगा दे.” यह बेद पैर लेतने का पेरफ़ेक्ट बहाना था और मैं बिस्तर पैर पेट के बल लेट गयी मैने पेट्टीकोत तोड़ा ढीला बाँधा था इसलिए लेट्टे ही वह नीचे खिसक गया और मेरे कुटड़ो के बीच की दरार दिखाए देने लगी लेट्टे ही मैने हाथ भी ऊपर कर लिए जिससे ब्लौसे भी ऊपर हो गया और उसे मालिश करने के लिए ज़्यादा जगह मिल गयी वह मेरे पास बैठकर मेरी कमर पैर ईओडेक्श( पाईं बल्म) लगाकर धीरे धीरे मालिश करने लगा. उसका स्पर्श(तौछ) बड़ा ही सेक्ष्य था और मेरे पूरे बदन मैं सिहरन सी दौड़ गयी थोड़ी देर बाद मैने करवत लेकर अमित की ऊर मुँह कर लिया और उसकी जाँघ पैर हाथ रखकर ठीक से बैठने को कहा. करवत लेने से मेरी चूचियाँ ब्लौसे के ऊपर से आधी से ज़्यादा बाहर निकल आई थी. उसकी जाँघ पैर हाथ रखे रखे ही मैने पहले की बात आगे बरहाय, “तुझे पता है की लड़की कैसे पटाया जाता है

“अरे दीदी अभी तू मैं बच्चा हूँ. ये सब आप बताएँगी तब मालूम होगा मुझे.” ईओडेक्श लगाने के दौरान मेरा ब्लौसे ऊपर खींच गया था जिसकी वजह से मेरी गोलाईयाँ नीचे से भी झाँक रही थी. मैने देखा की वह एकतक मेरी चूचियों को घूर रहा है उसके कहने के अंदाज़ से भी मालूम हो गया की वह इस सिलसिले मैं ज़्यादा बात करना छह रह है

“अरे यार लड़की पाटने के लिए पहले ऊपर ऊपर से हाथ फेरना पड़ता है ये मालूम करने के लिए की वह बुरा तू नही मानेगी.” “पैर कैसे दीदी.” उसने पूच्हा और अपने पैर ऊपर किए. मैने तोड़ा खिसक कर उसके लिए जगह बनाई और कहा, “देख जब लड़की से हाथ मिलाओ तू उसको ज़्यादा देर तक पकड़ कर रखो, देखो कब तक नही छ्छुड़ती है और जब पीछे से उसकी आँख बंद कर के पूच्हो की मैं कौन हूँ तू अपना केला धीरे से उसके पीच्े लगा दो. जब कान मैं कुच्छ बोलो तू अपना गाल उसके गाल पैर रग़ाद दो. वो अगर इन सब बातों का बुरा नही मानती तू आगे की सोचो.”

अमित बड़े ध्यान से सुन रहा था. वह बोला, “दीदी सुधा तू इन सब का कोई बुरा नही मानती जबकि मैने कभी ये सोचकर नही किया था. कभी कभी तू उसकी कमर मैं हाथ डाल देता हूँ पैर वह कुच्छ नही कहती.” “तब तू यार छ्होक्री तय्यार है और अब तू उसके साथ दूसरा खेल शुरू कर.” “कौन सा दीदी?” “बातों वाला. यानी कभी उसके संटरो की तारीफ़ करके देख क्या कहती है अगर मुस्करकार बुरा मानती है तू समझ ले की पाटने मैं ज़्यादा देर नही लगेगी.”

“पैर दीदी उसके तू बहुत छ्होटे-छ्होटे संटरे हैं तारीफ़ के काबिल तू आपके है वह बोला और शरमकार मुँह छ्छूपा लिया. मुझे तू इसी घड़ी का इंतेज़र था. मैने उसका चेहरा पकड़कर अपनी ऊर घूमते हुवे कहा, “मैं तुझे लड़की पटना सीखा रही हूँ और तू मुझी पैर नज़रे जमाए है

“नही दीदी सच मैं आपकी चूचियाँ बहुत प्यारी है बहुत दिल करता है और उसने मेरी कमर मैं एक हाथ डाल दिया. “अरे क्या करने को दिल करता है ये तू बता.” मैने इतलकर पूच्हा.

“इनको सहलने का और इनका रस पीने का.” अब उसके हौसले बुलंद हो चुके थे और उसे यक़ीन था की अब मैं उसकी बात का बुरा नही मनूंगी. “तू कल रात बोलता. तेरी मूट मरते हुवे इनको तेरे मुँह मैं लगा देती. मेरा कुच्छ घिस तू नही जाता. चल आज जब तेरी मूट मरूंगी तू उस वक़्त अपनी मुराद पूरी कर लेना.” इतना कह उसके प्यजमा मैं हाथ डालकर उसका लंड पकड़ लिया जु पूरी तरह से टन गया था. “अरे ये तू अभी से तय्यार है

तभी वह आगे को झुका और अपना चेहरा मेरे सीने मैं छ्छूपा लिया. मैने उसको बानहो मैं भरकर अपने क़रीब लिटा लिया और कस के दबा लिया. ऐसा करने से मेरी छूट उसके लंड पैर दब्ने लगी उसने भी मेरी गार्दन मैं हाथ दल मुझे दबा लिया. तभी मुझे लगा की वो ब्लौसे के ऊपर से ही मेरी लेफ्ट चूचि को चूस रहा है मैने उससे कहा “अरे ये क्या कर रहा है मेरा ब्लौसे ख़राब हो जाएगा.”

उसने झट से मेरा ब्लौसे ऊपर किया और निपपले मुँह मैं लेकर चूसना शुरू कर दिया. मैं उसकी हिम्मत की दाद दिए बग़ैर नही रह सकी. वह मेरे साथ पूरी तरह से आज़ाद हो गया था. अब यह मेरे ऊपर था की मैं उसको कितनी आज़ादी देती हूँ. अगर मैं उसे आगे कुच्छ करने देती तू इसका मतलब था की मैं ज़्यादा बेकरार हूँ छुड़वाने के लिए और अगर उसे माना करती तू उसका मूड ख़राब हो जाता और शायद फिर वह मुझसे बात भी ना करे. इसलिए मैने बीच का रास्ता लिया और बनावती ग़ुस्से से बोली, “अरे ये क्या तू तो ज़बरदस्ती करने लगा. तुझे शरम नही आती.”

“ओह् दीदी आपने तू कहा था की मेरा ब्लौसे मत ख़राब कर. रस पीने को तू माना नही किया था इसलिए मैने ब्लौसे को ऊपर उठा दिया.” उसकी नज़र मेरी लेफ्ट चूचि पैर ही थी जो की ब्लौसे से बाहर थी. वह अपने को और नही रोक सका और फिर से मेरी चूचि को मुँह मैं ले ली और छ्ोसने लगा. मुझे भी मज़ा आ रहा था और मेरी प्यास इन्कर्ेसए कर रहिति. कुच्छ देर बाद मैने ज़बरदस्ती उसका मुँह लेफ्ट चूचि से हटाया और रिघ्त चूचि की तरफ़ लाते हुवे बोली, “अरे साले ये दो होती हैं और दोइनो मैं बराबर का मज़ा होता है

उसने रिघ्त मम्मे को भी ब्लौसे से बाहर किया और उसका निपपले मुँह मैं लेकर चुभलने लगा और साथ ही एक हाथ से वह मेरी लेफ्ट चूचि को सहलने लगा. कुच्छ देर बाद मेरा मनन उसके गुलाबी हूँतो को छूमे को करने लगा तू मैने उससे कहा, “कभी किसी को क़िसस किया है “नही दीदी पैर सुना है की इसमे बहुत मज़ा आता है

“बिल्कुल ठीक सुना है पैर क़िसस ठीक से करना आना चाहिए.”

“कैसे?”

उसने पूछा और मेरी चूचि से मुँह हटा लिया. अब मेरी दोनो चूचियाँ ब्लौसे से आज़ाद खुली हवा मैं तनी थी लेकिन मैने उन्हे छ्छूपाया नही बल्कि अपना मुँह उसके मुँह के पास लेजाकर अपने हूनत उसके हूनत पैर रख दिए फिर धीरे से अपने हूनत से उसके हूनत खोलकर उन्हे प्यार से चूसने लगी क़रीब दो मिनुटे तक उसके हूनत चूस्ती रही फिर बोली.

“ऐसे.”

वह बहुत एक्शसीतेड हो गया था. इससे पहले की मैं उसे बोलूं की वह भी एक बार्किस्स करने की प्रकटिसे कर ले, वह ख़ुद ही बोला, “दीदी मैं भी करूँ आपको एक बार?” “कर ले.” मैने मुस्कराते हुवे कहा.

अमित ने मेरी ही स्टयले मैं मुझे क़िसस किया. मेरे हूँतो को चूस्ते समय उसका सीना मेरे सीने पैर आकर दबाव डाल रहा था जिससे मेरी मस्ती दोगुनी हो गयी थी. उसका क़िसस ख़तम करने के बाद मैने उसे अपने ऊपर से हटाया और बानहो मैं लेकर फिर से उसके हूनत चूसने लगी इस बार मैं तोड़ा ज़्यादा जोश से उसे चूस रही थी. उसने मेरी एक चूचि पकड़ ली थी और उसे कस कसकर दबा रहा था. मैने अपनी कमर आगे करके छूट उसके लंड पैर दबाई. लंड तू एकदम तनकर ईरों रोड हो गया था. छुड़वाने का एकदम सही मौक़ा था पैर मैं चाहती थी की वह मुझसे छोड़ने के लिए भीख मांगे और मैं उसपर एहसान करके उसे छोड़ने की इज़ाज़त दूं.

मैं बोली, “चल अब बहुत हो गया, ला अब तेरी मूट मार दूं.” “दीदी एक रेक़ुएस्ट करूँ?” “क्या?” मैने पूच्हा. “लेकिन रेक़ुएस्ट ऐसी होनी चाहिए की मुझे बुरा ना लगे.”

ऐसा लग रहा था की वह मेरी बात ही नही सुन रहा है बस अपनी कहे जा रहा है वह बोला, “दीदी मैने सुना है की अंदर डालने मैं बहुत मज़ा आता है डालने वाले को भी और डलवाने वाले को भी. मैं भी एक बार अंदर डालना चाहता हूँ.”

“नहीं अमित तुम मेरे छ्होटे भाई हो और मैं तुम्हारी बड़ी बहन.” “दीदी मैं आपकी लूंगा नही बस अंदर डालने दीजिए.” “अरे यार तू फिर लेने मैं क्या बचा.” “दीदी बस अंदर डालकर देखूँगा की कैसा लगता है छोदुँगा नही प्लेआसए दीदी.”

मैने उसपर एहसान करते हुवे कहा, “तुम मेरे भाई हो इसलिए मैं तुम्हारी बात को माना नही कर सकती पैर मेरी एक शर्त है तुमको बताना होगा की अक्सर ख़्यालो मैं किसकी छोड़ते हो?” और मैं बेद पैर पैर फैलाकर चित्त लेट गयी और उसे घुटने के बल अपने ऊपर बैठने को कहा. वह बैठा तू उसके प्यजमा के ज़रबंद को खोलकर प्यजमा नीचे कर दिया. उसका लंड तनकर खड़ा था. मैने उसकी बाँह पकड़ कर उसे अपने ऊपर कोहनी के बल लीयता लिया जिससे उसका पूरा वज़न उसके घुटनो और कोहनी पैर आ गया. वह अब और नही रुक सकता था. उसने मेरी एक चूचि को मुँह मैं भर लिया जो की ब्लौसे से बाहर थी. मैं उसे अभी और छ्छेड़ना छाती थी. “सुन अमित ब्लौसे ऊपर होने से चुभ रहा है ऐसा कर इसको नीचे करके मेरे संटरे ढांप दे.” “नही दीदी मैं इसे खोल देता हूँ.” और उसने ब्लौसे के बुट्तों खोल दिया. अब मेरी दोनो चूचिया पूरी नंगी थी. उसने लपककर दोनो को क़ब्ज़े मैं कर लिया. अब एक चूचि उसके मुँह मैं थी और दूसरी को वह मसल रहा था. वह मेरी चूचियों का मज़ा लेने लगा और मैने अपना पेट्टीकोत ऊपर करके उसके लंड को हाथ से पकड़ कर अपनी गीली छूट पैर रग़ादना शुरू कर दिया. कुच्छ देर बाद लंड को छूट के मुँह पैर रखकर बोली, “ले अब तेरे चाकू को अपने खर्बूजे पैर रख दिया है पैर अंदर आने से पहले उसका नाम बता जिसकी तू बहुत दिन से छोड़ना चाहता है और जिसे याद करके मूट मारता है

वह मेरी चूचियों को पकड़कर मेरे ऊपर झुक गया और अपने हूनत मेरे हूनत पैर रख दिए मैं भी अपना मुँह खोलकर उसके हूनत चूसने लगी कुच्छ देर बाद मैने कहा, “हाँ तू मेरे प्यारे भाई अब बता तेरे सपनो की रानी कौन है

“दीदी आप बुरा मत मानिएगा पैर मैने आज तक जितनी भी मूट मारी है सिर्फ़ आपको ख़्यालो मैं रखकर.”

“हाय भय्या तू कितना बेसरम है अपनी बड़ी बहन के बारे मैं ऐसा सोचता था.” “ओह् दीदी मैं क्या करूँ आप बहुत ख़ूबसूरत और सेक्ष्य है मैं तू कब से अप्पकी चूचियों का रस पीना चाहता था और आपकी छ्होट मैं लंड डालना चाहता था. आज दिल की आरज़ू पूरी हुई.” और फिर उसने शरमकार आँखे बंद करके धीरे से अपना लंड मेरी छूट मैं डाला और वादे के मुताबिक़ चुपचाप लेट गया.

“अरे तू मुझे इतना चाहता है मैने तू कभी सोचा भी नही था की घर मैं ही एक लंड मेरे लिए तड़प रहा है पहले बोला होता तू पहले ही तुझे मैका दे देती.” और मैने धीरे-धीरे उसकी पीठ सहलनी शुरू कर दी. बीच-बीच मैं उसकी गांड भी दबा देती.

“दीदी मेरी किस्मत देखिए कितनी झांतु है जिस छ्होट के लिए तड़प रहा था उसी छूट मैं लंड पड़ा है पैर छोड़ नही सकता. पैर फिर भी लग रहा है की स्वर्ग मैं हूँ.” वह खुल कर लंड छ्होट बोल रहा था पैर मैने बुरा नही माना. “अच्छा दीदी अब वायदे के मुताबिक़ बाहर निकलता हूँ.” और वह लंड बाहर निकालने को तय्यार हूवा.

मैं तू सोच रही थी की वह अब छूट मैं लंड का धक्का लगाना शुरू करेगा लेकिन यह तू ठीक उल्टा कर रहा था. मुझे उसपर बड़ी दया आई. साथ ही अच्छा भी लगा की वायदे का पक्का है अब मेरा फ़र्ज़ बनता था की मैं उसकी वफ़ादारी का इनाम अपनी छूट छुड़वकर दूं. इसलिए उससे बोली, “अरे यार तूने मेरी छूट की अपने ख़्यालो मैं इतनी पूजा की है और तुमने अपना वादा भी निभाया इसलिए मैं अपने प्यारे भाई का दिल नही तूडूंगी. चल अगर तू अपनी बहन को छोड़कर बाहंचोड़ बनना ही चाहता है तू छोड़ ले अपनी जवान बड़ी बहन की छूट.”

मैने जानकार इतने गंदे वॉर्ड्स उसे किए थे पैर वह बुरा ना मानकर ख़ुश होता हूवा बोला, “सच दीदी.” और फ़ौरन मेरी छूट मैं अपना लंड ढकाधक पैलने लगा की कहीं मैं अपना इरादा ना बदल दूं.

“तू हबूत किस्मत वाला है अमित.” मैं उसके कुंवारे लंड की छुड़ाई का मज़ा लेते हुवे बोली.”क्यों दीदी?” “अरे म्यार तू अपनी ज़िंदगी की पहली छुड़ाई अपनी ही बहन की कर रहा है और उसी बहन की जिसकी तू जाने क़ब्से छोड़ना चाहता था.”

“हाँ दीदी मुझे तू अब भी यक़ीन नही आ रहा है लगता है सपने मैं छोड़ रहा हूँ जैसे रोज़ आपको छोड़ता था.” फिर वह मेरी एक चूचि को मुँह मैं दबा कर चूसने लगा. उसके धाक्को की रफ़्तार अभी भी काम नही हुई थी. मैं भी काफ़ी दीनो के बाद छुड़ रही थी इसलिए मैं भी छुड़ाई का पूरा मज़ा ले रही थी.

वह एक पल रुका फिर लंड को गहराई तक ठीक से पैल्कर ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लगा. वह अब झड़ने वाला था. मैं भी सातवे आसमान पैर पहुँच गयी थी और नीचे से कमर उठा-उठाकर उसके धाक्को का जवाब दे रही थी. उसने मेरी चूचि छ्छोड़कर मेरे हूँतो की मुँह मैं ले लिया जो की मुझे हमेशा अच्छा लगता था. मुझे चूमटे हुए कसकस्कर दो चार धक्के दिए और और “हाए आशा मेरी जान” कहते हुवे झड़कर मेरे ऊपर छिपक गया. मैने भी नीचे से दो चार धक्के दिए और “हाए मेरे राजा कहते हुवे झाड़ गयी

छुड़ाई के जोश ने हुंदोनो को निढाल कर दिया था. हुंदोनो कुच्छ देर तक यूँ ही एक दूसरे से चिपके रहे. कुच्छ देर बाद मैने उससे पूच्ह, “क्यों मज़ा आया मेरे बाहंचोड़ भाई को अपनी बहन की छूट छोड़ने मैं उसका लंड अभी भी मेरी छूट मैं था. उसने मुझे कसकर अपनी बानहो मैं जकदकर अपने लंड को मेरी छूट पैर कसकर दबाया और बोला, “बहुत मज़ा आया दीदी. यक़ीन नही होता की मैने अपनी बहन को छोड़ा है और बाहंचोड़ बन गया हूँ.” “तू क्या मैने तेरी मूट मारी है “नही दीदी यह बात नही है “तू क्या तुझे अब अफ़सोस लग रहा है अपनी बहन को छोड़कर बाहंचोड़ बनने का.”

“नही दीदी ये बात भी नही है मुझे तू बड़ा ही मज़ा आया बाहंचोड़ बनने मैं मनन तू कर रह की बासस अब सिर्फ़ अपनी दीदी की जवानी का रास ही पीटा रहो. हाय दीदी बल्कि मैं तू सोच रहा हूँ की भगवान ने मुझे सिर्फ़ एक बहन क्यों दी. अगर एक दो और होती तू सबको छोड़ता. दीदी मैं तू एह सोच रहा हूँ की यह कैसे छुड़ाई हुई की पूरी तरह से छोड़ लिया लेकिन छूट देखी भी नही.”

“कोई बात नही मज़ा तू पूरा लिया ना?” “हाँ दीदी मज़ा तू ख़ूब आया.” “तू घबराता क्यों है अब तू तूने अपनी बहन छोड़ ही ली है अब सब कुच्छ तुझे दिखाओँगी. जब तक माँ नही आती मैं घर पैर नंगी ही रहूंगी और तुझे अपनी छूट भी चात्वाओंगी और तेरा लंड भी चूसूंगी. बहुत मज़ा आता है “सच दीदी?” “हाँ. अच्छा एक बातय है तू इस बात का अफ़सोस ना कर की तेरे सिर्फ़ एक ही बहन है मैं तेरे लिए और छूट का जुगाड़ कर दूँगी..”

“नही दीदी अपनी बहन को छोड़ने मैं मज़ा ही अनोखा है बाहर क्या मज़ा आएगा?”

“अच्छा चल एक काम कर तू माँ को छोड़ ले और मदरचोड़ भी बन जा.” “ओह दीदी ये कैसे होगा?”

“घबरा मत पूरा इंतेज़ाम मैं कर डूबगी. माँ अभी 38 साल की है तुझे मदरचोड़ बनने मैं भी बड़ा मज़ा आएगा.”

“हाय दीदी आप कितनी अच्छी हैं दीदी एक बार अभी और छोड़ने दो इस बार पूरी नंगी करके छोदुँगा.” “जी नही आप मुझे अब माफ़ करिय.” “दीदी प्लेआसए सिर्फ़ एक बार.” और लंड को छूट पैर दबा दिया.

“सिर्फ़ एक बार.” मैने ज़ोर देकर पूच्हा. “सिर्फ़ एक बार दीदी पक्का वादा.”

“सिर्फ़ एक बार करना है तू बिल्कुल नही.” “क्यों दीदी?” अब तक उसका लंड मेरी छूट मैं अपना पूरा रस नीचोड़कर बाहर आगया था. मैने उसे झटके देते हुवे कहा,

“अगर एक बार बोलूँगी तब तुम अभी ही मुझे एक बार और छोड़ लोगे?” “हाँ दीदी.”

“ठीक है बाक़ी दिन क्या होगा. बस मेरी देखकर मूट मारा करेगा क्या. और मैं क्या बाहर से कोई लौँगी अपने लिए अगर सिर्फ़ एक बार मेरी लेनी है तू बिल्कुल नही.”

उसे कुच्छ देर बाद जब मेरी बात समझ मैं आई तू उसके लांद मैं थोड़ी जान आए और उसे मेरी छूट परा रग़दते हुवे बोल्ब, “ओह दीदी उ र ग्रेट.”